चमोली: पूर्व मुख्यमंत्रियों के देवताल दौरे के बाद 'सीमा दर्शन' प्रोजेक्ट की उम्मीदों को लगे पंख

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Published : Sep 19, 2022, 8:04 PM IST

tourism business in uttarakhand

चमोली में नीती घाटी से जुड़ी भारत चीन सीमा दर्शन शुरू करने की मांग तेज हो रही है. पूर्व मुख्यमंत्रियों के देवताल दौरों के बाद ये सीमा दर्शन, परमिट व्यवस्था सरलीकरण और दूसरी चीजों को लेकर भी उम्मीदें जगी हैं. अगर देवताल तक सीमा दर्शन शुरू होती है तो इससे पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा मिलेगा.

चमोली: उत्तराखंड में पर्यटन व्यवसाय (tourism business in uttarakhand) को बढ़ावा देने के लिए सीमा दर्शन यात्रा (Seema Darshan Tour) मील का पत्थर साबित हो सकती है. लंबे समय से भारत चीन सीमाओं के दर्शन (India China Borders Tour) के लिए परमिट व्यवस्था को सरलीकरण करने की लोग मांग करते आ रहे हैं. 16 अगस्त को गढ़वाल सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के नेतृत्व में बदरीनाथ से देवताल-माणा पास तक न केवल सीमा दर्शन यात्रा का आयोजन किया गया, बल्कि भारत-चीन सीमा पर तिरंगा यात्रा (tiranga yatra at india china border) भी निकाली गई. जिसके बाद पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत भी देवताल तक पहुंचे. जिसके बाद एक बाद फिर से सीमा दर्शन यात्रा की मांग को बल मिल रहा है.

उत्तराखंड में यूं तो 6 स्थानों से भारत-चीन सीमा के दर्शन की आवाजाही की जा सकती है. लेकिन वर्तमान समय में देवताल, माणा पास व रिमखिम, बाड़ाहोती तक वाहनों की आवाजाही सुगम होने से देशभर के प्रकृति प्रेमी, पर्यटक सीमा दर्शन व सीमा से लगे मंदिरों, तालों एवं झीलों के दर्शन करने पहुंचते हैं. बीते दिनों स्थानीय लोगों ने सीमा के देवताल व बड़ाहोती स्थित पार्वती कुंड तक की यात्राएं शुरू कराने के साथ कैलाश मानसरोवर का मार्ग इन दर्रों से भी कराए जाने के लिए मुख्यमंत्री व केंद्रीय मंत्रियों से आग्रह किया है. जिस पर सेना की ओर से सकारात्मक पहल भी हुई.

पूर्व मुख्यमंत्रियों के देवताल दौरे के बाद सीमा दर्शन की उम्मीदों को लगे पंख

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इस वर्ष सीमा दर्शन यात्राएं न केवल माणा पास बल्कि बड़ाहोती तक भी सेना एवं अर्धसैनिक बलों की देखरेख में संचालित हो रही है. इस साल सीमा से जुड़े ग्रामीण क्षेत्रों से सैकड़ों लोग पार्वती कुंड सेना और आईटीबीपी की देखरेख में कर चुकी है.सीमा दर्शन यात्रा के लिए पास जारी करना प्रशासन के विवेक पर आधारित होता है. जिससे आम पर्यटक आसानी से सीमा दर्शन यात्रा नहीं कर पाते.

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वर्तमान समय में माणापास में देवताल व नीतीपास से बड़ाहोती की यात्राएं इसलिए भी सुगम हो सकती हैं क्योंकि बीआरओ द्वारा दोनों दर्रों तक बनी सड़क का डामरीकरण भी कर लिया है. जिससे सीमाओं पर सुगम आवागमन हो गया है. बीते दिनों पूर्व मुख्यमंत्री व गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत का माणापास-देवताल तक की सीमा दर्शन यात्रा को भी भविष्य मे यात्रा को आम पर्यटकों व तीर्थ यात्रियों के लिए भी खोले जाने की संभावना के रूप मे देखा जा रहा है. इसके साथ ही हाल ही में त्रिवेंद्र सिंह रावत पूर्व मुख्यमंत्री के जाने से उम्मीदों पर पंख लग गए हैं.

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माणा पास-देवताल के रूप मे उत्तराखंड के पर्यटन व्यवसाय को बढ़ाने का एक बेहतरीन अवसर है. बदरीनाथ धाम आने वाले तीर्थ यात्री देश के अंतिम गांव माणा, भीमपुल, ब्यास गुफा तक तो पहुंचते ही हैं, यदि उन्हें बदरीनाथ से ही सीमा दर्शन की अनुमति मिलती है तो वे अपने वाहनों से ही कुल 52 किमी का सफर तय कर देवताल पहुंच सकते हैं. यह भी उल्लेखनीय है कि पूर्व कैबनेट मंत्री मोहन सिंह रावत गांववासी ने ही सीमा दर्शन यात्राओं का बीड़ा उठाया है. वे प्रतिवर्ष 50 से 60 सदस्यों के साथ सीमा दर्शन यात्रा का नेतृत्व करते हैं.

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वास्तव में बदरीनाथ-माणा से माणा पास-देवताल तक का 52 किमी सड़क मार्ग एवं कई रमणीक स्थल बेहद खूबसूरत हैं. बदरीनाथ दस हजार फीट से देवताल-माणा पास 18 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंचने का आनन्द हर कोई प्रकृति प्रेमी पर्यटक उठाना चाहेगा. बस परमिट व्यवस्था के सरलीकरण किये जाने की जरूरत है.

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