PM मोदी के दौरे से पहले सरकार की उड़ी नींद! केदारनाथ में तीर्थ-पुरोहितों के विरोध ने बढ़ाई चिंता

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Published : Nov 1, 2021, 9:48 PM IST

उड़ी सरकार की नींद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से ठीक पहले केदारनाथ धाम में तीर्थ पुरोहितों ने जिस तरह के बीजेपी नेताओं का विरोध किया है, उससे सरकार की नींद उड़ गई है. पांच नवंबर को पीएम मोदी केदारनाथ धाम आ रहे हैं. वहीं तीर्थ-पुरोहितों का देवस्थानम बोर्ड को लेकर आंदोलन उग्र होता जा रहा है.

देहरादून: उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के विरोध में सोमवार के केदारनाथ में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ जो हुआ, उसने धामी सरकार की नींद उड़ा दी है. देवस्थानम बोर्ड के गठन से नाराज तीर्थ-पुरोहित ने धाम में न सिर्फ त्रिवेंद्र सिंह रावत का विरोध किया, बल्कि उनके साथ बदसलूकी भी की. इस वजह से त्रिवेंद्र सिंह धाम में बाबा केदार के दर्शन भी नहीं कर पाए. वहीं तीर्थ-पुरोहितों ने चेतावनी दी है कि वे किसी बीजेपी नेता को यहां नहीं आने देंगे. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावित दौरे को लेकर सरकार ने चिंता जाहिर की है.

चुनावी साल में देवस्थानम बोर्ड बीजेपी सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनाता जा रहा है. सोमवार को तीर्थ-पुरोहितों के गुस्से का जिस तरह के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को सामना करना पड़ा, उसको देखते हुए बीजेपी को पीएम मोदी के दौरे को लेकर चिंता सता रही है. तीर्थ-पुरोहितों ने किसी भी कीमत पर त्रिवेंद्र सिंह रावत को मंदिर के अंदर नहीं जाने दिया था. पुलिस के बीच में आने के बाद भी तीर्थ-पुरोहित नहीं माने और उन्होंने अपना हंगामा जारी रखा. हालात इतने बिगड़ गए थे कि त्रिवेंद्र सिंह रावत धाम को बिना दर्शन किए ही बाबा के दरबार से वापस लौटना पड़ा.

PM मोदी के दौरे से पहले सरकार की उड़ी नींद!

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वहीं तीर्थ-पुरोहितों ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और प्रोटोकॉल मंत्री धन सिंह रावत का भी विरोध किया है. दोनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावित केदारनाथ दौरा की तैयारियों का जायजा लेने गए थे. हालांकि इस मामले में जब पुलिस ने तीर्थ-पुरोहितों को समझाया तो वे मान गए और इसके बाद दोनों धाम में दर्शन-पूजन किया.

वहीं सोमवार को केदारनाथ धाम में हुई घटना के बाद कांग्रेस भी बीजेपी पर आक्रमक हो गई है. कांग्रेस के पास बीजेपी को घेरने का एक और मौका आ गया है. चुनावी साल में कांग्रेस इस मौके पर किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेगी.

इस मामले में कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी का कहना है कि उन्होंने कहा कि सरकार ने इन 5 सालों में जो बोया है, बीजेपी उसे काटने जा रही है. इसी पहली झलक केदारनाथ में देखने को मिली. जिस तरह से पिछले 5 सालों में सरकार ने तीर्थ पुरोहितों के हक-हकूकों को दरकिनार किया है और चारधाम के पैसे पर अपनी नियत डाली है, उसका अंजाम भी सरकार को भुगतना पड़ेगा.

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वहीं बीजेपी इस मामले पर ज्यादा कुछ कहने से बच रही है. बीजेपी प्रवक्ता नवीन ठाकुर ने इस मामले पर सिर्फ इतना ही कहा कि लोकतंत्र में सबको अपनी बात रखने और विरोध करने का हक है. देवस्थानम बोर्ड को लेकर सरकार गंभीर है. इस संबंध में कमेटी गठित कर दी है, जिसकी पहली रिपोर्ट आ चुकी है. कुछ ही दिनों में इस समिति में पंडा पुरोहितों वैसे भी सदस्य नियुक्त किए गए हैं. सरकार जल्द ही इस विषय पर कोई ठोस निर्णय लेगी.

त्रिवेंद्र से कार्यकाल में बना था बोर्ड: बता दें कि उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड का गठन पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में हुई हुआ था. इस बोर्ड में चारधाम (केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री) समेत 51 मंदिरों और मठों को शामिल किया गया था.

धामी सरकार ने बनाई समिति: देवस्थानम बोर्ड के गठन के पहले दिन से ही चारोंधाम के तीर्थ पुरोहित इसका विरोध कर रहे है. तीर्थ पुरोहित लगातार देवस्थानम बोर्ड को भग करने की मांग रहे है. हालांकि धामी सरकार ने उसे काफी उम्मीद थी, लेकिन धामी सरकार ने भी देवस्थानम बोर्ड को भंग करने के बचाए एक समिति का गठन कर दिया, जिसकी रिपोर्ट पर ही सरकार कोई निर्णय लेगी. इसमें चारधामों के तीर्थ-पुरोहित भी शामिल है. इसके बाद तीर्थ-पुरोहितों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है.

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