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पहला पीरियड आने पर बच्चियों के घर जाकर करते हैं सेलिब्रेट, समाज को जागरूक करने में जुटे हैं 'बिहार के पैडमैन' - Menstruation Awareness

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : May 1, 2024, 6:04 AM IST

बिहार के पैडमैन
बिहार के पैडमैन

Menstrual Hygiene: एक महिला के लिए मेंस्ट्रुअल हाइजीन उसकी भलाई के साथ-साथ उसके परिवार और समुदाय की भलाई के लिए भी अहम है. अक्सर समाज में मानसिकता, रीति-रिवाज और संस्थागत पूर्वाग्रह महिलाओं को उनके मेंस्ट्रुअल हाइजीन से दूर रखता है. इसे लेकर 'बिहार के पैडमन' विशेखानंद विशु ने एक खास पहल की है. आगे पढ़ें पूरी खबर.

बिहार के पैडमैन कर रहे हैं लोगों को जारूक

पटना: मेंस्ट्रुअल हाइजीन महिला स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है. इसके प्रति पुरुष वर्ग का अपेक्षित नजरिया आज भी बना हुआ है जिसके कारण मेंस्ट्रुअल हाइजीन हाइजीन पर विशेष ध्यान नहीं दे पाती है, जो सर्वाइकल कैंसर का प्रमुख कारण बनता है. शहरी क्षेत्र में मेंस्ट्रुअल हाइजीन के प्रति लोगों में थोड़ी जागरूकता तो है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी बहुत बड़ी उदासीनता है. ऐसे में बिहार के खगड़िया के रहने वाले 24 वर्षीय विशेखानंद विशु बैनर पोस्टर के साथ समाज में जाकर इसके प्रति लोगों को जागरूक कर रहे हैं. ये 'लाज शर्म को छोड़ो पीरियड्स पर चुप्पी तोड़ो' की मुहिम चला रहे हैं.

महिला को फ्री में बांटते है सेनेटरी पैड
महिला को फ्री में बांटते है सेनेटरी पैड

महिलाओं को बांटते हैं सेनेटरी पैड: पटना के हज भवन क्षेत्र स्थित स्लम बस्ती में हर महीने विशु 200 से अधिक महिलाओं को सेनेटरी पैड बांटते हैं. विशेखानंद विशु ने बताया कि वह साल 2023 से यह अभियान चला रहे हैं और 'डोनेट पैड बी ग्लैड' का पोस्टर लेकर लोगों से पैड डोनेशन मांगते हैं. जो भी पैड प्राप्त होता है उसे वह विभिन्न बस्तियों में जाकर महिलाओं के बीच बांटते हैं. उन बस्तियों की महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों को भी मेंस्ट्रुअल हाइजीन के प्रति जागरुक करते हैं.

मेंस्ट्रुअल हाइजीन के लिए करते हैं काम
मेंस्ट्रुअल हाइजीन के लिए करते हैं काम

कैसे बने पैडमैन?: विशु ने बताया कि वह कोई एनजीओ नहीं चलाते हैं और व्यक्तिगत स्तर पर ही यह मुहिम चला रहे हैं. मेंस्ट्रुअल हाइजीन के कारण महिलाओं को काफी बीमारियां होती है और जब भी कोई पुरुष दुकान पर सेनेटरी पैड मांगने जाता है तो बहुत झिझक के साथ कागज में लपेटकर मांगता है. यह सब उन्होंने भी झेला है और इसी के बाद उन्होंने ठाना की इसके प्रति लोगों में जागरूकता लाएंगे.

"मेंस्ट्रूअल हाइजीन के प्रति जागरूकता को लेकर वह पीरियड्स से जुड़े मिथक को तोड़ने का काम करते हैं. दक्षिण भारत के कई राज्यों में लड़कियों के पहले पीरियड पर घर में उसे सेलिब्रेट किया जाता है तो उन्होंने भी इस काम की शुरुआत बिहार में की है."-विशेखानंद विशु, समाज सेवी

बिहार के पैडमैन कर रहे हैं लोगों को जारूक
बिहार के पैडमैन कर रहे हैं लोगों को जारूक

बच्चियों के पहले पीरियड को बनाते हैं खास: जहां भी विशु को पता चलता है कि बच्चियों का पहला पीरियड आया हुआ है तो वहां वह जाते हैं और उसे सेलिब्रेट करते हैं. बताते हैं कि यह स्त्री गौरव का विषय है और यह कोई बीमारी नहीं है. पुरुषों में इसको लेकर जो भ्रम है कि इस दौरान शरीर अशुद्ध होता है, उस भ्रम को तोड़ते हैं. इस दौरान उन्हें विभिन्न वर्गों के पुरुष समाज से खड़ी-खोटी सुनने को मिलती हैं. वहीं जिन महिलाओं को पैड प्राप्त होता है, जिनको मेंस्ट्रुअल हाइजीन के प्रति जानकारी मिलती है वह महिलाएं काफी खुश होती हैं. वह अब तक आठ घरों में जाकर बच्चियों के पहले पीरियड को सेलिब्रेट कर चुके हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में भी जाकर हर महीने पैड बांटते हैं.

