Uttarayani Kautik: विलुप्त हो रही कुमाऊं की बैर भगनौल विधा, हुड़के की थाप जमती पर है महफिल
Updated on: Jan 16, 2023, 10:17 PM IST

Uttarayani Kautik: विलुप्त हो रही कुमाऊं की बैर भगनौल विधा, हुड़के की थाप जमती पर है महफिल
Updated on: Jan 16, 2023, 10:17 PM IST
उत्तराखंड की संस्कृति और विरासत काफी समृद्ध है. जिसमें कुमाऊं की बैर भगनौल विधा भी शामिल है. जिसमें हुड़के की थाप पर सवाल-जवाब किए जाते हैं, लेकिन यह विधा अब अंतिम सांसें गिन रहा है. एक दौर होता था, जब बागेश्वर के उत्तरायणी कौतिक में जमकर बैर भगनौल की महफिल जमती थी. आज स्थिति ये हो गई है कि गिने चुने ही इस विधा के जानकार बचे हैं. जबकि, युवा पीढ़ी इससे मुंह मोड़ रहा है.
बागेश्वरः ऐतिहासिक उत्तरायणी मेले में विलुप्त होती बैर भगनौल विधा की झलक दिखती है. मेले में हर रात चौक बाजार में बैर भगनौल विधा की धूम रहती है. अल्मोड़ा और बागेश्वर के ग्रामीण क्षेत्र से आए लोक विधा के जानकार बैर भगनौल पर जमकर नाचते हैं, लेकिन अब ये विधा कुमाऊं में धीरे-धीरे विलुप्त हो रही है. जिसे संजोने की दरकार है.
बागेश्वर के उत्तरायणी कौतिक में चौक बाजार में इस बार भी लोक संस्कृति और लोक विधा के जानकारों ने हुड़के की थाप पर बैर भगनौल पर प्रस्तुति दी. बैर भगनौल में कुमाऊंनी में सवाल-जवाब होते हैं. लोक विधा के जानकार रहस्य से ओत प्रोत सवाल और जवाब करते हैं. लोक विधा के जानकारों ने 'दाथुलै की धार, गरिबरी गार, पगडंडी छुटि भुला, लागि छ बजार, केमुवां गाड़ि मार्शल कार, तंदुरा का रवाट पाकनी, आल गोभि को साग' आदि बोलों के साथ हुड़के की थाप पर शानदार प्रस्तुतियां दी.
इसके अलावा 'अंगद कैको च्योल छु, अंगद मंदोदरीकि च्योल छु, एक च्याल पैद हुनी बाप घर नै, दुसार च्याल पैद हुनि इज ले घर नै' आदि पर सवाल-जवाब किए. लोक विधा के फनकारों के रहस्य पैदा करने वाले रोचक सवाल-जवाबों का लोगों ने जमकर लुत्फ उठाया. बैर भगनौल की महफिल में अलई बाड़ेछीना अल्मोड़ा से मोहन राम, कांटली बागेश्वर से हरी राम, डीनापानी अल्मोड़ा के गिरीश राम समेत तमाम लोक विधा के जानकार पहुंचे हुए थे.
वहीं, स्थानीय लोक संस्कृति के जानकार किशन मलडा ने बताया कि एक समय ऐसा भी था, जब चौक बाजार में बैर भगनोल करने वालों की भारी भीड़ हुआ करती थी. आज युवा पीढ़ी इससे काफी दूर है. उन्होंने कहा कि कुछ जानकार आज भी अपनी संस्कृति को बचाए हुए हैं. अगर शासन और प्रशासन इस ओर ध्यान दें तो इस पौराणिक संस्कृति को बचाया जा सकता है.
ये भी पढ़ेंः Uttarayani Mela: बागेश्वर उत्तरायणी मेले में लगे राजनीतिक पंडाल, नेताओं ने जनता को किया संबोधित
