पवलगढ़ कंजर्वेशन रिजर्व पहुंचे CM धामी, हाइड्रो काइनेटिक टरबाइन का किया निरीक्षण

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Published : Dec 29, 2021, 8:15 PM IST

CM Dhami inspected hydrokinetic turbine

रामनगर दौरे पर पहुंचे सीएम पुष्कर सिंह धामी ने पवलगढ़ कंजर्वेशन रिजर्व में स्वदेशी हाइड्रो काइनेटिक टरबाइन का निरीक्षण किया.

रामनगर: वन प्रभाग रामनगर के अंतर्गत पवलगड़ कंजर्वेशन रिजर्व की रेंज में पूर्ण स्वदेशी सरफेस हाइड्रो काइनेटिक टरबाइन तकनीकी का मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि आज ऊर्जा उत्पादन की जो तकनीक संचालित हो रही है, वह शत प्रतिशत पर्यावरण के लिए अनुकूल है. यह तकनीक छोटी से छोटी पहाड़ी गुलों से लेकर बड़ी से बड़ी नदियों में बिना कोई बांध बनाये या पानी को रोके 24 घंटे और 12 महीने विद्युत उत्पादन करने में सक्षम है.

सीएम धामी ने कहा स्वदेशी सरफेस हाइड्रो काइनेटिक टरबाइन तकनीक का उत्तराखंड प्रथम उपयोगकर्ता के रूप में जाना जाएगा, जो उत्तराखंड के लिए गर्व का विषय है. उन्होंने कहा मुझे याद है बीते कई वर्षों में उत्तराखंड की जनता ने बादल फटना, बाढ़, भूस्खलन जैसी कई प्राकृतिक आपदाएं झेली हैं. जिसका कारण कई वैज्ञानिक संस्थाओं ने उत्तराखंड की विशाल जल विद्युत परियोजनाओं को बताया है.

उन्होंने कहा जिसकी वजह से उत्तराखंड सरकार को भी जल विद्युत ऊर्जा उत्पादन के लिए निर्माणाधीन अनेकों बड़ी योजनाओं को स्थगित करना पड़ा है. जिससे उत्तराखंड के विकास पर समुचित असर हुआ है, लेकिन आज मुझे यह बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि रामनगर वन प्रभाग में ऊर्जा उत्पादन की जो तकनीक संचालित हो रही है. वह 100 फीसदी पर्यावरण प्रदूषण मुक्त है.

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सीएम धामी ने कहा कि मेकलेक संस्था पिछले 8 वर्षों से उत्तराखंड में कार्यरत है. उनके अनुसार उत्तराखंड की नदियों तथा प्रवाहित जल धाराओं से लगभग 15 मेगावाट विद्युत का उत्पादन निर्मित स्वदेशी सरफेस हाइड्रो काइनेटिक तकनीक के माध्यम से किया जा सकता है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने का हर संभव प्रयास किया है. सात ही ऐसी अनेकों योजनाओं का आरंभ किया है. उसी के परिणाम स्वरुप उत्तराखंड का युवा आज कुछ अलग करने के जज्बे से मेहनत कर रहा है. जिसका एक जीवंत उदाहरण आज हमारे बीच में है. 15 किलोवाट विद्युत उत्पादन की सरफेस हाइड्रो काइनेटिक टरबाइन परियोजना जिसका संचालन पवलगढ़ के ऐतिहासिक 111 वर्ष पुराने वन विश्राम भवन के प्रांगण में हुआ है.

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