दुबई में जब भी किसी भारतवासी को होती है 'दोस्त' की जरूरत, 'बजरंगी भाईजान' आते हैं याद

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Published : Dec 18, 2019, 9:50 AM IST

Updated : Dec 18, 2019, 2:15 PM IST

International Migrants Day

पिथौरागढ़ के बेरीनाग के गिरीश पंत दुबई में रहकर देश के लोगों की मदद कर रहे हैं. गिरीश पंत अब तक हजारों भारतीयों को वतन लौटा चुके हैं. इसके लिए राष्ट्रपति गिरीश को सम्मानित भी कर चुके हैं.

देहरादून: अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस के मौके पर आपको रूबरू करवाते हैं उत्तराखंड के उस सपूत से जो देश से बाहर रहकर भी अपने प्रदेश नाम रोशन कर रहे हैं. मूल रूप से उत्तराखंड में पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग निवासी गिरीश पिछले कई सालों से दुबई और अन्य देशों में फंसे एक हजार से ज्यादा भारतीयों को अपने वतन लौटा चुके हैं. देश हित में किए गए इस कार्य के लिए राष्ट्रपति ने उन्हें सम्मानित भी किया है.

उत्तराखंड का सपूत दुबई में बढ़ा रहा देवभूमी का मान

बजरंगी भाईजान के नाम से है फेमस हैं गिरीश

गिरीश ने समाजसेवा की औपचारिक शुरुआत उत्तराखंड में आई 2013 की आपदा के बाद से की. दरअसल, 2013 की आपदा के बाद जहां पूरे विश्व से लोग मदद के लिए आगे आ रहे थे तो गिरीश भी दुबई में एकत्रित हुए 400 किलो राहत सामग्री और गढ़वाल-कुमाऊं क्षेत्र के आपदा पीड़ितों के लिए 6-6 लाख का मुआवजा लेकर अकेले दुबई से दिल्ली और फिर दिल्ली से खराब मौसम में पहाड़ों की ओर चल दिए.

इसके बाद गिरीश की समाजसेवा का सिलसिला चलता रहा. फेक जॉब के चक्कर में दुबई में फंसे युवा, आत्महत्या और दुर्घटना के बाद शव लाने तैयारी के लिए लोग गिरीश को संपर्क करने लगे. दुबई में फंसे अलग-अलग जगह से गिरीश के पास संदेश आने लगे.

International Migrants Day
दुबई में फंसे भारतीयों की मदद

गिरीश ने बताया कि उत्तराखंड से दुबई काम करने के लिए आए निर्मल रावत दुबई के बीच समुद्र में एक शिप पर 18 महीनों तक फंसे रहे. जिसके बाद 11 महीने की जद्दोजहद के बाद निर्मल रावत को वहां से रेस्क्यू किया गया और अपने वतन वापस भेजा गया. इसी तरह से दुबई में फंसे गुजरात के 26 लोगों को गिरीश पंत ने रेस्क्यू किया और वतन वापस भेजा.

International Migrants Day
वतन पहुंचने पर भारतीयों ने गिरीश को दिया धन्यवाद

सबसे कम उम्र के पहले प्रवासी भारतीय सम्मान विजेता हैं गिरीश

पिछले कई सालों से लगातार देश के बाहर फंसे हुए भारतीयों को मदद करने और लोगों को मुसीबत से बाहर निकालने के लिए गिरीश पंत को दुबई और भारत में सम्मानित किया गया. हैदराबाद के कुछ युवाओं को रेस्क्यू करवाने के बाद हैदराबाद माइग्रेशन रिसोर्स सेंटर ने 2015 में गिरीश पंत को प्रवासी मित्रता अवार्ड से सम्मानित किया. वहीं इसी साल जनवरी में प्रयागराज में हुए अंतरराष्ट्रीय प्रवासी सम्मेलन में देश का सबसे कम उम्र और उत्तराखंड का पहला प्रवासी भारतीय सम्मान से गिरीश पंत को सम्मानित किया गया.

कौन है गिरीश पंत

उत्तराखंड पिथौरागढ़ जनपद के बेरीनाग के मूल निवासी गिरीश पंथ की उच्च शिक्षा दिल्ली में हुई. उन्होंने एमबीए फाइनेंस में डिग्री हासिल कर दुबई की एक ओवरसीज कंपनी से 2008 में अपने करियर की शुरुआत. गिरीश का पारिवारिक माहौल समाज सेवा से जुड़ा था. दादा स्वतंत्रता सेनानी थे तो पिता भी समाज सेवा से जुड़े हुए और इसी खानदानी गुण ने उनका पीछा नहीं छोड़ा और उन्होंने दुबई में भी लोगों की मदद करनी शुरू कर दी.

