उत्तराखंड के मदरसों में हो पाएगा 'सुधार', इसीलिए सर्वे का फरमान?

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Published : Sep 13, 2022, 4:21 PM IST

Updated : Sep 13, 2022, 4:54 PM IST

Survey of Madrasas

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के मदरसों का सर्वे कराने की बात कही है. इस बयान के बाद उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स के बयान पर मुहर लग गई है. सर्वे में पता लगाने का प्रयास होगा कि क्या राज्य में मदरसे नियमों के अनुसार चल रहे हैं. कितने मदरसे नियमों के अनुसार नहीं चल रहे हैं.

देहरादून: उत्तर प्रदेश की तरह ही उत्तराखंड में भी सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों (Survey of Madrasas in Uttarakhand) का सर्वे किया जाएगा. मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) ने कहा है ऐसा करना जरूरी है. मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि कई जगह मदरसों को लेकर तमाम तरह की बातें सामने आ रही हैं. इसे देखते हुए उत्तराखंड में भी मदरसों का सर्वे होना जरूरी है.

सीएम धामी ने कहा कि राज्य में मदरसों के चिन्हिकरण की जरूरत है. उत्तराखंड में मदरसों का सर्वे होना जरूरी है. उन्होंने कहा कि मदरसों को लेकर तमाम तरह की बातें सामने आ रही हैं. इसलिए उनका एक बार सर्वे होना जरूरी है, जिससे वस्तु स्थिति एक बार स्पष्ट हो जाए. बताया जाता है कि उत्तराखंड में करीब 103 मदरसे हैं.

500 से अधिक मदरसों को मिलती है सरकारी सहायता: उत्तराखंड वक्फ बोर्ड (Uttarakhand Waqf Board) के अंतर्गत 103 मदरसे हैं, जबकि मदरसा बोर्ड के अधीन 419 हैं. इन सभी को सरकारी सहायता मिलती है. वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स के मुताबिक सर्वे की शुरुआत वक्फ बोर्ड के अधीन संचालित मदरसों से होगी.

  • उत्तराखण्ड में मदरसों के कामकाज, गतिविधियों को लेकर लगातार शिकायतें आ रही हैं, इन शिकायतों को राज्य सरकार द्वारा गंभीरता से लिया जा रहा है, जिसके दृष्टिगत प्रदेश के सभी मदरसों का सर्वे किया जाएगा। pic.twitter.com/519sKt23ad

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क्यों हो रहा सर्वे: अब मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद राज्य में जल्द मदरसों का सर्वे शुरू हो सकता है. सर्वे में पता लगाने का प्रयास होगा कि क्या राज्य में मदरसे नियमों के अनुसार चल रहे हैं. कितने मदरसे नियमों के अनुसार नहीं चल रहे हैं. इसके अलावा मदरसों के रजिस्ट्रेशन की जांच के साथ ही तमाम तरह की जानकारी ली जाएगी. उत्तराखंड सरकार मदरसों के सुदृढ़ीकरण के साथ अवैध तरीके से संचालित हो रहे मदरसों पर नकेल कसने की तैयारी में है. सरकार का मानना है कि देश की सुरक्षा के लिये भी मदरसों के संचालकों और उनके फंडिंग तंत्र पर निगाह रखना जरूरी है.
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डाटा सरकार के पास होगा मौजूद: सर्वे से मदरसों का पूरा डाटा सरकार के पास होगा, जिससे भविष्य में बनायी जाने वाली योजनाओं को लागू करने में आसानी होगी. दरअसल, मदरसों के आतंकी कनेक्शन को देखते हुए ही उत्तर प्रदेश सरकार की तर्ज पर उत्तराखंड वक्फ बोर्ड भी मदरसों का सर्वे कराने जा रहा है. उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स (Uttarakhand Waqf Board Chairman Shadab Shams) का कहना है कि पूरे प्रदेश में 500 से ज्यादा मदरसे संचालित किए जा रहे हैं. जिसमें से 103 मदरसे इस वक्त बोर्ड के अधीन आते हैं.

इनमें राज्य सरकार मुस्लिम छात्रों के शिक्षा, खाने और अन्य सुविधाओं के लिए पैसा देती है. ऐसे में राज्य सरकार का यह पूरा अधिकार है कि वो इन मदरसों का समय-समय पर निरीक्षण करे. इसी के तहत वक्फ बोर्ड उत्तराखंड में मौजूद सभी अपने 103 मदरसों का सर्वे करेगा (Survey of Madrasas in Uttarakhand) और उनमें दी जाने वाली राज्य सरकार की तमाम सुविधाओं का किस तरह से इस्तेमाल किया जा रहा है, इसे सुनिश्चित करेगा.

