जानिए रक्षामंत्री के देवभूमि दौरे के सियासी मायने, क्यों माना जा रहा अहम

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Published : Nov 20, 2021, 7:32 AM IST

Updated : Nov 20, 2021, 10:04 AM IST

Defense Minister Rajnath Singh

प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव जल्द होने वाले हैं, ऐसे में चुनाव से ठीक पहले रक्षामंत्री का यह दौरा काफी अहम माना जा रहा है.

देहरादून: चुनाव से ठीक पहले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का उत्तराखंड के पिथौरागढ़ दौरा काफी अहम माना जा रहा है. माना जा रहा है कि भाजपा की नजर पूर्व सैनिक परिवारों से जुड़े करीब साढ़े बारह लाख वोटरों पर हैं. इन वोटों को अपने पाले में करने के लिए भाजपा जुटी है. वहीं कांग्रेस ने भी शहीद सैनिकों के स्वजन और पूर्व सैनिकों को सम्मानित करके वोटों पर सेंध लगाने के लिए कदम बढ़ा दिए हैं. हालांकि, सैनिक पृष्ठभूमि से जुड़े वोटरों के मूड को भांपना किसी दल के लिए आसान नहीं होगा.

गौर हो कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह शनिवार यानी आज एक दिवसीय दौरे पर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ दौरे पर आ रहे हैं. सीमांत जनपद पिथौरागढ़ सैनिक बाहुल्य क्षेत्रों में गिना जाता है, जहां हर घर से लोग सेना में तैनात हैं. ऐसे में रक्षामंत्री का पिथौरागढ़ दौरा काफी अहम माना जा रहा है.उत्तराखंड की राजनीति में पूर्व सैनिकों का अहम रोल है, जिसके देखते राजनीतिक पार्टियां उन्हें रिझाने में लगी हुई हैं.उत्तराखंड में ढाई लाख से ज्यादा पूर्व सैनिक हैं. माना जाता है कि हर पूर्व सैनिक के परिवार में औसतन पांच वोटर होंगे. इसलिए साढ़े बारह लाख से ज्यादा वोटरों पर सभी की निगाहें हैं. यहीं कारण है कि सभी राजनीति पार्टियों पूर्व सैनिकों के सम्मान में उत्तराखंड चुनाव 2022 से पूर्व कई कार्यक्रमों को आयोजन कर रही हैं.

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वोटरों को साधने की कोशिश: वहीं बीते दिनों केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने सोमेश्वर में एक कार्यक्रम में पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया. भाजपा की सैन्यधाम को मुहिम को जवाब देने के लिए कांग्रेस शहीद सैनिकों के स्वजन और पूर्व सैनिकों को सम्मानित करने में जुटी है. वहीं आम आदमी पार्टी ने भी रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर सैन्य बाहुल उत्तराखंड में पूर्व सैनिकों को साधने की कोशिश की है.

वहीं देहरादून में पांचवें धाम सैन्यधाम के निर्माण के लिए प्रदेश की सरकार द्वारा प्रदेश के शहीदों के पवित्र आंगन से मिट्टी एकत्र करने के लिए शहीद सम्मान यात्रा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. वहीं नैनीताल सीट से सांसद अजय भट्ट को केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री के पद से नवाजा गया है. इससे साफ है कि बीजेपी की नजर पूर्व सैनिकों के वोट बैंक पर है. वहीं बीजेपी के बड़े नेता लगातार उत्तराखंड के दौरे पर आ रहे हैं. कुछ दिनों पहले पीएम नरेंद्र मोदी केदारनाथ दौरे पर आए थे, पूर्व में गृहमंत्री अमित शाह भी प्रदेश के दौरे पर आ चुके हैं. चुनाव से ठीक पहले बीजेपी के नेताओं के प्रदेश के दौरे ने प्रदेश में सियासी माहौल गर्मा दिया है.

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पीएम मोदी का सपना: 2017 विधानसभा चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड में पांचवें धाम के रूप में सैन्य धाम बनाने की घोषणा की थी. पीएम मोदी का यह सपना जल्द ही साकार होने जा रहा है. अब देवभूमि की नई पहचान सैन्य धाम के रूप में भी होगी. दरअसल, देहरादून में सैनिकों के सम्मान के लिए राज्य सरकार पांचवा धाम 'सैन्यधाम' (uttarakhand sainya dham) का निर्माण किया जा रहा है. वीर शहीदों को सम्मान मिले इसके लिए प्रत्येक शहीद परिवार के घर से पवित्र मिट्टी को कलश में सैन्य धाम देहरादून ले जाया जाएगा.

