बजट 2022 में उत्तराखंड: सीमांत गांवों के लिए नई वाइब्रेंट विलेज योजना, राज्य को ऐसे मिलेगा फायदा

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Published : Feb 1, 2022, 4:06 PM IST

Updated : Feb 1, 2022, 4:50 PM IST

border village development in uttarakhand

आज 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने सदन में जो आम बजट पेश (Union Budget 2022) किया है, उसमें उत्तराखंड के लिहाज से एक बड़ी घोषणा भी की है. केंद्र सरकार ने उत्तर भारत में अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर से लगे हुए क्षेत्रों के विकास पर फोकस किया है.

देहरादून: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने आज 1 फरवरी को सदन में देश का आम बजट पेश किया (Union Budget 2022) है. इस बार बजट में केंद्र सरकार ने उत्तर भारत में अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर से लगे हुए क्षेत्रों के विकास पर फोकस किया है. सीमांत गांवों के विकास को लेकर केंद्र सरकार नई वाइब्रेंट विलेज योजना (new vibrant village scheme) शुरू करने जा रही है. हालांकि इसके लिए कितना बजट रखा गया है, अभी इसका फिगर सामने नहीं आया है, लेकिन इस प्रोजेक्ट से उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य को बड़ा फायदा होने जा रहा है.

चुनाव के लिहाज से इस बजट में उत्तराखंड के लिए ये बड़ी घोषणा है. शायद उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी इस घोषणा को भुनाने की पूरी कोशिश भी करे. इन 10 दिनों में बीजेपी के नेता वाइब्रेंट विलेज योजना का बखान करते हुए दिखाई दें.

सीमांत गांवों के लिए नई वाइब्रेंट विलेज योजना

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बता दें कि इस योजना के तहत उत्तरी सीमा पर स्थित गांवों को कवर किया जाएगा. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सीमावर्ती गांव जहां की जनसंख्‍या बहुत कम है, वहां पर बुनियादी सुविधाएं और कनेक्टिविटी बहुत ही कम है, ये गांव या क्षेत्र विकास के लाभ से वंचित रह गए हैं. उत्तरी सीमा के ऐसे ही गांवों को इस नए वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के अंतर्गत लाया जाएगा.

वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत इन गांवों में बुनियादी सुविधाओं के साथ आवास, पर्यटन केन्‍द्रों के निर्माण, सड़क, बिजली, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं को विकसित किया जाएगा. इसके लिए सरकार अतिरिक्त बजट उपलब्ध कराएगी. वर्तमान में जो योजनाएं बॉर्डर क्षेत्र के विकास के लिए चल रही हैं, उनको भी इसी में समायोजित कर दिया जाएगा.

बता दें कि उत्तराखंड की अंतरराष्ट्रीय सीमा नेपाल और चीन से लगती है. उत्तराखंड के उधमसिंह नगर, चंपावत और पिथौरागढ़ जिलों की सीमाएं सीधे नेपाल की सीमा से लगाती हैं. वहीं चीन की सीमा उत्तराखंड के पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी जिलों से लगती है. खासकर चीन सीमा पर बसे उत्तराखंड के अधिकांश गांवों में सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है. सीमांत गांव लगातार खाली हो रहे हैं. कई गांवों को भूतिया भी घोषित किया जा चुका है.

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उत्तराखंड सरकार ने भी इंटरनेशनल बॉर्डर डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत चीन से सटे 11 ब्लाकों में 100 गांवों को चिन्हित किया था. ताकि यहां से होने वाले पलायन को रोका जा सके और इसके लिए यहां पर युवाओं को रोजगार के अवसर, खेतीबाड़ी, बागवानी, मधुमक्खी पालन, मछली पालन, दुग्ध उत्पादन आदि कार्यों पर फोकस किया था.

यदि केंद्र सरकार की वाइब्रेंट विलेज योजना परवान चढ़ती है तो ये उत्तराखंड के विकास में मील का पत्थर साबित होगी. क्योंकि इससे न सिर्फ चीन और नेपाल से लगे सीमांत इलाकों का विकास होगा, बल्कि पलायन की समस्या भी काफी हद तक दूर होगी. उत्तराखंड के सीमांत गांव आज भी नेटवर्क, बिजली, पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. वहीं भारत की सीमाएं भी सुरक्षित होंगी.

उत्तराखंड के सीमांत जिले और गांव: पिथौरागढ़ जिले की सीमा चीन और नेपाल दोनों से लगती है. यहां व्यास, दारमा और चौदास घाटी के दर्जनों गांव चीन सीमा के नजदीक हैं. वहीं उत्तरकाशी जिले की माखुवा, धराली, हर्षिल और बगोरी घाटी चीन सीमा के नजदीक है. इसके अलावा चमोली जिले की नीती घाटी में बसे कई गांव चाइन बॉर्डर से काफी नजदीक हैं.

Last Updated :Feb 1, 2022, 4:50 PM IST
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