फिर हरकत में हरक! अब कहां निशाना?

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Published : Jul 13, 2022, 9:10 PM IST

Updated : Jul 14, 2022, 5:07 PM IST

Harak Singh Rawat again active in Uttarakhand politics

कांग्रेस में हरक सिंह रावत एक बार फिर से एक्टिव हो गये हैं. इस बार हरक सिंह रावत की सक्रियता हरीश रावत के विरोधी गुट की नजदीकियों के साथ शुरू हुई हैं. साथ ही एक्टिव होते ही हरक सिंह रावत ने हरीश रावत के साथ ही कांग्रेस संगठन पर भी सुलगते सवाल दागे हैं. हरक सिंह रावत कांग्रेस में एक बार फिर से खुद को लीडर के तौर पर दिखा रहे हैं. हरक सिंह की सक्रियता और समय को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.

देहरादून: विधानसभा चुनावों के बाद प्रदेश में कांग्रेस की हालत और भी खराब हो गई है. हर बीतते दिन के साथ कांग्रेस के नेता पार्टी छोड़ रहे हैं. इस बीच कद्दावर नेता हरक सिंह रावत फिर से एक्टिव हो गये हैं. विधानसभा चुनाव में निष्क्रिय रहने वाले हरक सिंह रावत पिछले दो तीन दिनों से काफी सक्रिय नजर आ रहे हैं. कभी वे देहरादून में पार्टी के बड़े नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं तो कभी वे हरिद्वार में संतों से मुलाकात कर रहे हैं.

लंबे समय से उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहने वाले हरक सिंह रावत के बारे में हर कोई जानता है. वह जब तक जिस भी पद पर रहे उन्होंने अपनी ही अलग राजनीति चलाई है. जब वह सत्ता में रहे तब भी और विपक्ष में रहे तब भी सरकारी ट्रीटमेंट हमेशा ही उन्हें मिलता रहा है. विपक्ष के नेता से कैबिनेट मंत्री जैसे कई पदों पर रहे हरक सिंह रावत उत्तराखंड की राजनीति में अपनी धमक रखते हैं. चुनाव बीत जाने के बाद से हरक सिंह रावत ना तो राजनीतिक रूप से कहीं दिखाई दिए और न ही वे पार्टी के कार्यक्रमों में दिखाई दिये. मगर बीते दिनों हुए घटनाक्रम के बाद एकाएक हरक सिंह रावत फिर से चर्चाओं में हैं.

फिर से हरकत में हरक सिंह

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बीते दिनों हरक सिंह रावत के आवास पर कांग्रेसी नेताओं का जमावड़ा लगा. प्रीतम सिंह, विजयपाल सजवण, भुवन कापड़ी, लालचंद शर्मा उनके आवास पर उनसे मिलने पहुंचे. बैठक के बाद हरक सिंह रावत ने आज एक बार फिर अपने चिर-परिचित अंदाज में कई सवाल उठाए, जिसमें उन्होंने कांग्रेस संगठन को निशाने पर लिया और हरीश रावत के बयानों को लेकर प्रतिक्रिया दी थी. इस बैठक के बाद कई तरह के सवाल खड़े होने के साथ ही हरक सिंह रावत के एक्टिव होने के समय पर चर्चाएं तेज होने लगी.

कहा जा रहा है कि आने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए हरक सिंह रावत एक्टिव हो गये हैं. जानकार बताते हैं कि हरक सिंह रावत को हरीश रावत के विरोधी गुट का साथ भी मिला है. जिसमें प्रीतम सिंह सबसे बड़े चेहरा हैं. प्रीतम सिंह जिन नेताओं को साथ में लेकर चल रहे हैं, उनमें अब हरक सिंह रावत का नाम भी जुड़ गया है. हरक सिंह रावत ने बीते दिनों अपने घर में हुई बैठक के बाद सीधे तौर पर हर हरीश रावत पर यह आरोप लगाए थे कि विपक्ष का जो काम है, वह कांग्रेस पार्टी ठीक ढंग से नहीं कर रही है.

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हरक सिंह रावत की लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा: दरअसल, इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह यह भी है कि हरक सिंह रावत हरिद्वार से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं. हरक सिंह रावत के मन में यह बात है कि वह पौड़ी से भी लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं. ऊपर से बीते दिनों पौड़ी की लैंसडाउन सीट से ही उनकी बहू अनुकृति गुसाईं को हार का सामना करना पड़ा था. लिहाजा अब हरक सिंह रावत हरिद्वार में रहकर लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं. हरक सिंह रावत को पता है कि अगर वह कांग्रेस में रहकर हरिद्वार से लोकसभा चुनाव का टिकट मांगेंगे तो पार्टी में उनका विरोध सबसे पहले हरीश रावत ही करेंगे.

हरीश रावत कर सकते हैं हरक का विरोध: हरक सिंह जानते हैं कि हरीश रावत मौजूदा समय में सीडब्ल्यूसी के मेंबर हैं. यह बात भी किसी से छिपी नहीं है कि उत्तराखंड में कांग्रेस का चुनाव हो या अन्य कोई भी फैसला, हरीश रावत से सलाह के बिना यहां कुछ भी नहीं होता. ऐसे में हरक सिंह रावत ने पार्टी के एक बड़े धड़े को अपने साथ जोड़ा है. प्रीतम सिंह गुट के साथ ही कुमाऊं से भुवन कापड़ी जैसे नेताओं का समर्थन हरक सिंह रावत को मिल गया है.

