Spider Wheel Innovation: पहाड़ों पर ट्रॉली खींचना होगा आसान, NIT वैज्ञानिकों ने बनाया 'स्पाइडर व्हील', ऐसे करेगा काम
Updated on: Jan 20, 2023, 5:31 PM IST

Spider Wheel Innovation: पहाड़ों पर ट्रॉली खींचना होगा आसान, NIT वैज्ञानिकों ने बनाया 'स्पाइडर व्हील', ऐसे करेगा काम
Updated on: Jan 20, 2023, 5:31 PM IST
आमतौर पर देखा जाता है कि पहाड़ी इलाकों में सामान लेकर जाना किसी कड़ी मशक्कत से कम नहीं होता. खड़ी चढ़ाई और मुश्किल रास्तों पर सामान चढ़ाना और लेकर जाने के लिए काफी बल लगाना पड़ता है. पहाड़ की इसी समस्या को देखते हुए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान श्रीनगर के वैज्ञानिकों ने एक स्पाइडर व्हील टायर की खोज की है. टॉली में इस तकनीक के इस्तेमाल से कम बल के साथ कम ऊर्जा भी इस्तेमाल होगी.
श्रीनगर: पहाड़ी इलाकों में सामान को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए ट्रॉलियों का उपयोग करना पड़ता है, लेकिन उबड़-खाबड़ रास्तों के चलते ट्रॉलियों को अपने स्थान तक पहुंचाने के लिए बहुत ज्यादा बल लगाना पड़ता है. कई बार तो ट्रॉली को खींचने में काफी मानव फोर्स लग जाती है. अब इस समस्या को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान उतराखंड के वैज्ञानिकों ने हल कर दिया है.
NIT श्रीनगर के साइंटिस्ट ने स्पाइडर व्हील नाम से एक टायर बनाया है. इसे भारत सरकार ने पेटेंट भी दे दिया है. टीम ने इसका प्रोटोटाइप (प्रारंभिक रूप) तैयार किया है. अब एनआईटी इसका औद्योगिक उपयोग कर अपनी आय भी बढ़ा सकेगा. तिपहिया ट्रॉली में इन पहियों का इस्तेमाल करने से कम ऊर्जा और बल खर्च होगा.
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संस्थान के अनुसार, तकनीकी के व्यवसायीकरण और तकनीकी हस्तातंरण की कार्रवाई चल रही है. एनआईटी के यांत्रिक अभियांत्रिकी (मैकेनिकल इंजीनियरिंग) विभाग के सहायक प्रो. डॉ. विनोद सिंह यादव और शोध छात्र निशांत कुमार, राजेश कुमार व दीपक कुमार की टीम ने पर्वतीय क्षेत्रों के अनुकूल स्पाइडर व्हील तकनीकी खोजी है.
डॉ. यादव ने बताया कि अकसर उबड़-खाबड़ जमीन या पहाड़ी क्षेत्रों में चढ़ते वक्त ट्राली पर काफी जोर लगाना पड़ता है. वहीं बैटरी से चलने वाली ट्रॉली में भी काफी ऊर्जा की खपत होती है. इसे देखते हुए टीम ने ऐसे पहिए को डिजायन किया है, जिसमें बल और ऊर्जा कम लगेगी. उन्होंने पहिए की क्रिया विधि के बारे में बताते हुए कहा कि जैसे चलते हुए पहिए के आगे अगर कोई अवरोध आता है तो इसका दूसरा पहिया स्वत: घूमकर अवरोध को पार कर लेता है, जिससे ट्रॉली पर ज्यादा जोर नहीं लगाना पड़ता है.
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एनआईटी के निदेशक प्रो. ललित कुमार अवस्थी ने शोध टीम को बधाई देते हुए कहा कि जल्दी मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग इस तकनीक पर आधारित ट्रॉली बना लेगा. यह तकनीक विशेषकर पहाड़ के लिए काफी उपयोगी साबित होगी. तिपहिया स्पाइडर व्हील प्रणाली के इस्तेमाल से लोग कम ऊर्जा का प्रयोग कर ट्रॉलियों में सामान ले जाने में सक्षम होंगे.
