Hathichaud Grassland: हाथीचौड़ ग्रासलैंड रोकेगा मानव वन्यजीव संघर्ष, ऐसे बनाया प्राकृतिक वास

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Published : Jan 25, 2023, 9:36 AM IST

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इंसानी आबादी बढ़ना वन्यजीवों के लिये मुसीबत बनता जा रहा है. विकास के नाम पर अंधाधुंध जंगल काटे जा रहे हैं. इससे मानव और वन्यजीव संघर्ष के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. जंगल कम हो रहे हैं और वन्यजीवों के रहने के प्राकृतिक आवास लगातार कम होते जा रहे हैं. इस सबसे इतर वन विभाग ने अब ग्रासलैंड विकसित करने शुरू कर दिए हैं. जिससे मानव और वन्यजीवों के संघर्ष को कम किया जा सके.

हाथीचौड़ ग्रासलैंड रोकेगा मानव वन्यजीव संघर्ष

हल्द्वानी: तराई पूर्वी वन प्रभाग के डोली रेंज के जंगल में वन विभाग ने घने जंगलों के बीच ग्रासलैंड तैयार किया है. ये ग्रासलैंड मानव वन्यजीव संघर्ष रोकने में मददगार साबित हो रहा है. यही नहीं ग्रासलैंड कई वन्यजीवों का वासस्थल भी बन गया है. एसडीओ तराई पूर्वी वन प्रभाग अनिल जोशी ने बताया कि डोली रेंज में घने मिश्रित जंगलों के बीच वन्यजीवों के वासस्थल कोटखर्रा हाथीचौड़ को विकसित किया है. ये धीरे-धीरे वन्यजीवों का वासस्थल बनता जा रहा है.

अनिल जोशी ने बताया कि घने जंगलों के बीच 150 एकड़ क्षेत्रफल में बने उत्तराखंड में आरक्षित वन क्षेत्र के अंतर्गत ये सबसे बड़ा कृत्रिम रूप से विकसित किया गया ग्रासलैंड है. यहां 290 मीटर परिधि में जलाशय का निर्माण कराया गया है. जलाशय में विभिन्न प्रजातियों की मछलियां भी हैं, ताकि एक्वेटिक प्राणियों की श्रृंखला शीघ्र बन सके. इसके अलावा जलाशय में सांप की चार प्रजातियों के अलावा विभिन्न प्रकार के जलीय पौंधे तथा जीव जन्तु मौजूद हैं. वन्यजीवों के मूवमेंट व सुरक्षा पर नजर रखने हेतु 50 फीट ऊंचे वॉच टावर का निर्माण किया गया है. वॉच टावर से 150 एकड़ में फैले ग्रासलैंड और जलाशय का निगरानी की जाती है.
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क्षेत्र में वन्यजीवों के लिए एलीफेंट ग्रास, नरकुल, नेपियर तथा लेमनग्रास, सेकेरम, इपेरटा, मंडुआ घास के अलावा 6 प्रकार की फर्न तथा बेर इत्यादि पौधे रोपित किए गए हैं. एसडीओ अनिल जोशी ने बताया कि वन्य जीव प्राकृतिक वास को ग्रासलैंड इकोसिस्टम के पहलुओं को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है. फिलहाल आम नागरिकों, पर्यटकों के लिए यह क्षेत्र प्रतिबंधित है. वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए वनकर्मी तैनात किए गए हैं. समय-समय पर वन्यजीवों की मॉनिटरिंग के लिए कैमरा ट्रैप लगाए गए हैं, जिससे कि यहां पर आने जाने वाले वन्यजीवों की गतिविधियों पर विभाग नजर रख सके.

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ग्रासलैंड से मानव वन्यजीव संघर्ष होंगे कम.

उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में हाथी, टाइगर, लेपर्ड, भालू, चीतल, सांभर, नीलगाय, काकड़ आदि वन्यजीव कैमरे में कैद हुए हैं. एसडीओ अनिल जोशी ने बताया कि ग्रासलैंड विकसित हो जाने से वन्यजीवों को चारा तथा पानी जंगलों में उपलब्ध होने से मानव वन्यजीव संघर्ष में कमी आएगी. साथ ही भविष्य में टूरिस्ट हब के रूप में विकसित करने की कार्य योजना तैयार की जा रही है. इस क्षेत्र में हाथी के अत्यधिक मूवमेंट को देखते हुए इसका नाम कोटखर्रा हाथीचौड़ रखा गया है.

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