हाई एल्टीट्यूड पर 'संजीवनी' है सिक्स सिग्मा, केदारनाथ के बाद अब अमरनाथ में मेडिकल टीम देगी सेवा

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Published : Jun 17, 2022, 7:22 AM IST

Updated : Jun 17, 2022, 6:28 PM IST

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सिक्स सिग्मा हेल्थ हाई एल्टीट्यूड का नाम सुनते ही आंखों के सामने दुर्गम पहाड़ी यात्राएं घूमने लगती हैं. सिक्स सिग्मा को पहाड़ी यात्राओं में चिकित्सा सुविधा के लिए जाना जाता है. केदारनाथ, अमरनाथ, वैष्णो देवी व चारधाम यात्राओं में सिक्स सिग्मा निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं देती है. क्या आपको पता है इसकी स्थापना कब हुई और केदारनाथ आपदा के समय सिक्स सिग्मा का रोल क्या रहा. आइए हम आपको बताते हैं.

रुद्रप्रयाग: 9 साल पहले 16 जून 2013 की मध्यरात्रि को केदारनाथ से 5 किमी दूरी पर स्थित गांधी सरोवर (चौराबाड़ी ताल) में बादल फटने व ग्लेशियर टूटने के कारण भीषण आपदा आयी थी. आपदा के बाद अब ये ताल नहीं, मैदान जैसा नजर आता है. इस त्रासदी ने सम्पूर्ण मानव समाज को हिला के रख दिया था. उस वक्त सिक्स सिग्मा की टीम भी केदारनाथ पहुंची थी और 511 लोगों का रेस्क्यू किया था. आपदा की बरसी पर सिक्स सिग्मा ने केदार बाबा केदार से दिवंगत आत्माओं को शांति की प्रार्थना की. वहीं, अब सिक्स सिग्मा हाई एल्टीट्यूड मेडिकल सर्विस की टीम केदारनाथ यात्रा में मेडिकल सर्विस देने के बाद अब नये मिशन में जुट गई है. जम्मू-कश्मीर के स्वास्थ्य महानिदेशक की ओर से संस्था को यात्रा के दौरान चिकित्सा सेवा देने के लिए आमंत्रित किया गया है.

2013 में हुई सिक्स सिग्मा की स्थापना: सिक्स सिग्मा हेल्थकेयर की टीम ने जान पर खेलकर वर्ष 2013 में केदारनाथ, गौरीकुंड व बदरीनाथ में फंसे 511 लोगों की न केवल जीवन रक्षा की, बल्कि पुनर्वास में भी उनकी मदद की थी. शिव की धरती केदारनाथ में 2013 के जून माह में आई आपदा से मानव जीवन की क्षति और तबाही का जो तांडव मचा, उसने सिर्फ उत्तराखंड को ही तहस-नहस नहीं किया, बल्कि पूरे देश को रुला दिया था. दुनिया को प्रकृति की ताकत के समक्ष अपनी क्षमता को देखने का एक और दर्पण दे दिया था. उत्तराखंड में आफत रात को दबे पांव आई और किसी को संभलने तक का मौका नहीं दिया था.

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सिक्स सिग्मा की मेडिकल सेवा
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केदारनाथ त्रासदी में किया शानदार काम: 16 -17 जून 2013 को जब सिक्स सिग्मा के सीईओ डॉ प्रदीप भारद्वाज को केदारनाथ त्रासदी की सूचना मिली, तो उनकी टीम वहां पहुंचने वाली सबसे पहली मेडिकल टीम थी. गौचर स्थित एयरफोर्स स्टेशन पर ‘ब्रिगेडियर केबी चांद’ ने कहा कि डॉक्टर भारद्वाज हम आपको केदारनाथ छोड़ तो देंगे, लेकिन वापस लाने की कोई गारंटी नहीं है. इस पर डॉक्टर भारद्वाज ने कहा था कि ब्रिगेडियर साहब कोई बात नहीं. हमें भी वापस आने का कोई गम नहीं होगा, अगर हम वहां पहुंच गए तो. बस आप हमें वहां पर एक बार छोड़ तो दीजिए, बाकी हम सब कुछ संभाल लेंगे.

