गुरुवार से मायका भ्रमण पर निकलेंगी मां भगवती नंदा, ग्रामीणों को देंगी आशीष, ये है परंपरा

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Published : Oct 13, 2021, 6:16 PM IST

मां भगवती नंदा

देवभूमि उत्तराखंड कई अनूठी परंपराओं को समेटे हुए है. यहां देवी-देवताओं के वास के साथ उनसे जुड़ी कई परंपराएं और मान्यताएं भी हैं. इन्हीं में एक परंपरा मां भगवती नंदा से जुड़ी है. शारदीय नवरात्रि के दिनों में भगवती नंदा अपने सात दिवसीय मायके भ्रमण पर निकलती हैं. उन्हें नए अनाज का भोग अर्पित किया जाता है. खासतौर पर ससुराल गई धियाणियां मां का आशीर्वाद लेने मायके पहुंचती हैं.

रुद्रप्रयागः तृतीय केदार के नाम से विख्यात भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ में विराजमान भगवती नंदा का सात दिवसीय मायका भ्रमण गुरुवार से विधिवत शुरू होगा. सात दिवसीय भ्रमण में भगवती नंदा विभिन्न गांवों का भ्रमण कर श्रद्धालुओं को आशीष देंगी. वहीं, श्रद्धालु भगवती नंदा को नए अनाज के विभिन्न प्रकार के भोग अर्पित कर मनौती मांगेंगे. भगवती नंदा के मायका भ्रमण में बगड़वाल नृत्य मुख्य आकर्षण माना जाता है. जबकि, सारी गांव में भगवती नंदा के दो रात्रि विश्राम के बाद तपस्थली मक्कूमठ के लिए विदा होने की परंपरा है.

बुधवार को भगवती नंदा की विशेष पूजा-अर्चना के बाद गर्भ गृह से सभा मंडप में विराजमान किया गया और मां नंदा के सभा मंडप में विराजमान होते ही मक्कू गांव के ग्रामीणों ने नए अनाज का भोग अर्पित कर मनौती मांगी. इको पर्यटन विकास समिति अध्यक्ष भूपेंद्र मैठाणी ने बताया कि हर साल शारदीय नवरात्रों के अष्टमी पर्व पर भगवती नंदा के सात दिवसीय मायका भ्रमण की परंपरा है. अष्टमी पर्व पर भगवती नंदा गर्भ गृह से सभा मंडप में विराजमान होती हैं. गुरुवार को मक्कूमठ से रवाना होकर प्रथम रात्रि प्रवास के लिए कांडा गांव पहुंचेंगी.

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गांव की ओर रुख करने लगीं धियाणियांः मक्कू गांव के प्रधान विजयपाल नेगी ने बताया कि 15 अक्टूबर को भगवती नंदा रात्रि प्रवास के लिए हूंडू, 16 अक्टूबर को उषाडा, 17 दैड़ा, 18 को सारी गांव पहुंचेंगी. जबकि, 19 अक्टूबर को सारी गांव में भव्य नंदा मेले के आयोजन की परंपरा है. 20 अक्टूबर को भगवती नंदा सारी गांव से विदा होकर अपनी तपस्थली मक्कू गांव पहुंचेंगी और जगत कल्याण के लिए तपस्यारत हो जाएंगी. प्रधान बरंगाली महावीर सिंह नेगी ने बताया कि भगवती नंदा के आगमन की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. ग्रामीणों और धियाणियों (मायके आयी बेटियां) ने भगवती नंदा के दर्शन के लिए गांवों की ओर रुख कर लिया है.

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मां नंदा के मायके आगमन पर बगड्वाल नृत्य की परंपराः दैड़ा के प्रधान योगेंद्र नेगी ने बताया कि भगवती नंदा के मायका आगमन पर बगड्वाल (बगड़वाल) नृत्य की परंपरा है. इस बार भी भगवती नंदा के मायका आगमन पर पौराणिक बगड्वाल नृत्य का आयोजन किया जाएगा. पूर्व सहायक सूचना अधिकारी गजपाल भट्ट ने बताया कि भगवती नंदा का मायके के गांवों का भ्रमण बड़ा ही मार्मिक होता है. भगवती नंदा के मायका भ्रमण के दौरान धियाणियों में भगवती नंदा के प्रति अगाध श्रद्धा देखने को मिलती है.

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भावुक होता है मां नंदा के विदाई का क्षणः भगवती नंदा के विदाई का क्षण बहुत यादगार होता है. क्योंकि भगवती नंदा की विदाई के समय सभी धियाणियों और महिलाओं के आंखों में विदाई का क्षण स्पष्ट झलकता है. उन्होंने बताया कि इस बार भगवती नंदा का सारी गांव आगमन 18 अक्टूबर को हो रहा है. वहीं, 19 अक्टूबर को भव्य मेले का आयोजन किया जाएगा.

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