उत्तराखंड भूकंप अलर्ट: भूचाल से पहले फोन पर बजेगा सायरन, देश का पहला एप लॉन्च

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Published : Aug 4, 2021, 2:07 PM IST

Updated : Aug 5, 2021, 2:28 PM IST

CM Pushkar Singh Dhami

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में मोबाइल एप्लीकेशन 'उत्तराखंड भूकंप अलर्ट' का शुभारंभ किया. इस एप के माध्यम से प्रदेशवासियों को आपदा से पहले चेतावनी मिल जाएगी. इस एप से फोन पर भूकंप आने से पहले सायरन बजेगा. इस एप को उत्तराखंड आपदा प्रबंधन के साथ ही आईआईटी रुड़की के कुल 10 वैज्ञानिकों ने मिलकर तैयार किया है.

देहरादून: उत्तराखंड भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील राज्य माना जाता है और इसे जोन 5 में रखा गया है. भूकंप के इसी खतरे को देखते हुए उत्तराखंड ने देश का ऐसा पहला NNJ एप्लीकेशन विकसित किया है जिसके जरिए अब भूकंप आने से पहले ही इसकी जानकारी मिल जाएगी. अब आपके फोन में भूकंप से पहले ही न केवल सायरन बजने लगेगा बल्कि ये ऐप आपको सुरक्षित भी रखेगा. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में आज मोबाइल एप्लीकेशन 'उत्तराखंड भूकंप अलर्ट' का शुभारंभ किया. राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, आपदा प्रबंधन विभाग एवं भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), रुड़की के सौजन्य से बनाये गये इस एप के माध्यम से भूकंप से पूर्व चेतावनी मिल जाएगी.

पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में हमेशा से ही भूकंप का खतरा बना रहा है, इतिहास में ऐसे कई भूकंप भी आए हैं जब उत्तराखंड को जान और माल के रूप में इसका भारी नुकसान भी झेलना पड़ा है, लेकिन उत्तराखंड वासियों के लिए अच्छी खबर यह है कि अब भूकंप आने से पहले ही उन्हें इसकी जानकारी मिल जाएगी. यही नहीं, आपका फोन खुद-ब-खुद भूकंप आने से पहले सायरन बजाकर आपको आगाह कर देगा.

भूचाल से पहले फोन पर बजेगा सायरन.

भूचाल से पहले मिलेगा अलर्ट: उत्तराखंड यह एप बनाने वाला पहला राज्य है, इससे जन सुरक्षा में मदद मिलेगी. इस एप के माध्यम से भूकंप के दौरान लोगों की लोकेशन भी प्राप्त की जा सकती है. उत्तराखंड भूकंप अलर्ट एप को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं. खास बात ये है कि यह देश का ऐसा पहला एप होगा जो भूकंप आने से पहले ही लोगों को जानकारी दे देगा. इस एप्लीकेशन में कुछ खास चीजें भी मौजूद हैं, जिसमें एक तरफ भूकंप आते ही तरंगों के आगे बढ़ने के साथ ये पहले ही लोगों को सायरन के जरिए जानकारी देगा. साथ ही यदि कोई व्यक्ति भूकंप के दौरान अपने घर में फंस गया है तो वो इस एप्लीकेशन में मौजूद बटन दबाकर अपनी लोकेशन को आपदा प्रबंधन विभाग तक भी साझा कर लेगा, जिससे फौरन आपदा प्रबंधन की टीम उस व्यक्ति तक पहुंच कर उसे सुरक्षित निकाल पाएगी.

भूकंप पूर्व चेतावनी से बचेगी जिंदगियां: मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन लोगों के पास एंड्राइड फोन नहीं हैं, उनको भी भूकंप से पूर्व चेतावनी मैसेज पहुंच जाए, इस एप के माध्यम से यह सुविधा भी प्रदान की जाए. भूकंप पूर्व चेतावनी में सायरन एवं वायस दोनों माध्यमों से अलर्ट की व्यवस्था करने के निर्देश दिए. भूकंप पूर्व चेतावनी के लिए सायरन टोन अलग से होनी चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि भूकंप पूर्व चेतावनी के लिए यह एक अच्छी पहल है.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील राज्य है. इस एप के माध्यम से लोगों को भूकंप पूर्व चेतावनी मिल सके, इसके लिए इस एप की लोगों को जानकारी दी जाए. विभिन्न माध्यमों से व्यापक स्तर पर इसका प्रचार-प्रसार किया जाए. आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा इसकी लघु फिल्म बनाकर जन-जन तक पहुंचाने के निर्देश दिए. स्कूलों में भी बच्चों को लघु फिल्म के माध्यम से इस एप के बारे में जानकारी देने को कहा.

