विधानसभा में हुई भर्तियों पर सियासत गर्म, CM और मंत्रियों के करीबियों को मिली नौकरी, विपक्ष ने घेरा

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Published : Aug 27, 2022, 7:29 PM IST

Updated : Aug 27, 2022, 9:18 PM IST

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उत्तराखंड में जिस तरह के एक बाद एक भर्तियों में धांधली की बातें सामने आ रही हैं. उसने सरकार को बैकफुट पर ला दिया है. धामी सरकार भले ही UKSSSC paper leak में 25 आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद अपना पीठ थपथपा रही है. लेकिन जिस तरह से भर्तियों का कच्चा चिट्ठा खुल रहा है, वो विपक्ष को हमलावर होने का मौका दे रहा है. उत्तराखंड विधानसभा में हुई साल 2021 में हुई भर्तियां भी कुछ इस तरफ इशारा कर रही है.

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा में हुई भर्ती भाई भतीजावाद की भेंट चढ़ गई (Uttarakhand assembly recruitment scam) है. स्थिति यह है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) के ओएसडी और पीआरओ से लेकर मंत्रियों के पीआरओ और रिश्तेदारों तक को नौकरियां दी गई (Relatives of CM and Ministers got jobs) हैं. बिना परीक्षा के हुई इस भर्ती में ऐसे-ऐसे पेंच हैं, जिसे सुनकर कोई भी हैरान रह (New case of recruitment scam in Uttarakhand) जाएगा. बड़ी बात यह है कि खुद राहुल गांधी ने भी अब अपने सोशल अकाउंट पर उत्तराखंड की इस भर्ती को निशाना बनाते हुए उत्तराखंड सरकार पर सवाल खड़े किए हैं.

उत्तराखंड में बेरोजगार युवाओं को सरकारी सिस्टम मुंह चिढ़ा रहा है, कभी पेपर लीक मामला तो कभी नियम विरुद्ध नियुक्तियों में युवाओं के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लगा दिए हैं, उधर उत्तराखंड विधानसभा में हुई भर्तियां भाई भतीजावाद की ऐसी भेंट चढ़ी कि इसमें तमाम वीवीआईपी के करीबियों ने खूब फायदा (Uttarakhand government job scam) उठाया. अंदाजा लगाइए कि विधानसभा में जब नौकरी में लगाई गई तो इसमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के ओएसडी और पीआरओ के रिश्तेदार ही नहीं, बल्कि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के पीआरओ, मंत्री सतपाल महाराज, रेखा आर्य और प्रेमचंद अग्रवाल (Cabinet Minister Prem Chandra Agarwal) समेत विभिन्न मंत्रियों के रिश्तेदारों और पीआरओ ने आसानी से नियुक्ति पा ली.

विधानसभा में हुई भर्तियों पर सियासत गर्म.
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मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कबूल किया: बता दें कि उत्तराखंड विधानसभा में साल 2021 में 72 लोगों की नियुक्ति की गई. बाकायदा इस मामले बात को पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और वर्तमान में वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने इस बात को कबूल किया है कि बिना विज्ञप्ति के 72 लोगों की नियुक्ति की गई. यही नहीं प्रेमचंद अग्रवाल ने इस बात को भी कबूला कि भर्ती में न सिर्फ उनके बल्कि मंत्रियों और रसूखदार लोगों के रिश्तेदार की नौकरियां विधानसभा में दी गयी.

UKSSSC पर लगे दाग: वैसे आपको बता दें कि उत्तराखंड में पहले ही UKSSSC यानी उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में पेपर लीक का मामला, वन आरक्षी परीक्षा में घपला, न्यायिक सेवा में कनिष्ठ सहायक परीक्षा घपला, सचिवालय रक्षक परीक्षा घपला और 2015 में उत्तराखंड पुलिस में दारोगा भर्ती के मामले पर जांच की जा रही है. उधर 2021 में 72 लोगों की नियुक्ति का ये मामला भी गर्म हो गया है.
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बड़ी बात यह है कि उस समय के विधानसभा अध्यक्ष रहे और वर्तमान में वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल छाती ठोक कर यह कहते हैं कि इस भर्ती में उनके सगे संबंधी और कई मंत्रियों के सगे संबंधी भी शामिल है. क्योंकि वह काबिल थे. वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल इस बात को भी कबूल करते हैं कि 72 लोगों की नियुक्ति बिना विज्ञप्ति निकाले कर दी गई. क्योंकि जरूरत थी.

विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए प्रेमचंद अग्रवाल ने जो नियुक्तियां करवाई उस पर उन्होंने जिस तरह छाती ठोककर कबूलनामा जाहिर किया है, उससे साफ है कि वीवीआईपी के करीबियों को नौकरी देने में उन्हें कुछ गलत नजर नहीं आता. आपको जानकर हैरानी होगी कि विधानसभा में 72 लोगों की नियुक्ति में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के स्टाफ विनोद धामी, ओएसडी सत्यपाल रावत और पीआरओ नंदन बिष्ट के रिश्तेदारों की भी नौकरी लगी है.

उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के पीआरओ राजन रावत को भी नौकरी मिली. उत्तराखंड की कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य के पीआरओ गौरव गर्ग को भी रोजगार दिया गया. भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक के पीआरओ अमित वर्मा को भी विधानसभा में नियुक्ति मिली है. भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक के पीआरओ आलोक शर्मा की पत्नी मीनाक्षी शर्मा को भी नियुक्ति दी गई. उत्तराखंड आरआरएस के कई नेताओं के सगे संबंधियों को भी नियुक्ति मिली.
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विधानसभा में इन पदों पर हुई भर्ती: उत्तराखंड विधानसभा में इन पदों पर हुई भर्तियां अपर निजी सचिव समीक्षा, अधिकारी समीक्षा अधिकारी, लेखा सहायक समीक्षा अधिकारी, शोध एवं संदर्भ, व्यवस्थापक, लेखाकार सहायक लेखाकार, सहायक फोरमैन, सूचीकार, कंप्यूटर ऑपरेटर, कंप्यूटर सहायक, वाहन चालक, स्वागती, रक्षक पुरुष और महिला विधानसभा में बैक डोर में हुई.

नियुक्तियों को लेकर बड़ी बात यह है कि विधानसभा ने विभिन्न पदों के लिए बकायदा विज्ञप्ति भी जारी की. विधानसभा ने जिन 35 लोगों की नियुक्ति के लिए विज्ञप्ति निकाली गई थी, उसकी दो बार परीक्षा रोकी गई. सबसे बड़ी बात यह है कि नियुक्तियों की विज्ञप्ति में अभ्यार्थियों को ₹1000 परीक्षा शुल्क देना पड़ा, 8000 अभ्यार्थियों ने इस परीक्षा के लिए आवेदन किया. परीक्षा कई विवादों के बाद हुई लेकिन अभी तक इस परीक्षा का परिणाम नहीं आया. इसके पीछे हाईकोर्ट में रोस्टर को लेकर परीक्षा पर स्टे लगना बताया गया है. उधर इस बीच बैक डोर से 72 लोगों की नियुक्तियां करवा दी गयी.

हालांकि वित्त मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल कहते हैं कि जिन पदों के लिए विज्ञप्ति निकाली गई थी, उस पर अभी हाईकोर्ट के कारण रोक है और कोई निर्णय आने के बाद इस पर फैसला होगा. जानकारी के अनुसार 72 लोगों में 90% से ज्यादा उत्तराखंड के वीवीआईपी के सगे संबंधी रिश्तेदार यहां तक कि ड्राइवर और घर में खाना बनाने वाले भी विधानसभा में नियुक्ति पाए जाते हैं.
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क्या गजब इत्तेफाक है: 30 दिसंबर 2021 में विधानसभा में नियुक्ति की गई, 72 कर्मचारियों को पहली तनख्वाह का आदेश 30 मार्च 2022 को होता है. क्योंकि इसके ठीक 1 दिन पहले 29 मार्च 2022 को प्रेमचंद अग्रवाल को वित्त विभाग मिल चुका था. वित्त मंत्री ने मान लिया है कि मंत्री और वीवीआईपी लोगों के पीआरओ विधानसभा में नियुक्त किए गए हैं.

विपक्ष सरकार पर हमलावर: उत्तराखंड कांग्रेस ने नियुक्तियों के मामले पर उत्तराखंड के राज्यपाल जनरल गुरमीत सिंह से मुलाकात की और इस मामले पर उच्च स्तरीय जांच की मांग भी की. कांग्रेस के नेता कहते हैं कि विधानसभा में बैक डोर से भाजपा नेताओं ने अपने रिश्तेदारों, पत्नियों, भाई, भांजा, भतीजे, ड्राइवर, कुक की नौकरियां लगवा दी है. इस मामले में जांच होनी चाहिए.

सरकार ने झाड़ा पल्ला: विधानसभा में भर्ती में उठे सवाल के बाद जहां पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और वर्तमान वित्त मंत्री प्रेम चंद्र अग्रवाल पर सवाल खडे उठ रहें हैं. वही अब बीजेपी ने भी इस मामले से पल्ला झाड़ते हुए साफ कर दिया हैं कि विधानसभा मे भर्ती से सरकार का कोई लेना देना नहीं हैं. विधानसभा में किसी को भी रखना या हटाने का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष को ही है. साफ है बीजेपी संगठन ने सरकार का बचाव करते हुए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पर ही इस भर्ती को लेकर जिम्मेदार बता दिया हैं.
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उनके अनुसार भारतीय जनता पार्टी की सरकार में गलत को गलत ही कहा जाएगा और किसी ने गलत किया हो तो उसे बख्शा नहीं जाएगा. उधर उत्तराखंड क्रांति दल के नेता शांति प्रसाद भट्ट ने कहा कि सरकार यदि मानती है कि उनको किसी भी तरह की नियुक्ति कराने का हक है तो विज्ञप्ति निकालने का नाटक क्यों किया जाता है सीधे अपने लोगों की ही भर्ती क्यों नहीं कर दी जाती.

Last Updated :Aug 27, 2022, 9:18 PM IST
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