Uttarakhand Forest Fire: अभी से ही धधक रहे जंगल, वर्ल्ड बैंक प्रोजेक्ट में 200 करोड़ की व्यवस्था

author img

By

Published : Mar 3, 2023, 4:43 PM IST

Updated : Mar 3, 2023, 6:00 PM IST

Uttarakhand Forest Fire

उत्तराखंड में अभी फायर सीजन का शुरुआती दौर है, लेकिन अभी से ही जंगल धधकने लगे हैं. अभी तक 78.2 हेक्टेयर जंगल वनाग्नि की भेंट चढ़ चुके हैं. लिहाजा, अब वनाग्नि पर लगाम लगाने के लिए कसरत शुरू हो गई है. इसके लिए वर्ल्ड बैंक प्रोजेक्ट में 200 करोड़ रुपए की व्यवस्था की जाएगी. इसके अलावा कंट्रोल रूम को अंतरराष्ट्रीय स्तर के रूप में अपग्रेड किया जाएगा.

कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने फॉरेस्ट फायर रोकने के दिए निर्देश.

देहरादूनः उत्तराखंड में हर साल वनाग्नि में लाखों रुपए की वन संपदा जलकर खाक हो जाती है. इस बार भी समय से पहले ही जंगलों में आग लगने की घटनाएं सामने आ रही है. ताजा स्थिति ये है कि 15 फरवरी से 3 मार्च तक यानी पिछले 17 दिनों के भीतर जंगलों में 50 बार आग लगने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. इस वनाग्नि में अभी तक 78.2 हेक्टेयर जंगल भी जल चुके हैं. जिससे अनुमानित 3 लाख 77 हजार 520 रुपए की पर्यावरणीय क्षति हुई है. वहीं, अब वनाग्नि रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं.

दरअसल, उत्तराखंड में मौसम की बेरुखी देखने को मिली है. इस बार सर्दियों में ना के बराबर बारिश हुई है. जिससे जंगलों में नमी खत्म हो गई है. यही वजह है कि आग की घटना शुरुआती दौर में ही तेजी से बढ़ती जा रही है. इस बार 15 फरवरी से फायर सीजन की शुरुआत हो गई है. मात्र 17 दिनों में केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य से लेकर कुमाऊं की अल्मोड़ा डिवीजन तक आग की लपटें देखने को मिली हैं. जबकि, अभी पूरा फायर सीजन बचा हुआ है. क्योंकि, 15 फरवरी से 15 जून तक जंगलों में आग लगने की काफी ज्यादा घटनाएं देखने को मिलती हैं.

उत्तराखंड में वनाग्नि पर रोक लगाने की कवायद.
ये भी पढ़ेंः Uttarakhand Forest Fire: मौसम की बेरुखी से उत्तराखंड पर मंडरा रहा वनाग्नि का खतरा, केंद्र सरकार से मिलेगी विशेष राहत

वर्ल्ड बैंक प्रोजेक्ट में फॉरेस्ट फायर के लिए 200 करोड़ की व्यवस्थाः आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि उत्तराखंड का करीब 70 फीसदी हिस्सा फॉरेस्ट से कवर्ड है. इसके मद्देनजर फॉरेस्ट फायर का मुद्दा काफी महत्वपूर्ण है. यही वजह है कि फॉरेस्ट फायर और मानव वन्यजीव संघर्ष को आपदा की कैटेगरी में शामिल किया गया है. फॉरेस्ट फायर के लिए वन विभाग का कंट्रोल रूम है. साथ ही सैटेलाइट के माध्यम से भी इसकी मॉनिटरिंग की जाती है. उन्होंने कहा कि इस बार के वर्ल्ड बैंक प्रोजेक्ट में फॉरेस्ट फायर एक बड़ा कंपोनेंट है. लिहाजा, डेढ़ सौ से 200 करोड़ रुपए इस बार खर्च किए जाएंगे.

इंटरनेशन लेवल में अपग्रेड होगा कंट्रोल रूमः फॉरेस्ट फायर से बचाव को लेकर तमाम जरूरी सामान उपलब्ध कराए जा रहे हैं. जिसके तहत कर्मचारियों के लिए चौकी का निर्माण, फॉरेस्ट फायर को रोकने के लिए इक्विपमेंट, कर्मचारियों के लिए गाड़ियों की व्यवस्था, फायर से बचने के लिए जैकेट दी जा रही है. इसके अलावा फॉरेस्ट फायर के कंट्रोल रूम को इंटरनेशनल लेवल के कंट्रोल रूम में अपग्रेड करने के साथ ही कम्युनिकेशन को बेहतर बनाने पर जोर दिया जा रहा है. ताकि फॉरेस्ट फायर कंट्रोल रूम को आपदा कंट्रोल रूम से जोड़ा जा सके.

बता दें कि बीती 15 फरवरी से अभी तक वन विभाग की अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, मसूरी, चकराता, टोंस रेंज पुरोला, अपर यमुना रेंज, बदरीनाथ, रुद्रप्रयाग डिवीजन में आग के मामले सामने आ चुके हैं. प्राकृतिक जंगल होने की वजह से अभयारण्यों में वन्यजीवों का वास ज्यादा होता है, लेकिन केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य, गोविंद वन्यजीव विहार के अलावा राजाजी नेशनल पार्क के जंगलों तक भी आग पहुंची है.
ये भी पढ़ेंः Uttarakhand Forest Fire: डीएम एसडीएम भी रोकेंगे जंगल की आग, प्रमुख सचिव वन का निर्देश

कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने कही ये बातः तराई क्षेत्रों और उससे सटे जंगलों में अभी से आग लगने लगी है. आग से बेशकीमती वन संपदा खाक होने के साथ ही हाथी, बाघ समेत अन्य वन्य जीवों के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा है. वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए वन विभाग हर साल करोड़ों के बजट को पानी की तरह बहा देता है. इसके बावजूद धधकते जंगलों से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान को बचाने के लिए सरकार के अधिकारियों के पास न तो पर्याप्त संसाधन हैं न ही कोई ठोस योजना.

कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत का कहना है कि इस साल बारिश नहीं हुई, जिससे जंगलों में आग लगने की आशंका बढ़ गई है. जिससे निपटने के लिए कार्य योजनाओं में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं. वनाग्नि पर काबू पाने के लिए पश्चिमी वृत्त यानी वेस्टर्न सर्किल का मास्टर कंट्रोल रूम तराई पूर्वी वन प्रभाग के कार्यालय में तैयार किया जा रहा है. पश्चिमी वृत के 5 वन प्रभागों के मास्टर कंट्रोल रूम को आपदा प्रबंधन कंट्रोल रूम और पुलिस कंट्रोल रूम के साथ भी जोड़ा जाएगा.

मास्टर कंट्रोल रूम में 24 घंटे वन अधिकारी और कर्मचारियों की पैनी नजर रहेगी. हर वन कर्मचारी अलर्ट मोड पर रहेगा. जंगल में आग लगने की सूचना कहीं से भी आए, उसे तत्काल ही संबंधित वन प्रभाग के क्रू स्टेशन प्रभारी और रेंज कार्यालय तक पहुंचाया जाएगा. मास्टर कंट्रोल रूम का काम यह भी होगा कि सूचना पुलिस के माध्यम से मिले या आपदा प्रबंधन कंट्रोल रूम से मिले. वनाग्नि पर काबू पाना सबसे पहली प्राथमिकता होगी.

Last Updated :Mar 3, 2023, 6:00 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.