गिरीश बताते हैं की शुरुआती दौर में जब उनके किसी रिश्तेदार की दुबई में मृत्यु हुई तो उनके शव को हिंदुस्तान लाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. इस दौरान उनको दुबई के कानून की जानकारी हो गई, जिसके बाद उन्होंने कई लोगों की मदद की.

Intro:Special Story on International Migrants Day :-

Note- इस ख़बर की फीड FTP पर (uk_deh_05_nri_girish_pant_pkg_7205800) नाम से है।

एंकर- अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस के मौके पर मिलिए उत्तराखंड के उस सपूत से जो देश से बाहर रहकर भी अपने प्रदेश नाम रोशन कर रहा है। उत्तराखंड में पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग से आने वाला गिरीश पिछले कई सालों से दुबई और अन्य देशों में फसे 1 हजार से ज्यादा भारतीयों को अपने वतन लौटा चुका है। देश हित में किए गए इस कार्य को लेकर उन्हें राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित भी किया गया है।


Body:कौन है गिरीश पन्त--
उत्तराखंड पिथौरागढ़ डिस्ट्रिक्ट के बेरीनाग के मूल निवासी गिरीश पंथ की उच्च शिक्षा दिल्ली में हुई। उन्होंने एमबीए फाइनेंस में डिग्री हासिल कर दुबई की एक ओवरसीज कंपनी से 2008 में अपने करियर की शुरुआत। गिरीश का पारिवारिक माहौल समाज सेवा से जुड़ा था, दादा स्वतंत्रता सेनानी थे तो पिता भी समाज सेवा से जुड़े हुए और इसी खानदानी गुण ने उनका पीछा नहीं छोड़ा और उन्होंने दुबई में भी लोगों की मदद करना शुरू कर दी। गिरीश बताते हैं की शुरुआती दौर में जब उनके किसी रिश्तेदार की दुबई में मृत्यु हुई तो उनके शव को हिंदुस्तान लाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा लेकिन उसके बाद उन्हें दुबई के तमाम नियम कानून का पता चल गया और उन्होंने इसके बाद कई लोगों की मदद की।

उत्तराखंड का बजरंगी भाईजान के नाम से है फेमस है गिरीश---

गिरीश की समाज सेवा की औपचारिक शुरुआत उत्तराखंड में आई 2013 की आपदा के बाद से हुई। दरसल 2013 की आपदा के बाद जहां पूरे विश्व से लोग मदद के लिए आगे आ रहे थे तो गिरीश भी दुबई में एकत्रित हुए 400kg राहत सामग्री और गढ़वाल-कुमाऊं क्षेत्र के आपदा पीड़ितों के लिए 6-6 लाख का मुआवजा लेकर अकेले दुबई से दिल्ली और फिर दिल्ली से खराब मौसम में पहाड़ो की ओर चल दिये।

इसके बाद गिरीश की समाजसेवा का सिलसिला चलता रहा और फेक जॉब में फंसे युवा आत्महत्या और दुर्घटना के शव लाने तैयारी के लिए लोग गिरीश को संपर्क करने लगे और दुबई में फंसे अलग-अलग जगह से गिरीश के पास संदेश आने लगे। गिरीश ने हमें बताया कि उत्तराखंड से दुबई काम करने के लिए आए निर्मल रावत दुबई के बीच समुद्र में एक शिप पर 18 महीनों तक फंसे रहे जिसके बाद 11 महीने तक कि लगातार जद्दोजहद के बाद निर्मल रावत को वहां से रेस्क्यू किया गया और अपने वतन वापस भेजा गया इसी तरह से दुबई में फंसे गुजरात के 26 लोगों को गिरीश पंत ने रेस्क्यू किया और अपने वतन वापस भेजा।


सबसे कम उम्र के पहले प्रवासी भारतीय सम्मान विजेता है गिरीश---
पिछले कई सालों से लगातार देश के बाहर फंसे हुए भारतीयों को मदद करने और लोगों को मुसीबत से बाहर निकालने के इस बहादुरी भरे काम को देखते हुए गिरीश पंत को दुबई सहित भारत में भी कई सम्मान प्राप्त हुए हैं जिनमें से हैदराबाद के कुछ युवाओं को रेस्क्यू करवाने के बाद हैदराबाद माइग्रेशन रिसोर्स सेंटर ने 2015 में गिरीश पंत को प्रवासी मित्रता अवार्ड से सम्मानित किया था। तो वही इसी साल जनवरी में प्रयागराज में हुए अंतरराष्ट्रीय प्रवासी सम्मेलन में देश का सबसे कम उम्र और उत्तराखंड का पहला प्रवासी भारतीय सम्मान से गिरीश पंत को सम्मानित किया गया।


बाइट- गिरीश पन्त, प्रवासी उत्तराखंडी


Conclusion:
Last Updated :Dec 18, 2019, 2:15 PM IST
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