Paryavaran pathshala: पर्यावरणविद जंगली के मिश्रित वन में छात्रों की पर्यावरण पाठशाला
Published: Mar 18, 2023, 1:58 PM


Paryavaran pathshala: पर्यावरणविद जंगली के मिश्रित वन में छात्रों की पर्यावरण पाठशाला
Published: Mar 18, 2023, 1:58 PM
प्रसिद्ध पर्यावरणविद् जगत सिंह जंगली के द्वारा लगाए गए मिश्रित वन में राजकीय महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं के द्वारा पर्यावरण पाठशाला का आयोजन किया गया. इस आयोजन में छात्र-छात्राओं के दल ने मिश्रित वनों के बारे में जानकारी ली और उससे होने वाले फायदों के बारे में जाना.
रुद्रप्रयाग: राजकीय महाविद्यालय रुद्रप्रयाग के छात्र-छात्राओं ने प्रसिद्ध पर्यावरणविद जगत सिंह जंगली के कोट मल्ला गांव स्थित मिश्रित वन में पर्यावरण पाठशाला का आयोजन किया. जिसमें पर्यावरण विशेषज्ञ देवराघवेन्द्र बदी ने छात्रों को मिश्रित वनों की भूमिका पर विस्तार से जानकारी दी. प्रसिद्ध पर्यावरणविद जगत सिंह जंगली तीन दशक से अपने गांव स्थित कोट-मल्ला में मिश्रित वन को लेकर कार्य कर रहे हैं. उनका मकसद पर्यावरण को सुरक्षित रखना है. उनके इस जंगल को देखने के लिए देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी लोग पहुंचते हैं. पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने पर जगत सिंह जंगली को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है.
जानिये क्या हैं मिश्रित वन: एक ऐसा वन क्षेत्र जहां अलग-अलग पेड़-पौधे, वनस्पति, घास आदी साथ में पाए जाते हैं या लगाए जाते हैं. मिश्रित वन क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के पेड़ होने से इनका महत्व और भी बढ़ जाता है.पौधों और पेड़ों के विविध मिश्रण वाले वन केवल एक प्रकार की प्रजातियों वाले वनों की तुलना में अधिक उत्पादक होते हैं, जिन्हें मोनोकल्चर भी कहा जाता है. ये वन आर्थिक लाभ प्रदान करने के अलावा, मिट्टी को उपजाऊ बनाने के साथ ही बेहतर उत्पादन में भी फायदा पहुंचाते हैं.
क्या है मिश्रित वन लगाने का उद्देश्य: राजकीय विद्यालय के प्राचार्य डाॅ. विक्रम भारती ने कहा कि जगत सिंह जंगली द्वारा इस मिश्रित वन को लगाने का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण के प्रयोगों से आम जनमानस को रूबरू करवाना है. जिससे सीखकर छात्र-छात्राएं अपने-अपने गांवों में भी इसकी जागरुकता का प्रचार कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि यह जंगल नमामि गंगे कार्यक्रम का अहम हिस्सा है, जिसके कारण विश्व भर में बढ़ रहे ग्लोबल वार्मिंग तथा पानी के संरक्षण का समाधान होगा.
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पर्यावरण विशेषज्ञ ने बताया जैविक उर्वरा का महत्व: पर्यावरण विशेषज्ञ देव राघवेन्द्र बदी ने छात्रों को बताया कि वन जैविक उर्वरा की मदद से अपने क्षेत्र की मिट्टी को उपजाऊ बनाया जा सकता है. जल संरक्षण विधि तथा मिश्रित वन में उगाई जा रही रिंगाल के पौधों से आर्थिकी को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने कहा कि तीन दशक से पर्यावरणविद जंगली अपने जंगल को संवारने का काम कर रहे हैं. मिश्रित वन में बेशकीमती पेड़ लगाए गए हैं. जिससे पर्यावरण को हो रहे नुकसान से बचाया जा सकता है.