हरक सिंह रावत ने अपनी मंशा को हरिद्वार जाकर भी जाहिर कर दिया है. उन्होंने ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी के आश्रम पहुंचकर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से मुलाकात की. साथ ही साथ मीडिया में भी सार्वजनिक तौर पर यह बात रख दी के हरिद्वार या पौड़ी से वह लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं. इशारों ही इशारों में हरक सिंह रावत ने हरिद्वार लोकसभा सीट को अपनी प्राथमिकता बताया.

कहीं हरक फिर से तो नहीं खेल रहे प्रेशर पॉलिटिक्स: हरक सिंह रावत के बारे में कहा जाता है कि वह प्रेशर पॉलिटिक्स में माहिर हैं. पुष्कर सिंह धामी सरकार में भी उन्होंने जिस तरह से कोटद्वार मेडिकल कॉलेज को लेकर आखिरी समय तक दबाव बनाकर अपनी बात मनवाई, वो इसका ताजा उदाहरण है. इसके बाद मुख्यमंत्री को खुद उन्हें घर पर बुलाकर इसकी घोषणा करनी पड़ी. इतना ही नहीं प्रधानमंत्री से लेकर गृहमंत्री अमित शाह तक हरक सिंह रावत के मिजाज को समझते हैं.

अब कांग्रेस में आने के बाद एक बार फिर से न केवल पार्टी के बड़े नेताओं बल्कि हरीश रावत सहित उनके गुट पर भी हरक सिंह रावत ने दबाव बनाना शुरू कर दिया है. जानकार तो यह तक कह रहे हैं कि अगर मौजूदा समय में भी हरक सिंह रावत की सुनी नहीं गई तो वह एक बार फिर से कांग्रेस पार्टी के विपरीत कोई भी फैसला लेने से पीछे नहीं हटेंगे.

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बता दें हरक सिंह रावत के ट्विटर पेज पर आज भी अंतिम ट्वीट वही है जिसमें वह बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ दिखाई दे रहे हैं. हरक सिंह रावत का जिस तरह से राजनीतिक इतिहास बीते 10 सालों में रहा है. उसके बाद अगर वह कांग्रेस का पाला बदल भी लें तो कोई बड़ी बात नहीं होगी. वैसे भी अभी 2 दिन पहले हरक सिंह रावत ने महाराष्ट्र के गवर्नर और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और पुष्कर सिंह धामी के राजनीतिक गुरु भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की थी. तब इस मुलाकात को उन्होंने औपचारिक शिष्टाचार भेंट बताया था. मगर राजनीति में कब क्या हो जाए, यह वही लोग अच्छी तरह से समझ सकते हैं. जिन्होंने उत्तराखंड की राजनीति को नजदीक से देखा और समझा है.

हरीश रावत और दिलीप रावत का हरक पर हमला: हरीश रावत ने कहा हरक सिंह रावत जिस तरह से उन्हें राजनीति में टोने-टोटके ना करने की सलाह दे रहे हैं तो वह उन्हें बता दें कि लगातार एक विपक्ष के नेता होने के नाते वह सड़कों पर हैं. अग्निवीर योजना हो या अन्य मुद्दे, वे सभी को लेकर अकेले ही सड़क पर आंदोलन कर रहे हैं. हरीश रावत ने चुटकी लेते हुए हरक को यहां तक कह दिया कि मेरी भूमिका मेरी पार्टी में जेठानी की तरह है, जो सभी देवरानियों को जगाती रहती है. पार्टी के कुछ नेता जो नींद में थे, उन्हें मैंने जगाने का काम किया है. सीधे तौर पर हरीश रावत का इशारा और कटाक्ष हरक सिंह रावत पर था.

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हरीश रावत और हरक सिंह रावत के बीच हुई तनातनी का मौके का फायदा बीजेपी नेता और लैंसडाउन से विधायक दिलीप रावत ने भी उठाया. दिलीप रावत ने कहा हरक सिंह रावत ने अपनी पुत्रवधु अनुकृति गुसाईं को विधानसभा चुनाव हरवाया है. अब एक बार फिर से वह बयानबाजी कर रहे हैं. दिलीप रावत ने कहा भाजपा एक समुद्र की तरह है और गंदे नाले उनमे समाहित हो जाते हैं. इतना ही नहीं अभी भले हरक सिंह के बीजेपी में जाने ना जाने की बात हवा हवाई हो, लेकिन दिलीप रावत तो उनसे अभी से अपने गिरेबां में झांककर बीजेपी में आने की सलाह दे रहे हैं.

कांग्रेस के पास अब बचे कुछ ही पदाधिकारी: उत्तराखंड में कांग्रेस बुरे दौर से गुजर रही है. आपसी गुटबाजी ने पार्टी को प्रदेश से खत्म कर दिया है. पहले किशोर उपाध्याय ने पार्टी का साथ छोड़ा. उसके बाद एक-एक कर पार्टी छोड़ने वालों की संख्या बढ़ती गई. कांग्रेस छोड़कर नेता बीजेपी और आम आदमी पार्टी का दामन थाम रहे हैं. जिससे कांग्रेस हर बीतते दिन के साथ कमजोर हो रही है.

अब एक बार फिर से हरीश रावत और हरक सिंह की जोर आजमाइश पार्टी में देखने को मिल रही है. रही सही कसर गुटबाजी पूरी कर रहा है. कांग्रेस में हरीश और प्रीतम गुट एक्टिव हैं. जिसके कारण भी कांग्रेस किसी मुद्दे पर एकजुट नहीं हो पा रही है. ऐसे में हरक सिंह रावत की कांग्रेस में एंट्री और प्रीतम गुट के साथ मेल मुलाकातों का दौर भविष्य में क्या गुल खिलाएगा, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

Last Updated :Jul 14, 2022, 5:07 PM IST
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