गरु चौरंगीनाथ मेले में उमड़ा आस्था का जनसैलाब, देवता के पश्वा ने खाया सात किलो हलवा
Published: Nov 12, 2023, 9:46 AM


गरु चौरंगीनाथ मेले में उमड़ा आस्था का जनसैलाब, देवता के पश्वा ने खाया सात किलो हलवा
Published: Nov 12, 2023, 9:46 AM

Garu Chauranginath Fair 2023 उत्तरकाशी में गरु चौरंगीनाथ मेला लोगों की अगाध श्रद्धा का केन्द्र है. जहां लोग दूर-दूर से मेले में भाग लेने पहुंचते हैं. इस बार गरु चौरंगीनाथ मेले में देवता के पश्वा ने सात किलो हलवा खाया, जो लोगों के आकर्षण का केन्द्र रहा.
उत्तरकाशी: उत्तराखंड को देव भूमि यूं ही नहीं कहा जाता है, यहां 12 महीने होने वाले मेले कौतूहल बने रहते हैं, जहां मेले में देवत्व का अहसास लोगों को खींच लाता है. वहीं उत्तरकाशी जनपद के गाजणा क्षेत्र में हर तीसरे साल यही रंग गरु चौरंगीनाथ मेले में भी दिखाई देता है. यहां हलवा देवता के पश्वा ने सात किलो हलवा खाया, जो मेले का प्रमुख आकर्षण केंद्र रहा. इस दौरान ग्रामीणों ने देवी-देवताओं से क्षेत्र की सुख एवं समृद्धि की कामना की.
उत्तरकाशी जनपद में हर मेले के पीछे कोई न खास आकर्षण का केंद्र रहता है. इसी तरह गाजणा क्षेत्र के हलवा देवता ने मेले में सात किलो हलवा खाया, जो लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा. गाजणा क्षेत्र के चौंदियाट गांव, दिखोली, सौड़, लौदाड़ा और भेटियारा गांवों का संयुक्त चौरंगीनाथ देवता पौराणिक मेले का हर तीसरे साल भव्य आयोजन होता है. मेले में क्षेत्र के प्रमुख आराध्य देव भगवान तामेश्वर, गरु चौरंगीनाथ नाथ की डोली, हलवा देवता की डोली, हुणियां नागराजा की डोली, हरि महाराज की डोली, खं द्वारी देवी की डोली के साथ हजारों की संख्या में ग्रामीणों की भीड़ उमड़ी.
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रात को भेटियारा में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुए, जिसका लोगों ने जमकर लुत्फ उठाया. वहीं हर तीसरे वर्ष मनाए जाने वाले इस मेला का शुभारंभ चौदियाट गांव से शुरू होकर दूसरे दिन दिखोली, तीसरे दिन सौड़, चौथे दिन लोदाड़ा और पांचवें दिन मेले का समापन भेटियारा गांव में होता है.पांचवे दिन पारंपरिक वाद्य यंत्रों, ढोल नगाड़ों के साथ लोक नृत्य किया गया. जहां लोग स्थानीय वाद्य यंत्रों की थाप पर थिरकते नजर आते हैं. मेले का संपान गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान ने किया. उन्होंने कहा कि मेले पहाड़ की पहचान हैं, इन्हें संजोए रखने की जरूरत है.
