लालढांग-चिल्लरखाल मार्ग निर्माण पर CEC ने जताई आपत्ति, कहा- SC के आदेशों का हुआ उल्लंघन

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Published : May 14, 2022, 9:33 PM IST

CEC objected to construction of Laldhang-Chilarkhal road

सेंटर एम्पावर्ड कमेटी ने लालढांग-चिल्लरखाल सड़क के एक हिस्से को अपग्रेड करने पर आपत्ति जताई है. सीईसी ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन बताया है. साथ ही मामले में सीईसी ने इस क्षेत्र तैनात डीएफओ सहित नाम और पदनाम वाले अधिकारियों की सूची भी मांगी है.

देहरादून: सीईसी(Central Empowered Committee) ने उत्तराखंड वन विभाग पर वैधानिक मंजूरी लिए बिना राजाजी टाइगर रिजर्व के बफर जोन के माध्यम से लालढांग-चिल्लरखाल सड़क के लगभग नौ किलोमीटर के हिस्से को अपग्रेड करने पर आपत्ति जताई है. सीईसी ने कहा उसे पौड़ी जिला प्रशासन से सड़क के एक हिस्से की मरम्मत की अनुमति थी, लेकिन उसने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए इसका निर्माण किया है.

आपत्ति जताते हुए पैनल ने कॉर्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व में अनियमितताओं को देखते हुए कहा कि पौड़ी जिला मजिस्ट्रेट ने लालढांग-चिल्लरखाल सड़क के सिर्फ एक पैच की मरम्मत की अनुमति दी थी जो कि राजाजी टाइगर रिजर्व के बफर जोन में है, मगर वन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किए बिना या वैधानिक मंजूरी के बिना ही लगभग नौ किमी के हिस्से को अपग्रेड कर दिया है.

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सीईसी ने कहा यह उच्चतम न्यायालय के 29 जुलाई, 2019 के आदेश का उल्लंघन है, जिसमें कहा गया है कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 38 के तहत वैधानिक मंजूरी लिए बिना आरक्षित क्षेत्र में कोई भी सड़क गतिविधि नहीं की जाएगी. सीईसी कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में इमारतों और एक जल निकाय के निर्माण के अलावा, आवश्यक मंजूरी के बिना लालढांग-चिल्लरखाल सड़क के उन्नयन और पेड़ों की अवैध कटाई दोनों को देख रहा है.

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सीईसी ने अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक राजाजी टाइगर रिजर्व और कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अधिकार क्षेत्र में तैनात डीएफओ सहित नाम और पदनाम वाले अधिकारियों की सूची भी मांगी है. इसने वन और वन्यजीव मामलों से निपटने वाले उत्तराखंड के सचिव /अतिरिक्त मुख्य सचिव के नाम और दो क्षेत्रों (राजाजी और कॉर्बेट) के निरीक्षण या क्षेत्र के दौरे से जुड़े टूर डायरी और निरीक्षण नोटों की प्रतियां भी मांगी गई हैं.

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सीईसी ने प्रधान मुख्य संरक्षक (वन) और वन बल के प्रमुख के 29 अक्टूबर, 2021 के पत्र की एक प्रति की भी मांग की है, जिसमें विभिन्न कार्यों के निष्पादन के लिए CAMPA (प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण) से धन की मांग की गई है. सीईसी ने डीआईजी (सतर्कता) और वन बल के प्रमुख द्वारा उनके खिलाफ एक रिपोर्ट के बावजूद कलागढ़ मंडल के डीएफओ के रूप में किशन चंद की नियुक्ति पर भी आपत्ति जताई है.

बरसों पुरानी है मांग: लंबे समय से उठ रही है मांग गढ़वाल के प्रवेश द्वार कोटद्वार को हरिद्वार-देहरादून सहित देश-प्रदेश के दूसरे हिस्सों से जोड़ने के लिए चिलरखाल-लालढांग रोड (कंडी रोड) के निर्माण की मांग बहुत ही लंबे समय से उठाई जाती रही है. इसके लिए क्षेत्र की जनता ने कई बार आंदोलन भी किए. जनता की इस मांग पर भाजपा सरकार ने इस मोटरमार्ग का निर्माण करने की कवायद भी शुरू कर दी थी, लेकिन सख्त वन कानून का अड़ंगा लग जाने से इसका निर्माण अधर में लटक गया था.

कहां फंसा था पेच: दरअसल, कंडी मार्ग को राष्ट्रीय बोर्ड ने 56वीं बैठक में अनुमति दी थी, लेकिन इसमें दो शर्तें रखी थी. एक शर्त यह थी कि 710 मीटर की एलिवेटेड रोड होगी, जिसकी ऊंचाई आठ मीटर होनी चाहिए. इस पर राज्य सरकार सहमत नहीं थी. राज्य सरकार का तर्क था कि चूंकि यह राष्ट्रीय राजमार्ग नहीं है तो यहां एनएच की गाइडलाइन क्यों थोपी जा रही हैं. लिहाजा, राज्य सरकार लगातार इस बात पर जोर दे रही थी कि ऊंचाई छह मीटर हो और एलिवेटेड रोड की लंबाई 470 मीटर ही हो. हालांकि, बाद में इस प्रस्ताव को राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड ने पास कर दिया था.

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