उत्तराखंड में इस एप्लीकेशन से पहले भी लगाए गए हैं सायरन: उत्तराखंड में चमोली और उत्तरकाशी जिलों में पूर्व में ऐसे कई बड़े भूकंप आ चुके हैं जिससे इन जिलों में भारी नुकसान हुआ है. उधर कुमाऊं में पिथौरागढ़ समेत आसपास के कुछ जिलों में भूकंप से काफी नुकसान पूर्व में हुआ है. इन्हीं स्थितियों को देखते हुए प्रदेश में पूर्व में विभिन्न अलग-अलग जिलों में कुल 71 सायरन लगाए गए थे जबकि भूकंप को बांटने के लिए 165 सेंसर भी लगाए गए थे लेकिन इसके बावजूद भी लोगों तक सूचना नहीं पहुंच पाने के कारण इस तरह के एक एप्लीकेशन की जरूरत महसूस की जा रही थी.

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आपदा प्रबंधन समेत IIT रुड़की के कुल 10 वैज्ञानिकों ने बनाया है एप: उत्तराखंड आपदा प्रबंधन के साथ ही आईआईटी रुड़की के कुल 10 वैज्ञानिकों ने इस एप्लीकेशन को तैयार किया है. आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर डॉक्टर कमल के आइडिया पर आपदा प्रबंधन विभाग के साथ मिलकर इस एप्लीकेशन को बनाया. इस एप्लीकेशन को बनाने में करीब 4 साल लगे हैं. उधर करीब 6 से 7 करोड़ रुपए एप्लीकेशन को बनाने के लिए किए गए अध्ययन और कार्य में लगे हैं.

आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर डॉक्टर कमल कहते हैं कि इस एप्लीकेशन के जरिए लोगों को जल्द ही भूकंप आने की सूचना मिल जाती है और काफी समय लोगों को खुद को सुरक्षित रखने के लिए मिल सकता है. डॉक्टर कमल के मुताबिक भूकंप आते ही सेंसर के जरिए इस एप्लीकेशन से फौरन सायरन बजने लगता है, इस तरह भूकंप की तरंगे जब तक लोगों तक पहुंचती है तब तक लोग खुद को सुरक्षित कर सकते हैं. भूकंप के केंद्र से कोई स्थान जितना दूर होगा उतना ज्यादा समय वहां पर लोगों को मिल सकेगा.

भूकंप को लेकर एप्लीकेशन बनाने में सहयोग करने वाले स्कॉलर गोविंद राठौर कहते हैं कि इस एप्लीकेशन को तमाम विशेषज्ञों की राय के आधार पर तैयार किया गया है, साथ ही भूकंप के दौरान कैसे लोगों को सुरक्षित किया जाए इस सोच के साथ इस एप्लीकेशन में कुछ महत्वपूर्ण चीजें भी दी गई हैं जिसमें लोगों का भूकंप के दौरान सीधे आपदा प्रबंधन विभाग से संपर्क में आने का ऑप्शन शामिल है.

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साल 2021 के भूकंप: 2021 की बात करें तो उत्तराखंड में साल का पहला भूकंप 8 जनवरी को बागेश्वर में 3.3 मैग्नीट्यूट का आया. उत्तरकाशी में 9 जनवरी को 3.2 मैग्नीट्यूट का भूकंप आया था. 19 फरवरी को सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में 4 मैग्नीट्यूट का भूकंप महसूस किया गया. वहीं 23 मई को चमोली में 4.3 मैग्नीट्यूट का भूकंप महसूस किया गया.

Last Updated :Aug 5, 2021, 2:28 PM IST
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