मेंस्ट्रूअल हाइजीन पर महिलाओं को किया जागरूक: पटना के हज भवन के पीछे स्थित स्लम बस्ती जहां विशु हर महीने जाकर सेनेटरी पैड बांटते हैं, वहां की महिलाएं और बच्चियां मेंस्ट्रुअल हाइजीन के प्रति काफी जागरूक हो चुकी हैं. महिलाओं और बच्चियों ने बताया कि पहले विशु भैया जब सेनेटरी पैड बांटने आए और मेंस्ट्रूअल हाइजीन के प्रति जागरूकता को लेकर संदेश के साथ बैनर पोस्टर लाए तो काफी अटपटा लगा. महिलाओं और बच्चियों ने बताया कि जिस बात को अपने परिवार के पुरुष सदस्यों से वह नहीं कहती, उस बात को कोई बाहरी पुरुष आकर उन्हें बता रहा है और चर्चा करने को कह रहा है. धीरे-धीरे जागरूकता आई और लगा कि स्वास्थ्य के लिए यह हितकर है तो हर महीने वह पैड लेती हैं और इसके इस्तेमाल को लेकर लोगों को अब जागरूक भी करने लगी हैं.

बिहार के पैडमैन विशेखानंद विशु
बिहार के पैडमैन विशेखानंद विशु

"पहले पीरियड्स पर बात करने में काफी शर्म महसूस होती थी लेकिन पीरियड्स पर बात करने में कोई शर्म नहीं होती है. घर के पुरुष सदस्य जैसे अपने पिता और भाई के सामने भी बात कर सकेत हैं. घर के पुरुष सदस्य भी पीरियड्स को लेकर जागरूक हुए हैं और उन्हें समझ में आ गया है कि पीरियड्स कोई बीमारी नहीं होती है बल्कि स्त्री गौरव होता है. जिस स्त्री को पीरियड्स होता है वह मां बन सकती है और घर में किलकारियां गूंज सकती हैं."-नैना कुमारी, स्थानीय

पीरियड्स को लेकर दूर हुए कई भ्रम: युवती मोनिका कुमारी ने बताया कि पहले काफी भ्रम था कि पीरियड्स के समय पूजा नहीं किया जाता, मंदिर नहीं जाया जाता, आचार नहीं छुआ जाता है, लेकिन यह सभी भ्रांतियां अब टूट गई है, क्योंकि यह सभी गलत भ्रांति है. अब वह अचार भी छुट्टी हैं और पीरियड्स के समय सेनेटरी पैड का इस्तेमाल कर मेंस्ट्रूअल हाइजीन का भी ख्याल रखती हैं. अब उन्हें घर में सेनेटरी पैड को छुपा कर नहीं रखना पड़ता है और घर के पुरुष सदस्य भी जान चुके हैं कि यह सेनेटरी पैड महिलाओं की जरूरत की चीज है जो उन्हें कई बीमारियों से दूर रखने में मदद करता है.

पीरियड्स को लेकर पुरूष भी हुए जागरूक: महिला ललिता देवी ने बताया कि लगभग 1 साल पहले पीरियड्स को लेकर बात करने में काफी शर्म महसूस होती थी. पीरियड्स के समय अपने पति को भी वह नहीं बता पाती थी. लेकिन अब वह इसको लेकर काफी जागरूक हुई है और उनके पति भी जागरूक हुए हैं. पीरियड्स आने पर वह अपने पति को बताती हैं और पति भी समझते हैं कि पीरियड्स आने से पहले पेट में दर्द महसूस होता है और इसका वह ख्याल रखते हैं. अब उनके पति भी सैनिटरी पैड लाकर दे देते हैं. इससे अब उन्हें किसी महिला का इंतजार नहीं करना पड़ता कि कोई बाहरी महिला आएंगी तो बाहर से पैड लाकर देगी.

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