अवैध निर्माण मामला: अब कॉर्बेट प्रशासन के खिलाफ होगी जांच, सवालों के घेरे में डायरेक्टर

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Published : Nov 12, 2021, 5:33 PM IST

कॉर्बेट प्रशासन

कॉर्बेट नेशनल पार्क जिसे वाइल्डलाइफ के लिए दुनिया भर में जाना जाता है और भारत में घनत्व के लिहाज से सबसे ज्यादा बाघ यहीं पर हैं, बावजूद इसके कॉर्बेट नेशनल पार्क प्रशासन गहरी नींद में सोया हुआ है. यह बात हम नहीं बल्कि एनटीसीए की वह रिपोर्ट जाहिर करती है, जिसमें कॉर्बेट क्षेत्र में अवैध निर्माण की बात कही गई है.

देहरादून: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में निदेशक से लेकर प्रभागीय वन अधिकारियों की भूमिका सवालों के घेरे में है. स्थिति यह है कि एनटीसीए (National Tiger Conservation Authority) की टीम दिल्ली से आकर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध काम की जानकारी उत्तराखंड वन विभाग को देती है, लेकिन पार्क प्रशासन इन अवैध कार्यों पर कुंभकरणी नींद सोया रहता है.

सवाल उठता है कि संरक्षित क्षेत्र में निदेशक टाइगर रिजर्व और प्रभागीय वन अधिकारी की मंजूरी या जानकारी के अवैध निर्माण कैसे हो सकता है? चौंकाने वाली बात है कि खुद निदेशक अपनी रिपोर्ट में निर्माण को बिना मंजूरी और अवैध बताकर कुछ निर्माण तो ध्वस्त भी करवा चुके हैं.

अब कॉर्बेट प्रशासन के खिलाफ होगी जांच.

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कॉर्बेट नेशनल पार्क जिसे वाइल्डलाइफ के लिए दुनिया भर में जाना जाता है और भारत में घनत्व के लिहाज से सबसे ज्यादा बाघ यहीं पर हैं, बावजूद इसके कॉर्बेट नेशनल पार्क प्रशासन गहरी नींद में सोया हुआ है. यह बात हम नहीं बल्कि एनटीसीए की वह रिपोर्ट जाहिर करती है, जिसमें कॉर्बेट क्षेत्र में अवैध निर्माण की बात कही गई है.

बड़ी बात यह है कि इस निर्माण को पार्क प्रशासन ने ध्वस्त भी कर दिया है, जिसके चलते पार्क प्रशासन दो तरफा फंस गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि एक तरफ टाइगर रिजर्व के निदेशक ने खुद एक आदेश जारी करते हुए मोरघट्टी में हुए निर्माण को अवैध करार देकर ध्वस्त करवाया है, तो दूसरी तरफ पाखरों में स्वीकृत स्थल की जगह निर्माण किसी दूसरी जगह पर कराए जाने की बात भी स्वीकारी गई है. यही नहीं इसके लिए भी किसी भी तरह की स्वीकृति नहीं ली गई.

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उधर, जिस निर्माण को ध्वस्त कराया गया है, उसको लेकर अब विभागीय मंत्री ने भी नाराजगी जाहिर करते हुए उसके खिलाफ जांच बैठाने की बात कही है, जबकि अवैध निर्माण को लेकर पहले ही हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन है.

इस पूरे मामले में एक तरफ उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कॉर्बेट में हुए अवैध काम को लेकर अपना रवैया सख्त रखा है तो दूसरी तरफ विभाग के मंत्री ने अब इस अवैध निर्माण को तोड़ने पर अपनी नाराजगी जाहिर कर जांच की बात कह दी है. यानी कॉर्बेट के निदेशक और प्रभागीय वन अधिकारी अवैध निर्माण करने देने को लेकर हाईकोर्ट के निशाने पर होंगे तो दूसरी तरफ इस निर्माण को तुड़वाने के मामले में वन मंत्री जांच के जरिए इनपर शिकंजा कसने की कोशिश में है.

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