मोरबी पुल हादसा: उत्तराखंड के 400 पुलों के लिए PWD ने बनाया एक्शन प्लान
Published: Nov 1, 2022, 6:29 PM


मोरबी पुल हादसा: उत्तराखंड के 400 पुलों के लिए PWD ने बनाया एक्शन प्लान
Published: Nov 1, 2022, 6:29 PM
मोरबी झूला पुल हादसे में कई लोगों की जान चली गई. जिसके बाद से उत्तराखंड प्रशासन भी अलर्ट मोड पर है. उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग राज्य में जर्जर पुलों का चिन्हिकरण कर रहा है. आपको बता दें कि उत्तराखंड में 400 से भी ज्यादा ऐसे पुल हैं, जिनकी हालत ठीक नहीं है. विभाग ने ऐसे पुल जिसकी कैपेसिटी कम है, उसको लेकर एक्शन प्लान तैयार बनाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं.
देहरादून: बीते दिनों गुजरात के मोरबी में हुए पुल हादसे में कई लोगों की जान चली गई. जिसके बाद उत्तराखंड में भी ऐसे जर्जर पुलों का चिन्हिकरण (signage of broken bridges) किया जा रहा है, लेकिन उत्तराखंड में सिर्फ एक या दो नहीं, बल्कि कई ऐसे कई जर्जर पुल हैं, जो सालों से मरम्मत का इंतजार कर रहे हैं. वहीं, गुजरात में हुए पुल हादसे को लेकर प्रदेश में भी ऐसे पुलों को चिन्हित कर इनके दुरुस्तीकरण का एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है. वहीं, हैरानी की बात यह है कि फिलहाल कम वहन क्षमता वाले पुलों पर ही कार्य योजना तैयार की जा रही है. जबकि अपनी मियाद पूरी कर चुके पुलों को लेकर विभाग आंकड़ा देने से भी बच रहा है.
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 13 जिले वाले उत्तराखंड में 400 से भी ज्यादा ऐसे पुल हैं, जिनकी हालात सरकारी रिकॉर्ड के लिहाज से मौजूदा स्थिति में ठीक नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि ट्रैफिक के बढ़ते दबाव की वजह से अब यह पुल ज्यादा भार सहने की स्थिति में नहीं है. दरअसल, इन पुलों को बी-कैटेगरी का बनाया गया था, लेकिन अब लोक निर्माण विभाग का कहना है कि जिस तरह ट्रैफिक का दबाव बढ़ा है, उसके बाद इन पुलों को बदले जाने की जरूरत है.
इससे भी बड़ी बात यह है कि जो पुल अपनी मियाद पूरी कर चुके हैं या जर्जर हालात में हैं, उनको लेकर विभाग फिलहाल बात करने को तैयार नहीं है. इस मामले पर आंकड़ा पूछे जाने पर भी विभाग के मुखिया आंकड़ा देने से बचते नजर आते हैं. गुजरात में पुल टूटने के बाद विभाग ऐसे पुल, जिसकी कैपेसिटी कम है. उसको लेकर एक्शन प्लान तैयार करने के प्रयास शुरू किए हैं.
लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव आरके सुधांशु ने कहा कि मानसून के कारण फिलहाल मरम्मत के काम अक्टूबर से पहले नहीं हो पाए. लेकिन हकीकत यह भी है कि राज्य के ऐसे कई पुल हैं, जो सालों से मरम्मत को तरस रहे हैं. अब उन आंकड़ों को भी देखिए जो सरकारी हैं और लोक निर्माण विभाग द्वारा ही पुलों को चिन्हित कर बनाए गए हैं.
राज्य में इन पुलों को लेकर हलचल तब तेज हुई, जब गुजरात में एक बड़ा हादसा हो गया. प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग की तरफ से बकायदा नो मीटिंग डे के दिन लोक निर्माण विभाग की बैठक बुलाई गई. हालांकि, पिछले कुछ समय से राज्य में सड़कों के निर्माण को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और मुख्य सचिव भी अधिकारियों को निर्देशित कर रहे हैं. ऐसे में इस मामले पर भी शासन स्तर पर चर्चा की जा रही है. लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता एजाज अहमद ने बताया कि राज्य में फिलहाल 436 ऐसे पुलों को अपडेट करने की तैयारी है, जो बी कैटेगरी के हैं. यानी वह पुल जो कम कैपेसिटी वहन करने वाले हैं. इनको बारी-बारी से बदलने की कोशिश की जा रही है.
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भले ही लोक निर्माण विभाग बी कैटेगरी और जर्जर पुलों पर एक्शन प्लान बना रहा हो, लेकिन जिन पुलों की मियाद पूरी हो चुकी है या जो जर्जर हालत में है. उनकी कार्य योजना सार्वजनिक होनी चाहिए थी. इसके उलट ऐसे पुलों के आंकड़ों को छुपाने की कोशिश की जा रही है. जो जाहिर तौर पर कई सवाल खड़े करती है.
कुमाऊं भी तैयारी तेज: गुजरात के मोरबी में हुए पुल हादसे के बाद डीजीपी ने उत्तराखंड में जर्जर पुलों की जानकारी (dilapidated bridges in Uttarakhand) मांगी है. जिसके बाद थाना प्रभारी और पुलिस चौकी प्रभारियों को अलर्ट किया गया है. कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत (Kumaon Commissioner Deepak Rawat) ने बताया कि कुमाऊं में सभी झूला पुल और अन्य पुलों की हालत की जानकारी सभी डीएम से साझा करने के निर्देश दिए गए हैं. इसके अलावा सभी पुलों की क्षमता, भार क्षमता का आकलन करने को कहा गया है. साथ ही लंबे समय से जो जर्जर और बंद पड़े पुल हैं, उन पर किसी तरह की आवाजाही को शीघ्र प्रभाव से बंद करने को कहा गया है.
कुमाऊं कमिश्नर ने कहा इस बात का भी आकलन होगा कि कितने पुलों की समय सीमा खत्म हो गई है. कितने पुलों पर तय भार सीमा से अधिक भार ले जाया जा रहा है. सभी जिलाधिकारियों को अपने स्तर पर जर्जर पुलों को देखते हुए उचित कदम उठाने के दिशा निर्देश जारी किए गये है. गुजरात में हुए इतने बड़े हादसे के बाद कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने सभी जिला अधिकारियों और विभागीय इंजीनियर को सतर्क कर दिया है.
उन्होंने सभी अधिकारियों को अपने अपने क्षेत्र में झूला पुल के रखरखाव पर ध्यान में रखने को कहा है. क्योंकि कुछ झूला पुल कई सालों के बने हुए हैं. उस पर क्षमता के अनुसार यातायात होनी चाहिए. कुमाऊं कमिश्नर ने सभी को आदेश दिया है कि अपने-अपने क्षेत्रों में ध्यान रखें कि कोई अप्रिय घटना ना हो. पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता अशोक कुमार ने कहा समय-समय पर विभाग की तरफ से पुलों का निरीक्षण किया जा रहा है. साथ ही टीम बनाकर पुलों की मॉनिटरिंग भी की जा रही है .
