नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने रामनगर स्थित कुमाऊं के एकमात्र मेंटल चाइल्ड रेजीडेंसिएल स्कूल (Mental Child Residential School) बसई से एक माह पूर्व बच्चा गायब (case of missing child) होने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने गृह सचिव को निर्देश दिए है कि गायब बच्चों के सम्बंध में सुप्रीम कोर्ट के क्या क्या दिशा निर्देश है, उनको जारी करे.
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने चाइल्ड वेलफेयर सोसायटी को निर्देश दिए है कि कमेटी के जो भी सुझाव है, उनपर शीघ्र विचार कर निर्णय ले. वहीं, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सभी पक्षकारों से 7 नवम्बर तक जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 7 नवम्बर की तिथि नियत की है. आज एसएसपी नैनीताल व एसएचओ रामनगर कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए. एसएसपी द्वारा कोर्ट को अवगत कराया कि उन्होंने बच्चे की गायब होने की एफआईआर दर्ज कर ली है. बच्चे को ढूंढने के लिए एक टीम भी गठित कर दी है.
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मामले के अनुसार हल्द्वानी की रोशनी सोसाइटी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि रामनगर के बसई में कुमाऊं का एकमात्र मेंटल चाइल्ड रेजीडेंसिएल स्कूल है, जो राज्य सरकार की ग्रांड पर चलता है. इस स्कूल में अनाथ अनाम नाम के बच्चे को चाइल्ड वेलफेयर सोसायटी द्वारा भर्ती कराया गया था. यह बच्चा सही तरीके से बोल नहीं पाता था, जो 12 अगस्त को स्कूल से गायब हो गया था.
यही नहीं एक अन्य बच्चे ने भी स्कूल के अध्यापकों के ऊपर आरोप लगाया था कि अध्यापक उनको मारते है. शाम को उस बच्चे का सिर पट गया था. पता करने पर स्कूल प्रबंधन द्वारा कहा गया कि वह झूले से गिर गया. स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्चे की गुमशुदगी की रिपोर्ट 9 सितम्बर को 25 दिन बीत जाने के बाद लिखवाई गई.
पुलिस ने कहा कि इसमें मुकदमा दर्ज करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि कोई अपराध नही हुआ है. इन घटनाओं का संज्ञान बाल सुधार आयोग ने लिया और एसएसपी नैनीताल को निर्देश दिए कि घटनाओं की रिपोर्ट से शीघ्र अवगत कराएं. परन्तु अभी तक कोई उत्तर एसएसपी की तरफ से नहीं दिया गया. जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अगर कोई बच्चा कैसे भी गायब हुआ हो पुलिस उसका मुकदमा अपहरण में दर्ज करें. परन्तु पुलिस ने अभी तक इसमे मुकदमा दर्ज तक नहीं किया.