उत्तराखंड में खुला बच्चों का अनोखा थाना, यहां किताबें-झूला-खिलौने सब है मौजूद

author img

By

Published : Jan 22, 2021, 4:20 PM IST

Updated : Jan 22, 2021, 7:19 PM IST

बाल मित्र थाना

राजधानी देहरादून में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेश के पहले बाल मित्र थाने का उद्घाटन किया है. बाल मित्र थाने में बाल आयोग के सदस्य, वकील व बेहतर काउंसलर उपलब्ध होंगे. ये लोग बच्चों की काउंसलिंग कर उन्हें अपराध से दूर रखने की कोशिश करेंगे.

देहरादून: सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज प्रदेश में पहले बाल मित्र थाने का उद्घाटन किया. इस मौके पर महिला एवं बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी भी मौजूद रहीं. डालनवाला कोतवाली अंतर्गत ये बाल मित्र थाना बनाया गया है. इसके लिए पुलिस विभाग ने सारी तैयारियां पूरी कर ली हैं.

देहरादून के बाल थाने की खासियत.

प्रदेश के पहले बाल थाने के उद्घाटन के मौके पर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि चाइल्ड फ्रेंडली थाने की शुरुआत आज उत्तराखंड में होने जा रही है. ऐसे में उत्तराखंड पुलिस के सभी अधिकारियों को इस प्रयास के लिए बधाई देना चाहता हूं. उन्होंने कहा कि बच्चों को पुलिस के नाम से पहले ही घर में डराया जाता है. ऐसे में बच्चों के मन में पुलिस को लेकर एक भय घर कर जाता है. लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए. बच्चों को थाने में जाने से डर नहीं लगना चाहिए. बल्कि, पुलिस तो उनके सहयोग के लिए है. इसलिए इस अभिनव प्रयास के लिए में सभी को बधाई देता हूं.

बाल मित्र थाने का उद्घाटन.

पढ़ें- हरिद्वार कुंभ: 2010 के हादसे से भी नहीं ले रहे सबक, जर्जर पुल की मरम्मत कम रंग रोगन ज्यादा

डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि बचपन बचाओ आंदोलन के माध्यम से उनके पास ये प्रस्ताव आया था. नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के प्रतिनिधि बनकर सुरेश उनियाल आए थे. उन्होंने कहा था कि हम हर थाने को चाइल्ड फ्रेंडली बनाना चाहते हैं. वहीं, इस मुहिम को महिला एवं बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने आगे बढ़ाया. जिसके बाद इसके लिए डालनवाला कोतवाली का चयन किया गया है. यह एक ऐसा स्पेस बनाया गया है, जो चाइल्ड फ्रेंडली हो, बच्चे वहां आने से झिझके नहीं.

इस मौके पर महिला एवं बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने कहा कि पुलिस विभाग के सहयोग से यह संभव हो पाया है. बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए यह कदम मील का पत्थर साबित होगा. उन्होंने कहा कि बाल मित्र थाने से बच्चों के मन में जो पुलिस की छवि बनी है, वह जरूर बदलेगी. बच्चों के अंदर जो असुरक्षा की भावना पुलिस के प्रति रहती है, ऐसे माहौल से उसे दूर किया जा सकता है. वहीं, समय-समय पर बच्चों की यहां काउंसलिंग भी की जाएगी.

बता दें कि इस बाल थाने का उद्देश्य बच्चों के जेहन में घर कर गई पुलिस की छवि को बदलना है. ताकि बच्चे बिना भयभीत हुए थाने में आ सकें. वहीं, जब कुछ फरियादियों या महिलाओं संग जो बच्चे थाने में आते हैं, उन्हें ऐसा माहौल मिल सके कि वो घर जैसा महसूस करें. यही नहीं यदि किसी गुमशुदा बच्चे को ढूंढकर थाने लाया जाए तो उसे भी अच्छा माहौल मिल सकेगा.

सीएम क्या बोले...

CM ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा के लिए एक करोड़ रूपये की रिवॉल्विंग फण्ड की व्यवस्था की जायेगी. राज्य सरकार द्वारा निराश्रित बच्चों के लिए सरकारी सेवाओं में 05 प्रतिशत तथा दिव्यांगजनों के लिए भी 04 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है.

ऊषा नेगी ने ये कहा...

उत्तराखण्ड बाल संरक्षण अधिकार आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने कहा कि पुलिस के सहयोग से प्रदेश के सभी 13 जिलों में बाल मित्र पुलिस थाने खोले जायेंगे. इसके लिए पुलिस विभाग को 13 लाख रुपये दिये जायेंगे.

ये बोले डीजीपी...

पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि बाल मित्र पुलिस थाना प्रदेश में नई मुहिम शुरू की गई है. हमारा प्रयास है कि हर थाने को महिला एवं चाइल्ड फ्रेंडली बनाया जाय. इससे थाने के नाम से बच्चों के मन में जो भय रहता है, वह दूर होगा. उन्होंने कहा कि राज्य में ऑपरेशन ‘मुक्ति’ के तहत लगभग 2200 बच्चे चिह्नित किये गये. इनको सड़कों से भीख मांगने के प्रचलन से बाहर निकाला गया. इस अभियान के तहत ‘भिक्षा नहीं शिक्षा दो’ की मुहिम चलाई गई.

Last Updated :Jan 22, 2021, 7:19 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.