Joshimath Crisis: जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति का धरना 13 दिनों से जारी, NTPC प्रोजेक्ट को बंद करने की मांग
Updated on: Jan 18, 2023, 8:54 PM IST

Joshimath Crisis: जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति का धरना 13 दिनों से जारी, NTPC प्रोजेक्ट को बंद करने की मांग
Updated on: Jan 18, 2023, 8:54 PM IST
जोशीमठ में लगातार हो रहे भू-धंसाव के पीछे एनटीपीसी की परियोजना का बताया जा रहा है. जिसको लेकर जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति पिछले 13 दिनों से एनटीपीसी के खिलाफ आंदोलन कर रहा है. आंदोलकारियों ने सरकार से एनटीपीसी की परियोजनाओं पर तत्काल रोक लगाने की मांग की.
चमोली: जोशीमठ में भू-धंसाव का कारण एनटीपीसी द्वारा बनाई जा रही सुरंग को बताया जा रहा है. जिसके विरोध में 13वें दिन भी जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति का आंदोलन तहसील परिसर में जारी रहा. आंदोलन को समर्थन देने के लिए बड़ी संख्या में महिलाएं धरनास्थल पर पहुंच रही हैं. वहीं, इस दौरान आंदोलनकारियों ने सरकार से एनटीपीसी की परियोजना को बंद करने की मांग की.
आंदोलनकारियों का कहना है कि तपोवन में बन रही एनटीपीसी परियोजना की टनल के कारण ही जोशीमठ में भू-धंसाव हो रहा है. सरकार को तत्काल इस परियोजना पर रोक लगानी चाहिए. इस दौरान जोशीमठ तहसील परिसर में आंदोलन पर बैठी महिलाओं ने ईटीवी भारत से अपनी परेशानियों को साझा किया. उन्होंने कहा बच्चो की परीक्षाएं नजदीक हैं, लेकिन आपदा और खौफ के कारण उनके बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है. इस दौरान उन्होंने सरकार से विस्थापन की मांग की. उन्होंने कहा उनको पीपलकोटी नहीं, बल्कि जोशीमठ के आसपास ही भूमि और मकान चाहिए.
वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय सदस्य एवं किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष भोपाल सिंह चौधरी ने जोशीमठ में NTPC की जल विद्युत परियोजना के खिलाफ मोर्चा खोला. उन्होंने जोशीमठ भू धंसाव को लेकर एनटीपीसी की परियोजना को जिम्मेदार ठहराया और केंद्र से परियोजना को बंद करने की मांग की. उन्होंने कहा सरकार अगर ये परियोजना बंद नहीं करेगी तो वो इसके खिलाफ अनशन पर बैठेंगे.
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उन्होंने कहा केंद्र प्रदेश सरकार के ऊपर बड़ी-बड़ी जिम्मेदारी सौंप देती है, जो न्यायसंगत नहीं हैं. केंद्र सरकार को चाहिए कि वह स्वयं अपनी टीम भेज आपदा क्षेत्रों का निरीक्षण करने के बाद एनटीपीसी द्वारा जोशीमठ क्षेत्र में निर्माणाधीन परियोजना को बंद करें. एनटीपीसी की टनल के कारण जोशीमठ में भू धंसाव हो रहा हैं.
उन्होंने कहा विकास के नाम पर हिमालय की नदियों को सुरंगों में बांधने की कोशिश की जा रही है. जिसके लिए पहले भी कई संतों ने आंदोलन कर अपने प्राणों की आहुति दी है. हर बार हिमालय और गंगा को बचाने के लिए संतों ने ही आमरण अनशन किया है, लेकिन इस बार वो सिर्फ संतों के सहारे ही नहीं बैठना चाहते हैं. उन्होंने कहा जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव के लिए परियोजना जिम्मेदार है, लेकिन केंद्र सरकार की परियोजना होने के कारण राज्य सरकार इसमें कोई ठोस फैसला नहीं ले पा रही है. इस बीच उन्होंने आपदा क्षेत्रों का भी निरीक्षण किया और जोशीमठ संघर्ष मोर्चा को भी समर्थन दिया.