त्रासदी के समय केदारनाथ का मंजर था भयावह: डॉक्टर भारद्वाज के अनुसार हम जब वहां पहुंचे तो चारों ओर लाशें बिखरी पड़ी थीं. सड़कें धंसती जा रही थी और सामने बड़े-बड़े पत्थर के टुकड़े बरस रहे थे. लोग हमारे सामने मौत के मुंह में समा रहे थे. हमने बिना समय गंवाए खुद को उनकी जिंदगी बचाने के लिए झोंक दिया. हमारी टीम के हौसले को देखते हुए ब्रिगेडियर केबी चांद ने हमें सेना की मदद उपलब्ध कराईं. उन्होंने हेलीकाॅप्टर की सेवा उपलब्ध कराई, जिससे हमें घायलों को फौरन चिकित्सीय राहत उपलब्ध कराने में मदद मिली. सेना के हेलीकाॅप्टर की मदद से गौरीकुंड व केदारनाथ में मेडिकल रेस्क्यू किया. जहां मेडिकल कैंप लगाया था वहां लाशों का ढेर लगा हुआ था. बदबू के कारण सांस लेना भी मुश्किल था. इसके बावजूद भी रात-दिन निःस्वार्थ भाव से लोगों को चिकित्सा सेवा प्रदान की. उस समय आशीष शर्मा व भारत शर्मा ने बेहतरीन काम किया था, जो आज भी सिक्स सिग्मा के पथ पर अग्रसर हैं और कम्पनी के नाम, नमक, निशान व वफ़ादारी से देश का नाम रोशन कर रहे हैं.

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उपलब्धियों से भरी है सिक्स सिग्मा

'खंड-खंड हो गया उत्तराखंड' पुस्तक में केदारनाथ त्रासदी का वर्णन: प्रकृति के उग्र तांडव में हमने लोगों को बेबस, लाचार और मौत के मुंह में सीधा समाते देखा. कई बार हमारा सामना भी मौत से हुआ, लेकिन हमने अपना हौसला नहीं छोड़ा. प्राकृतिक त्रासदी और मानवीय संघर्ष की उस दिल दहला देने वाली घटना का सजीव वर्णन डॉक्टर भारद्वाज ने अपनी पुस्तक 'खंड-खंड हो गया उत्तराखंड' में किया है. 2014 में इस पुस्तक का लोकार्पण दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव संजय कुमार श्रीवास्तव ने किया.

स्वर्ग के द्वार खोलते केदारनाथ में सिक्स सिग्मा ने हाई ऐल्टीट्यूड हॉस्पिटल की स्थापना की और उत्तराखंड की गौरवशाली परंपरा के प्रति समर्पण भाव के साथ सिक्स सिग्मा ने उत्तम स्वास्थ्य सेवा, सत्य, साहस, समर्पण और पराक्रम से प्रदेश के विकास में चार चांद लगाए और कन्धे से कन्धा मिलाकर अदम्य साहस का परिचय दिया.
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सिक्स सिग्मा को मिल चुके 5 अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार: सिक्स सिग्मा कैलाश मानसरोवर (नाथुला-सिक्किम), श्री अमरनाथ (जम्मू-कश्मीर), केदारनाथ, मदमहेश्वर, तुंगनाथ एवं हेमकुंड साहिब (उत्तराखंड) और मणिमहेश (हिमाचल प्रदेश) की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को चिकित्सा सुविधा देती है. उच्च हिमालयी क्षेत्रों में सिक्स सिग्मा हाई एल्टीट्यूड मेडिकल सर्विस के 450 डॉक्टरों और वॉलंटियरों ने 1 लाख 53 हजार से अधिक यात्रियों को चिकित्सा सुविधा प्रदान कराई. सिक्स सिग्मा कंपनी अपनी विशिष्ठ कार्यशैली के कारण ही अब तक 5 अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों के साथ-साथ भारत सरकार के 18 राष्ट्रीयकृत पुरस्कार जीत चुकी है. वहीं कंपनी कर्मचारियों द्वारा किए गए अविश्वसनीय कार्यों के कारण सिक्स सिग्मा को 5 बार इंडिया व लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान मिल चुका है.

सिक्स सिग्मा अब अमरनाथ यात्रा में देगी सेवा: सिक्स सिग्मा हाई एल्टीट्यूड मेडिकल सर्विस की टीम केदारनाथ यात्रा में मेडिकल सर्विस देने के बाद अब नये मिशन में जुट गई है. जम्मू-कश्मीर के स्वास्थ्य महानिदेशक की ओर से संस्था को यात्रा के दौरान चिकित्सा सेवा देने के लिए आमंत्रित किया गया है. 30 जून से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा में भी सिक्स सिग्मा की मेडिकल टीम अपनी सेवायें देगी.

Last Updated :Jun 17, 2022, 6:28 PM IST
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