पांचवां सैन्य धाम: पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य में चार धामों के बाद एक और सैन्यधाम बनाने की घोषणा की थी. मुख्यमंत्री ने ऐलान किया था कि यह धाम पूरी तरह से डिजिटल होगा और इसमें साल 1947 के बाद देश की रक्षा के लिए कुर्बानी देने वाले हर सैनिक का नाम दर्ज किया जाएगा.सैन्यधाम में एक क्लिक पर हर सैनिक का पूरा बायोडाटा उपलब्ध हो सकेगा. ऐसे में देखना होगा कि भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव में पूर्व सैनिकों को अपने पाले में कर पाती है या नहीं?

चली आ रही जान न्यौछावर करने की परंपरा: आजादी से पहले हो या बाद उत्तराखंड का नाम हमेशा सेना के गौरव से जुड़ा रहा है. आलम यह है कि हर साल उत्तराखंड के करीब नौ हजार युवा सेना में शामिल होते हैं.राज्य में 1,69,519 पूर्व सैनिकों के साथ ही करीब 72 हजार सेवारत सैनिक हैं. वर्ष 1948 के कबायली हमले से लेकर कारगिल युद्ध और इसके बाद आतंकवादियों के खिलाफ चले अभियान में उत्तराखंड के सैनिकों की अहम भूमिका रही है.

खास बात यह है कि उत्तराखंड के युवा अंग्रेजी हुकूमत में भी पहली पसंद में रहते थे.राज्य के जवान देश के लिए शहीद हुए हैं. 1962 के युद्ध से अब तक उत्तराखंड के करीब 2285 जवान देश के लिए शहीद हुए हैं. मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल, मेजर चित्रेश बिष्ट और सीआरपीएफ जवान मोहनलाल रतूड़ी, वीरेंद्र राणा की जम्मू कश्मीर में शहादत से पूरा प्रदेश हिल गया है.

प्रथम विश्वयुद्ध हो या द्वितीय विश्व युद्ध इस राज्य के वीरों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया था. उत्तराखंड के सपूतों की वीरता से प्रभावित हो कर अंग्रेजों ने इस राज्य के वीरों को अनेक मेडल से नवाजा. आजादी से पहले उत्तराखंड के सपूतों को असामान्य सपूतों ने 3 विक्टोरिया क्रॉस, 53 इंडियन ऑडर ऑफ मेरिट, 25 मिलिट्री क्रॉस, 89 आईडी एसएम और 44 मिलिट्री मेडल हासिल किए थे.

1962 में हुए भारत-चीन युद्ध, 1965 में पाकिस्तान से युद्ध, 1971 में भारत-पाक युद्ध में उत्तराखंड के जवानों का बेहद महत्वपूर्ण योगदान रहा है. सिर्फ 1971 के युद्ध में उत्तराखंड के सबसे ज्यादा करीब 250 जवान शहीद हुए थे. देश के लिए इन युद्धों में अदम्य साहस का परिचय देने के लिए उत्तराखंड को अभी तक 6 परमवीर और अशोक चक्र, 29 महावीर चक्र, 3 अति विशिष्ट सेवा मेडल, 100 वीर चक्र, 169 शौर्य चक्र, 28 युद्ध सेवा मेडल, 745 सेनानायक, 168 मेंशन इन डिस्पैचिस जैसे मेडल हासिल हुए हैं.

उत्तराखंड में वोटर: विधानसभा निर्वाचक नामावली 1 जनवरी 2021 को देखते हुए विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण 2020-21 को लेकर 15 जनवरी 2020 तक जारी किए गए निर्वाचकों की अंतिम प्रकाशन के अनुसार प्रदेश भर में कुल 78 लाख 15 हजार 192 वोटर हैं. जिसमें से 40 लाख 74 हजार 436 पुरुष वोटर और 37 लाख 40 हजार 523 महिला वोटर के साथ ही 233 अन्य वोटर शामिल हैं. इसके साथ ही प्रदेश भर में 11024 मतदेय स्थलों की संख्या है. इसके साथ ही जारी किए गए नए निर्वाचन के सूची के अनुसार प्रदेश भर में कुल 93,911 सर्विस मतदाता हैं.

Last Updated :Nov 20, 2021, 10:04 AM IST
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