उत्तराखंड में बढ़ा बाल लिंगानुपात, 90 प्रतिशत हो रहे संस्थागत प्रसव

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Published : Sep 28, 2022, 9:39 PM IST

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उत्तराखंड में बाल लिंगानुपात में व्यापक सुधार हुआ है. राज्य में प्रति 1000 बालकों पर 984 बालिकाएं जन्म ले रही हैं. प्रदेश के पांच जनपदों अल्मोड़ा, चमोली, नैनीताल, पौड़ी व उधमसिंह नगर में बालकों की तुलना में अधिक बालिकाओं का जन्म हुआ है.

देहरादून: उत्तराखंड में बाल लिंगानुपात में व्यापक सुधार हुआ है, साथ ही राज्य में संस्थागत प्रसव का ग्राफ भी तेजी से बढ़ा है. स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत इसे राज्य सरकार की बड़ी उपलब्धि बताते हैं. उनका कहना है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में राज्य सरकार विभिन्न पहलुओं पर काम कर रही है. केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ प्रदेश के आम लोगों को मिल रहा है.

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि लिंगानुपात के आंकड़ों में सुधार के लिये स्वास्थ्य विभाग ने लाभार्थियों को विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ पहुंचाया. साथ ही गर्भ में भ्रूण के लिंग परीक्षण पर सख्ती से रोक लगाई. वर्तमान में सूबे में 90 फीसदी संस्थागत प्रसव किये जा रहे हैं, जिनको शत-प्रतिशत करने का प्रयास किया जा रहा है. स्वास्थ्य मंत्री डॉ रावत ने बताया कि पांचवें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2020-21 की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में बाल लिंगानुपात में बेहत्तर सुधार हुआ है. राज्य में 0-05 आयु वर्ग तक के बच्चों का लिंगानुपात 984 दर्ज किया गया है, जोकि विगत वर्षों के मुकाबले बढ़ा है.

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रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में प्रति 1000 बालकों पर 984 बालिकाएं जन्म ले रही हैं. प्रदेश के पांच जनपदों अल्मोड़ा, चमोली, नैनीताल, पौड़ी एवं उधमसिंह नगर में बालकों की तुलना में अधिक बालिकाओं का जन्म हुआ है. जिसमें जनपद अल्मोड़ा में 1000 बालकों के मुकाबले 1444 बालिकाओं ने जन्म लिया, ऐसे ही चमोली में 1026, नैनीताल में 1136, पौड़ी में 1065 एवं उधमसिंह नगर में 1022 बालिकाएं पैदा हुई. वहीं, बागेश्वर में 1000 बालकों के जन्म के सापेक्ष 940, चंपावत में 926, देहरादून में 823, हरिद्वार में 985, पिथौरागढ़ में 911, रुद्रप्रयाग में 958, टिहरी में 866 और उत्तरकाशी में 869 बालिकाओं ने जन्म लिया, जो कि राष्ट्रीय औसत 929 के मुकाबले कहीं अधिक है.

विभागीय मंत्री ने बताया कि राज्य में बाल लिंगानुपात को लगातार बेहतर किया जा रहा है, जिसके लिये स्वास्थ्य विभाग द्वारा जनजागरुकता अभियान, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान व अलग-अलग मौकों पर अभिभावकों को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसके अलावा विभाग द्वारा भ्रूण जांच व पीसीपीएनडीटी अधिनियम की जानकारी देते हुये ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण समिति स्तर पर जनजागरूकता अभियान संचालित किये जा रहे हैं.

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डॉ. रावत ने बताया कि राज्य में संस्थागत प्रसव को लेकर भी गर्भवती महिलाओं को जागरूक किया जा रहा है. वर्तमान में सूबे में लगभग 90 फीसदी प्रसव विभिन्न चिकित्सा ईकाईयों में हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि राज्य में शतप्रतिशत संस्थागत प्रसव का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिये विभागीय अधिकारियों को जरूरी दिशा निर्देश दे दिये गये हैं.

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