लैंडस्लाइड के बाद एंबुलेंस के लिए नहीं था रास्ता, मरीजों के लिए फरिश्ता बने चमोली पुलिस के जवान

लैंडस्लाइड के बाद एंबुलेंस के लिए नहीं था रास्ता, मरीजों के लिए फरिश्ता बने चमोली पुलिस के जवान
शनिवार को लामबगड़ के पास लैंडस्लाइड होने से मार्ग अवरुद्ध हो गया है. जिसके कारण दो बीमार व्यक्तियों को ले जा रही एम्बुलेंस फंस गई. जिसके बाद पुलिस के जवानों ने दोनों मरीजों को स्ट्रेचर के माध्यम से दूसरे छोर पर पहुंचाया और दूसरी एम्बुलेंस से अस्पताल भिजवाया.
चमोली: बदरीनाथ हाईवे पर 40 साल से ज्यादा वक्त से भूस्खलन (Landslide) के चलते नासूर बना लामबगड़ भूस्खलन जोन लोगों के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है. शनिवार को लामबगड़ के पास अत्यधिक बारिश से लैंडस्लाइड होने से मार्ग अवरुद्ध हो गया है. जिसके कारण दो बीमार व्यक्तियों को ले जा रही एम्बुलेंस फंस गई. जिसके बाद चमोली पुलिस और एसडीआरएफ के जवानों ने दोनों मरीजों को स्ट्रेचर के माध्यम से दूसरे छोर पर पहुंचाया और दूसरी एम्बुलेंस से अस्पताल भिजवाया.
बता दें कि बदरीनाथ हाईवे पर लामबगड़ भूस्खलन जोन नासूर बन गया है. यहां करोड़ों रुपए की लागत से लैंडस्लाइड जोन का ट्रीटमेंट तो किया गया, लेकिन जोन के पास खचड़ा नाला परेशानी का सबब बन गया है.
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वहीं, इससे सटे क्षेत्र में नया भूस्खलन जोन बन गया है. हल्की वर्षा में यह भूस्खलन जोन कहर बरपा रहा है. इससे यात्रियों सहित आम नागरिकों को खासी परेशानी हो रही है. आपदा के बाद से ही इसके स्थायी ट्रीटमेंट की कार्ययोजना बनाई गई और विदेशी इंजीनियरों से भी राय ली गई. पहले तो नदी के किनारे चेकडैम बनाकर भू-कटाव रोकने का प्रयास हुआ, लेकिन यह निर्माण के दौरान ही आपदा की भेंट चढ़ गया.
लामबगड़ टू के नाम से उभर आया नया भूस्खलन जोन: नदी के किनारे से ही दीवार खड़ी कर यहां पर चौड़ी सड़क बनाई गई. पहाड़ी से भूस्खलन रोकने के लिए जाल बिछाया गया. इस पूरी योजना पर करीब 98 लाख रुपये खर्च हुए. वर्ष 2020 से यह भूस्खलन जोन तो स्थायी ट्रीटमेंट के बाद शांत हो गया, परंतु इसके पास ही लामबगड़ टू के नाम से नया भूस्खलन जोन उभर आया है.
