सर्वाइकल कैंसर की वजह से जा रही महिलाओं की जान, किशोरियां लगवाएं ये टीका, कम होगा खतरा!

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Published : Jan 20, 2023, 6:46 PM IST

Updated : Feb 4, 2024, 12:03 PM IST

cervical cancer awareness month

अब महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की बीमारी आम हो गई है. इसके अलावा कम उम्र में ही युवतियां भी सर्वाइकल कैंसर की जद में आ रही हैं. अगर 9 से 14 साल की उम्र किशोरियों को एचपीवी का वैक्सीन लगाए जाए तो उन्हें सर्वाइकल कैंसर का जोखिम कम हो जाता है. वहीं, ग्रामीण इलाकों में महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर को लेकर जागरूकता की कमी और लक्षणों को गंभीरता से नहीं लेना भी उनकी मौत का बड़ा कारण बनता है. जानिए सर्वाइकल कैंसर के लक्षण क्या होते हैं और कैसे बचाव किया जा सकता है...

सर्वाइकल कैंसर की जानकारी देतीं डॉक्टर.

देहरादूनः दुनियाभर में महिलाओं की मौत में सर्वाइकल कैंसर भी बड़ा कारण है. यही वजह है कि जनवरी को सर्वाइकल कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है. सर्वाइकल कैंसर यानी गर्भाशय ग्रीवा कैंसर का खतरा तकरीबन हर महिला को होता है. अगर समय पर जांच और इलाज किया जाए तो इसके खतरे को कम किया जा सकता है. यह कैंसर कई वजहों से हो सकता है. ऐसे में एचपीवी की टीकाकरण कुछ हद तक प्रभावी माना जाता है.

अगर सर्वाइकल कैंसर के प्रति जागरूकता की बात करें तो हर 10 में से केवल 2 महिलाएं ही इसके बारे में जानती हैं. जो मृत्युदर को बढ़ा सकती है. क्योंकि, आमतौर पर महिलाएं डॉक्टर के पास तब पहुंचती हैं, जब कैंसर को पूरी तरह से ठीक कर पाना मुश्किल होता है. ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) सेक्स से फैलने वाले संक्रमण से होता है. एचपीवी होने वाले कई लोगों में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन वो सेक्स संबंध के माध्यम से दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं. आमतौर पर यह संक्रमण बिना किसी हस्तक्षेप के भी दूर हो जाते हैं, लेकिन यदि संक्रमण बना रहता है तो यह कैंसर कुछ महीनों के भीतर विकसित हो सकता है.

देहरादून मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की निदेशक प्रसूति एवं स्त्री रोग डॉक्टर लूना पंत ने सर्वाइकल कैंसर और बड़े जोखिम वाले एचपीवी के संबंध में जानकारी दी. जिसमें उन्होंने बताया कि एचपीवी के जोखिम वाले प्रकारों से गर्भाशय का कैंसर हो सकता है. एचपीवी बढ़ने और गर्भाशय कैंसर के कई कारण हैं. जिनमें धूम्रपान, कम उम्र विवाह, कम उम्र में गर्भधारण, असुरक्षित यौन संबंध और गर्भ निरोधक गोलियों का ज्यादा इस्तेमाल शामिल हैं. ऐसे में किशोरियों को समय रहते गर्भाशय के कैंसर और कारणों से अवगत कराया जाना चाहिए.
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ज्यादातर महिलाओं में शुरुआती कैंसर के कोई लक्षण नहीं होते हैं. प्रारंभिक चरण में कुछ महिलाओं में आमतौर पर लक्षण दिखाई दे सकते हैं. मेटास्टैटिक कैंसर में लक्षण उसके अंगों के आधार पर ज्यादा गंभीर हो सकते हैं. जिनमें यह बीमारी फैल गई है. किसी भी लक्षण का कारण कोई अन्य वजह भी हो सकता है, जो कि कैंसर न हो. इसलिए महिलाओं को डॉक्टरों की सलाह लेनी चाहिए. खासकर ऐसे लक्षण, जो दवा लेने से भी दूर न हो रहा हो.

