विधानसभा भर्ती घोटाला: 228 नियुक्तियां रद्द करने का प्रस्ताव शासन को भेजा, विधानसभा सचिव तत्काल प्रभाव से निलंबित

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Published : Sep 23, 2022, 11:13 AM IST

Updated : Sep 23, 2022, 2:39 PM IST

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उत्तराखंड विधानसभा भर्ती प्रकरण (Uttarakhand Assembly Recruitment Scam) के संबंध में कोटिया जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट गुरुवार देर रात विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण को सौंपी. विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने इस संबंध में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बताया कि समिति ने नियुक्तियां रद्द करने की संस्तुति की है. 228 नियुक्तियों को रद्द करने का प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है.

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा भर्ती प्रकरण (Uttarakhand Assembly Recruitment Scam) के संबंध में जांच रिपोर्ट कोटिया जांच समिति ने गुरुवार को देर रात्रि विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण को सौंपी. विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि वो दो दिन के अपने विधानसभा क्षेत्र कोटद्वार के भ्रमण कार्यक्रम पर थीं. गुरुवार देर रात देहरादून उनके शासकीय आवास पर पहुंचने पर जांच समिति ने उन्हें रिपोर्ट सौंप दी.

विधानसभा अध्यक्ष (uttarakhand speaker ritu khanduri) ने बताया कि जांच रिपोर्ट सौंपते समय जांच समिति के अध्यक्ष डीके कोटिया, एसएस रावत एवं अवनेंद्र सिंह नयाल मौजूद रहे. विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने इस संबंध में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बताया कि समिति ने नियुक्तियां रद्द करने की संस्तुति की है. नियुक्तियां रद्द करने का प्रस्ताव शासन को भेज दिया है. 2016 से 2022 तक की कुल 228 तदर्थ नियुक्तियों को रद्द करने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है. वहीं, विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल की भूमिका को संदेह के घेरे में पाते हुए उनको तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है.

विधानसभा भर्ती घोटाले में बड़ा एक्शन

इन भर्तियों को निरस्त करने की संस्तुति: जांच रिपोर्ट मिलने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने साल 2016 की 150 भर्तियां, साल 2020 की 6 भर्तियां और 2021 की 72 तदर्थ भर्तियों को निरस्त करने की संस्तुति शासन को भेजी है.

  1. विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी की मुख्य बातें- विशेषज्ञ समिति की जांच रिपोर्ट 20 दिन में तैयार हुई.
  2. 1 महीने से पहले रिपार्ट तैयार की गई.
  3. 2016 और 2021 में नियुक्तियों में अधिक गड़बड़ियां थीं.
  4. नियमों विरुद्ध नियुक्तियों को निरस्त करने का सुझाव समिति ने दिया.
  5. इन नियुक्तियों में किसी तरह का विज्ञापन जारी नहीं किया गया.
  6. कोई परीक्षा आयोजित नहीं की गई.
  7. साल 2016 से 2022 तक की कुल 228 तदर्थ नियुक्तियों को रद्द करने का प्रस्ताव शासन को भेजा.
  8. उपनल से भरे गए 22 पदों को भी तत्काल प्रभाव से निरस्त.
  9. 32 पदों पर हुई सीधी भर्तियों को तत्काल प्रभाव से निरस्त.
  10. विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल की भूमिका सवालों के घेरे में, तत्काल प्रभाव से निलंबित.
  11. 2011 से पहले की भर्तियां पाई गईं सही. इन भर्तियों का नियमितीकरण हो चुका था.

विधानसभा में 72 लोगों की नियुक्ति: बता दें कि, विधानसभा में भर्ती के लिए जमकर भाई-भतीजावाद किया गया है. विधानसभा में 72 लोगों की नियुक्ति में वर्तमान मंत्री व तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के पीआरओ की पत्नी और रिश्तेदार को भी नौकरी दी गई है. पूर्व बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के एक पीआरओ आलोक शर्मा की पत्नी मीनाक्षी शर्मा ने विधानसभा में नौकरी पाई है तो दूसरे की पत्नी आसानी से विधानसभा में नौकरी लेने में कामयाब हो गई.

बिना किसी परीक्षा के पिक एंड चूज के आधार पर सतपाल महाराज के पीआरओ राजन रावत भी विधानसभा में नौकरी पर लग गए. इसके अलावा रेखा आर्य के पीआरओ और भाजपा संगठन महामंत्री के करीबी गौरव गर्ग को भी विधानसभा में नौकरी मिली है. मामला इतना ही नहीं है, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बड़े पदाधिकारियों के करीबी और रिश्तेदार भी विधानसभा में एडजस्ट किए जाने के आरोप हैं. भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक के पीआरओ आलोक शर्मा की पत्नी मीनाक्षी शर्मा को भी नियुक्ति दी गई. उत्तराखंड आरआरएस के कई नेताओं के सगे संबंधियों को भी नियुक्ति मिलने के आरोप हैं.

इन पदों पर हुई थीं भर्तियां: अपर निजी सचिव समीक्षा, अधिकारी समीक्षा अधिकारी, लेखा सहायक समीक्षा अधिकारी, शोध एवं संदर्भ, व्यवस्थापक, लेखाकार सहायक लेखाकार, सहायक फोरमैन, सूचीकार, कंप्यूटर ऑपरेटर, कंप्यूटर सहायक, वाहन चालक, स्वागती, रक्षक पुरुष और महिला. इस तरह विधानसभा में जबरदस्त तरीके से भाई भतीजावाद करने पर भाजपा सरकार में ही मुख्यमंत्री रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मामले की जांच करवाने की मांग की थी.

Last Updated :Sep 23, 2022, 2:39 PM IST
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