अल्मोड़ा में पिरुल से कोयला बनाना सीख रही महिलाएं
Published: Mar 17, 2023, 7:51 PM


अल्मोड़ा में पिरुल से कोयला बनाना सीख रही महिलाएं
Published: Mar 17, 2023, 7:51 PM
सैनार और तलाड़ गांव की महिलाओं को पिरुल से कोयला बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इस प्रशिक्षण में जिसमें 31 महिलाएं हिस्सा ले रहीं हैं. प्रशिक्षण के बाद यह महिलाएं कोयला बनाने का कार्य शुरू करेंगी. यह प्रशिक्षण 19 मार्च तक चलेगा.
अल्मोड़ा: हवालबाग विकास खंड के सैनार गांव में महिलाओं को पिरुल से कोयला बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसका उद्देश्य जंगलों की आग पर अंकुश लगाना एवं महिलाओं की आय का श्रोत को बढ़ाना है. जिला प्रबंधन इकाई की ओर से सैनार व तलाड़ की महिलाओं को इसका प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
उत्तराखंड के जंगलों में चीड़ के पेड़ की पत्तियां बहुतायत में पाई जाती हैं. जिन्हें पिरुल कहा जाता है. यह पत्तियां बहुत ज्वलनशील होती हैं. आग की एक छोटी सी चिंगारी लगने पर आग पकड़ लेती हैं. जंगलों में इसकी अधिकता होने के कारण लगातार आग की घटनाओं की सूचनाएं सामने आती हैं. जंगलों में आग लगने का मुख्य कारण इसे ही माना जाता है. इस पर अंकुश लगाने के लिए जिला मिशन प्रबंधन इकाई की ओर से महिलाओं को इस पिरुल से कोयला बनाना सिखाया जा रहा है, जो ईधन के रुप में प्रयोग किया जाएगा.
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इसके लिए हवालबाग ब्लॉक की सैनार व तलाड़ गांव की दर्जनों महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जिसके बाद यह महिलाएं कोयला बनाने का कार्य करेंगी. इसके विपणन से इनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत होगी. परियोजना निदेशक चंदा फर्त्याल ने बताया जिला मिशन प्रबन्धक इकाई की ओर से यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है. ये तीन दिन तक चलेगा. यह प्रशिक्षण सैनार एवं तलाड़ की एनआरएलएम समूह की महिलाओं को दिया जा रहा है. 19 मार्च तक चलने वाले इस प्रशिक्षण में महिलाओं को पिरुल से कोयला बनाया जाना सिखाया जा रहा है. जिसमें 31 महिलाएं हिस्सा ले रहीं हैं. प्रशिक्षण के बाद यह महिलाएं कोयला बनाने का कार्य शुरू करेंगी. महिलाओं की ओर से बनाए जा रहे इस कोयले के विपणन के लिए विभिन्न संस्थानों से संपर्क भी किया जा रहा है. इससे एक ओर जहां महिलाओं की आय बढ़ेगी, वहीं, दूसरी ओर वनाग्नि पर भी अंकुश लगाने में मदद मिलेगी.
