उत्तराखंड में इगास बग्वाल की धूम, देशभर से मिली बधाइयां, सेल्फी भेजें और जीतें इनाम

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Published : Nov 4, 2022, 9:58 AM IST

Updated : Nov 4, 2022, 6:18 PM IST

Igas festival

आज इगास है. उत्तराखंड की संस्कृति व विरासत का परिचय कराता पर्व है इगास. दीपावली के 11 दिन बाद मनाया जाने वाला लोकपर्व इगास- बग्वाल आज उल्लास के साथ मनाया जाएगा. भैलो व पारंपरिक नृत्य के साथ पहाड़ी व्यंजनों की खुशबू गांव ही नहीं शहर तक महकेगी. इस मौके पर पहाड़ से लेकर मैदान तक अनेक कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है. उत्तराखंड सरकार ने इगास पर्व पर अवकाश भी घोषित किया है. पीएम मोदी, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह समेत सीएम धामी ने प्रदेश वासियों को इगास की बधाई दी है. इगास पर आप इनाम भी जीत सकते हैं. इनाम कैसे जीतेंगे पढ़िए पूरी खबर.

देहरादून: उत्तराखंड में बग्वाल, इगास मनाने की परंपरा है. दीपावली को यहां बग्वाल कहा जाता है, जबकि बग्वाल के 11 दिन बाद एक और दीपावली मनाई जाती है, जिसे इगास कहते हैं. पहाड़ की लोक संस्कृति से जुड़े इगास पर्व के दिन घरों की साफ-सफाई के बाद मीठे पकवान बनाए जाते हैं और देवी-देवताओं की पूजा की जाती है. उत्तराखंड सरकार ने इस त्यौहार में रस घोलते हुए आज अवकाश की घोषणा भी की है. इससे लोगों का उत्साह दोगुना हो गया है. वहीं, इस खास दिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह समेत कई दिग्गज नेताओं में प्रदेशवासियों को बधाई दी है.

त्यौहार और उत्सव के मौसम में उत्तराखंड का जिक्र न आए यह संभव ही नहीं है. देशभर में दीपावली का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया गया. ये भारत की खूबसूरती ही है कि अलग-अलग प्रान्तों में दीपावली का त्यौहार प्रकाश पर्व के साथ-साथ अपने वर्षों पुरानी परंपरागत तौर-तरीकों के साथ मनाया जाता है. ऐसा ही उत्तराखंड में भी दीपावली को एक अनूठे अंदाज में मनाने की परंपरा है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश वासियों को इगास पर्व की बधाई दी है.

  • आप सभैं प्रदेशवासियों के इगास/बूढ़ी दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं !

    आओ, हम सभैं मिलीजुली बेरि बुढी दिवाली मनूनू और अपणी नय पीढि के अपणी महान लोक संस्कृति दगाडा जोडनू। लोक पर्व बूढी दिवाली हमरी समृद्ध संस्कृति की पछयाण छ। यैके यादगार बणूने कि थे हमले राजकीय अवकाश की घोषणा करी रा।

    — Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) November 4, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

सीएम ने गढ़वाली में ट्वीट किया- आप सभैं प्रदेशवासियों के इगास/बूढ़ी दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं ! आओ, हम सभैं मिलीजुली बेरि बुढी दिवाली मनूनू और अपणी नय पीढि के अपणी महान लोक संस्कृति दगाडा जोडनू। लोक पर्व बूढी दिवाली हमरी समृद्ध संस्कृति की पछयाण छ। यैके यादगार बणूने कि थे हमले राजकीय अवकाश की घोषणा करी रा।

  • हमारी सरकार ने इगास/बूढ़ी दिवाली के अवसर पर 3 भाग्यशाली विजेताओं को प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान करने का निर्णय लिया है।#इगास मनाते हुए आप भी अपने परिवार के साथ सेल्फी लेकर #SelfieWithFamily हैशटैग के साथ अपनी फ़ोटो सोशल मीडिया पर अपलोड कर उपहार जीतने का अवसर प्राप्त कर सकते हैं। pic.twitter.com/oYvBcgDNC9

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इगास पर जीतें इनाम: इसके साथ ही उत्तराखंड सरकार इगास पर इनाम लेकर भी आई है. सीएम धामी ने खुद इसकी जानकारी देते हुए बताया है कि- हमारी सरकार ने इगास/बूढ़ी दिवाली के अवसर पर 3 भाग्यशाली विजेताओं को प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान करने का निर्णय लिया है। इगास मनाते हुए आप भी अपने परिवार के साथ सेल्फी लेकर SelfieWithFamily हैशटैग के साथ अपनी फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड कर उपहार जीतने का अवसर प्राप्त कर सकते हैं.