सर्वाइकल कैंसर के लक्षणः देहरादून मैक्स अस्पताल की ऑन्कोलॉजी कंसलटेंट डॉक्टर रुनु शर्मा बताती हैं कि सर्वाइकल कैंसर के लक्षण या कारणों में खून के धब्बे या हल्के रक्तस्राव होता है. इसके अलावा मासिक धर्म का रक्तस्राव सामान्य से ज्यादा और लंबे समय तक होता है. कुछ लक्षणों में सेक्स के बाद रक्तस्राव, योनि स्राव में वृद्धि, सेक्स के दौरान दर्द, रजोनिवृत्ति या लगातार पीठ दर्द के बाद रक्तस्राव है. ऐसे में 30 वर्ष या उससे अधिक उम्र की महिलाओं को नियमित रूप से सर्वाइकल कैंसर की जांच करानी चाहिए. स्क्रीनिंग सस्ती और आसानी से कैंसर का पता लगा सकती हैं. नियमित जांच के साथ और शुरुआती चरणों में गर्भाशय के कैंसर का पता लगाया जाए तो जान को बचाना संभव हो जाता है.
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ग्रामीण इलाकों में महिलाएं खुलकर नहीं बता पाती परेशानीः डॉक्टर रुनु शर्मा ने बताया कि सर्वाइकल कैंसर के बारे में जागरूकता भारत में खासकर ग्रामीण इलाकों में बहुत कम है, क्योंकि महिलाएं अक्सर शर्माती हैं और अपने लक्षणों पर खुलकर चर्चा नहीं करना चाहती हैं. हालांकि, इसके टीके उपलब्ध हैं. महिलाओं को उनके बारे में पता ही नहीं है. अगर पता भी है तो वो इसे लगवाने के लिए सहज नहीं हो पाती हैं.

लड़कियों में 9 से 14 साल की उम्र में लगवानी चाहिए वैक्सीनः लड़कियों में खासकर 9 से 14 साल की उम्र में सर्वाइकल कैंसर का टीका एचपीवी लगवाना चाहिए. इसकी 2 खुराक दी जाती है. जो 0 और 6 महीने में दी जाती है. इसके लिए किसी बूस्टर की आवश्यकता नहीं होती है. 14 साल की उम्र के बाद भी टीकाकरण 0, 1 और 6 महीने पर दिया जा सकता है. लड़कियों को यौन संबंध बनाने से पहले ही यह टीकाकरण करवा लेना चाहिए.
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सर्वाइकल कैंसर से कैसे बचें? एचपीवी संक्रमण को रोकने के लिए टीकाकरण करवाएं. जिससे सर्वाइकल कैंसर और अन्य एचपीवी से संबंधित कैंसर का खतरा कम हो सकता है. नियमित रूप से पैप टेस्ट करवाएं. पैप परीक्षण से गर्भाशय ग्रीवा की अनिश्चित स्थितियों का पता लगा सकते हैं, जिससे उनकी निगरानी या इलाज किया जा सकता है. पैप टेस्ट 21 साल की उम्र के बाद हर 3 साल में एक बार करवाना चाहिए.

यदि पैप टेस्ट एक संक्रमण के अलावा कुछ और परिणाम देता है तो समस्या यानी बीमारी को जानने के लिए अन्य टेस्ट करवानी चाहिए. कुछ मामलों में एक एचपीवी डीएनए टेस्ट भी महिला के गर्भाशय पर एचपीवी का पता लगा सकता है. सुरक्षित सेक्स अपनानी चाहिए. यौन संक्रमणों को रोकने के लिए सेक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके अलावा धूम्रपान करने से बचना चाहिए.

क्यों होता है कैंसरः दरअसल, कैंसर की बीमारी में शरीर में कोशिकाओं के समूह की अनियंत्रित वृद्धि होती है. जब ये कोशिकाएं टिश्यू को प्रभावित करती है. जिससे कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाता है. किसी भी उम्र में कैंसर हो सकता है. सही समय पर यदि कैंसर का पता नहीं चला या फिर इलाज नहीं किया गया तो मौत का जोखिम ज्यादा होता है. कैंसर कई तरह के होते हैं, जिसमें स्तन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, गर्भाशय कैंसर, किडनी कैंसर, लंग कैंसर, त्वचा कैंसर. स्टमक कैंसर, थायराइड कैंसर, मुंह और गले का कैंसर आदि. कैंसर के इलाज में कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी का सहारा लिया जाता है.
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Last Updated :Feb 4, 2024, 12:03 PM IST
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