शादाब शम्स ने आगे कहा कि जल्द ही ऐसे मदरसों का पता लगाया जाएगा जो उससे या उत्तराखंड मदरसा बोर्ड (यूएमबी) से संबद्ध नहीं हैं, जो इस्लामिक पढ़ाई के संस्थानों के लिए एक नियामक संस्था हैं. वक्फ बोर्ड और यूएमबी दो सरकारी संस्थाएं हैं जो मदरसों पर नियंत्रण रखती हैं. इनमें दोनों का उन मदरसों पर इख़्तियार है जो उनके अधिकार क्षेत्र में आते हैं.
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भंग होंगे मदरसे: उन्होंने आगे कहा कि इसका उद्देश्य राज्य में काम कर रहे गैर-पंजीकृत मदरसों का डेटा बेस तैयार करना है और ये पता लगाना है कि वो बोर्ड के साथ पंजीकृत क्यों नहीं हैं. इस कवायद का मकसद ये भी है कि सरकारी-सहायता प्राप्त ऐसे मदरसों का भी पता लगाया जाए, जिन्हें सुधार की जरूरत है. जो मदरसे राज्य वक्फ बोर्ड या यूएमबी के साथ रजिस्टर्ड नहीं हैं, उन्हें एक चेतावनी दी जाएगी या तो रजिस्टर हो जाएं वरना उन्हें भंग कर दिया जाएगा.

शादाब शम्स ने कड़े तेवर दिखाते हुए कहा कि किसी गैर-पंजीकृत मदरसे को उत्तराखंड में काम करने नहीं दिया जाएगा, चाहे कुछ भी हो जाए. मैंने सीएम से बात की है. सर्वे के लिए उन्हें जल्द ही एक औपचारिक प्रस्ताव पेश किया जाएगा. इस घटनाक्रम से दो महीना पहले ही धामी सरकार ने सरकारी सहायता पाने वाले मदरसों को चेतावनी दी थी कि या तो राज्य शिक्षा बोर्ड के साथ संबद्ध हो जाएं, वरना कार्रवाई का सामना करें.

उत्तराखंड में कितने मदरसे हैं? वक्फ बोर्ड के अनुमानों के मुताबिक उत्तराखंड में फिलहाल 522 रजिस्टर्ड मदरसे हैं (419 यूएमबी के साथ और 103 वक्फ बोर्ड के साथ). जबकि तकरीबन इतनी ही संख्या गैर-पंजीकृत मदरसों की है.

मदरसों में आखिर पढ़ाया क्या-क्या जाता है? पहले आपको बताते हैं कि देश में दो तरह के मदरसे हैं. एक मदरसे तो वो हैं, जो चंदे से चलते हैं और दूसरे वो हैं जिन्हें सरकार की ओर से फंड मिलता है. साथ ही मदरसों में भी हॉस्टल सिस्टम भी होता है यानी आप वहां ही रहकर पढ़ाई कर सकते हैं. अब सरकारें लगातार इसके सिस्टम को बदलने की बात करती है और हाल ही में एनसीईआरटी कोर्स लागू होने से लेकर मदरसों को आधुनिक किए जाने जैसे फैसले लिए भी गए हैं.

क्या है मदरसों का सिस्टम: वैसे आमतौर पर प्राइमरी, हाईस्कूल और इंटरमीडिएट और उसके बाद ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएशन के आधार पर पढ़ाई करवाई जाती है. जबकि मदरसों में तहतानिया, फौकानिया और आलिया के स्तर पर तालीम दी जाती है. यहां प्राइमरी स्कूलों को तहतानिया, जूनियर हाईस्कूल लेवल की पढ़ाई को फौकनिया कहा जाता है. उसके बाद आलिया की पढ़ाई होती है, जिसमें मुंशी-मौलवी, आलिम, कामिल, फाजिल की पढ़ाई शामिल है.

क्या होते हैं सब्जेक्ट? सबसे पहले मुंशी/मौलवी की डिग्री होती है, जो सामान्य पैटर्न के हिसाब से दसवीं के बराबर है. वहीं, इसके बाद आलिम की डिग्री होती है, जो बारहवीं के बराबर होती है. इसके बाद ग्रेजुएशन को कामिल और पोस्ट ग्रेजुएशन को फाजिल कहा जाता है. वैसे पढ़ाई में धार्मिक शिक्षा के साथ ही कई अन्य विषयों की पढ़ाई भी करवाई जाती है, लेकिन कई विषयों के नाम उर्दू में ही होते हैं. जैसे- मुंशी से लेकर फाजिल तक बच्चे हिंदी, गृह विज्ञान, सामान्य हिंदी, विज्ञान के साथ ही मुताल-ए-हदीस, मुताल-ए-मजाहिब, फुनूदे अदब, बलागत, मुताल-ए-फिक्ह इस्लामी, मुताल-ए-उसूले फिक्ह आदि की पढ़ाई करते हैं.

Last Updated :Sep 13, 2022, 4:54 PM IST
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