  • देवोत्थान एकादशी और इगास के पावन पर्व की आपको एवं विशेष रूप से उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के सभी भाइयों-बहनों को हार्दिक शुभकामनाएं। यह पर्व आप सभी के जीवन में समृद्धि, स्वास्थ्य और सुख की अभिवृद्धि करे, यही मंगलकामना है।

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महाराज ने दी शुभकामनाएं: वहीं, प्रदेश के पर्यटन, लोक निर्माण, पंचायतीराज, ग्रामीण निर्माण, सिंचाई, जलागम, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने भी उत्तराखंड के सांस्कृतिक लोक पर्व इगास-बग्वाल पर्व बूढ़ी दिवाली पर शुभकामनायें देते हुए प्रदेशवासियों को अपनी संस्कृति से जुड़ने के साथ-साथ उत्साह व उमंग के साथ मनाने का अनुरोध किया है. महाराज ने बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के बाद जब अयोध्या लौटे थे, तो लोगों ने अपने घरों में दीये जलाकर उनका स्वागत किया था. कहा जाता है कि भगवान श्रीराम के वनवास से लौटने की सूचना गढ़वाल मंडल के पर्वतीय क्षेत्रों में दीपावली के 11 दिन बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी को पहुंची. तभी से यहां दीपावली के 11 दिन बाद बूढ़ी दिवाली इगास (बगवाल) मनाई जाती है.

इगास बग्वाल की विशेषता बताते कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज.

उन्होंने कहा कि इगास, बग्वाल पर्व को लेकर ये और मान्यता है कि 17वीं शताब्दी में गढ़वाल के प्रसिद्ध भड़ (योद्धा) वीर माधो सिंह भंडारी की सेना दुश्मनों को परास्त कर दीपावली के 11 दिन बाद जब वापस लौटी तो स्थानीय लोगों ने दीये जलाकर सैनिकों का स्वागत किया, तभी से गढ़वाल में यह लोक पर्व धूमधाम से मनाया जाने लगा.

क्या है इगास पर्वः उत्तराखंड में बग्वाल, इगास मनाने की परंपरा है. दीपावली को यहां बग्वाल कहा जाता है, जबकि बग्वाल के 11 दिन बाद एक और दीपावली मनाई जाती है, जिसे इगास कहते हैं. पहाड़ की लोक संस्कृति से जुड़े इगास पर्व के दिन घरों की साफ-सफाई के बाद मीठे पकवान बनाए जाते हैं और देवी-देवताओं की पूजा की जाती है. साथ ही गाय व बैलों की पूजा की जाती है. शाम के वक्त गांव के किसी खाली खेत अथवा खलिहान में नृत्य के भैलो खेला जाता है. भैलो एक प्रकार की मशाल होती है, जिसे नृत्य के दौरान घुमाया जाता है. इगास पर पटाखों का प्रयोग नहीं किया जाता है.
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11वें दिन इसलिए मनाई जाती है इगासः एक मान्यता ये भी है कि जब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे, तो लोगों ने घी के दीये जलाकर उनका स्वागत किया था. लेकिन, गढ़वाल क्षेत्र में भगवान राम के लौटने की सूचना दीपावली के ग्यारह दिन बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी को मिली थी, इसलिए ग्रामीणों ने खुशी जाहिर करते हुए एकादशी को दीपावली का उत्सव मनाया था.

ये है दूसरी मान्यता: दूसरी मान्यता है कि दिवाली के वक्त गढ़वाल के वीर माधो सिंह भंडारी के नेतृत्व में गढ़वाल की सेना ने दापाघाट और तिब्बत का युद्ध जीतकर विजय प्राप्त की थी और दिवाली के ठीक 11वें दिन गढ़वाल सेना अपने घर पहुंची थी. युद्ध जीतने और सैनिकों के घर पहुंचने की खुशी में उस समय दिवाली मनाई गई थी.
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एक और कथा भी है: एक और ऐसी ही कथा है कि चंबा का रहने वाला एक व्यक्ति भैलो बनाने के लिए लकड़ी लेने जंगल गया था और ग्यारह दिन तक वापस नहीं आया. उसके दुख में वहां के लोगों ने दीपावली नहीं मनाई. जब वो व्यक्ति वापस लौटा तभी ये पर्व मनाया गया और लोक खेल भैलो खेला. तब से इगास बग्वाल के दिन दिवाली मनाने और भैलो खेलने की परंपरा शुरू हुई.

क्या है इगास बग्वालः गढ़वाल में 4 बग्वाल होती हैं. पहली बग्वाल कर्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को होती है. दूसरी अमावस्या को पूरे देश की तरह गढ़वाल में भी अपनी लोक परंपराओं के साथ मनाई जाती है. तीसरी बग्वाल बड़ी बग्वाल (दिवाली) के ठीक 11 दिन बाद आने वाली, कर्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है. गढ़वाली में एकादशी को इगास कहते हैं. इसलिए इसे इगास बग्वाल के नाम से जाना जाता है. चौथी बग्वाल आती है दूसरी बग्वाल या बड़ी बग्वाल के ठीक एक महीने बाद मार्गशीष माह की अमावस्या तिथि को. इसे रिख बग्वाल कहते हैं. यह गढ़वाल के जौनपुर, थौलधार, प्रतापनगर, रंवाई, चमियाला आदि क्षेत्रों में मनाई जाती है.

Last Updated :Nov 4, 2022, 6:18 PM IST
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