अल्मोड़ा अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में नए सत्र की मान्यता के लिए एनएमसी National Medical Council की टीम निरीक्षण को पहुंची एनएमसी की टीम ने मानकों के अनुसार डाक्टरों की मौजूदगी पैरा मेडिकल स्टाफ सहित विभिन्न व्यवस्थाओं को परखा हैरत की बात है कि विगत माह मेडिकल कालेज से एक दर्जन बांडधारी रेजीडेंट चिकित्सकों का स्थानांतरण कर दिया गया लेकिन मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी की कमी एनएमसी के सामने ना दिखाई दे इसके लिये स्थानांतरित किए गए चिकित्सकों को स्थानांतरित आदेश को रद्द करने का आश्वासन देकर एनएमसी के सामने उपस्थित रहने को कहा गया ताकि कालेज को आगामी सत्र के लिए मान्यता मिल सकेअल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज से हो चुका 12 डॉक्टरों का ट्रांसफर सोबन सिंह जीना राजकीय आयुर्विज्ञान एवं शोध संस्थान से 27 फरवरी को 12 बांडधारी रेजीडेंस चिकित्सकों का पिथौरागढ़ बेस अस्पताल स्थानांतरण करने का आदेश जारी हुआ जिसका विरोध स्थानांतरित किए गए बांडधारी रेजीडेंस चिकित्सकों ने किया उनके स्थानांतरण कर देने से मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी की कमी हो गईमान्यता बचाने के लिए ट्रांसफर हुए डॉक्टरों को किया पेश बुधवार को अचानक एनएमसी की टीम निरीक्षण के लिए पहुंची तो मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन ने उनका स्थानांतरण न करने का आश्वासन देकर उन्हें एनएमसी की टीम के सामने मौजूद रहने को कहा आश्वासन पर बांडधारी रेजीडेंट चिकित्सक एनएमसी की टीम के सामने मौजूद रहे और उन्होंने अपने सभी दस्तावेजों की जांच कराई वहीं दूसरी ओर उन्होंने बाहर परिसर में अपना विरोध भी जारी रखाबांड पूरा होने से पहले तबादले का विरोध बांडधारी रेजीडेंट चिकित्सकों का कहना है कि उनका बांड दो वर्ष का है लेकिन उन्हें बांड पूरा होने से पहले ही स्थानांतरित करने के आदेश दिए गए़ हैं जो उन्हें मान्य नहीं है स्थानांतरित किए गए चिकित्सकों में माइक्रोबायोलॉजी ईएनटी नेत्र रोग विशेषज्ञ ऐनेस्थिसियोलॉजी जनरल सर्जरी पैथोलॉजी जरनल मेडिसिन बाल रोग विशेषज्ञ टीबी एंड चेस्ट जरनल मेडिसिन व रेडियोडायग्नोसिस के चिकित्सक हैं ये भी पढ़ें Dhan Singh Rawat का बयान रेफर मरीजों को उत्तराखंड में ही मिल रहा इलाज ये बड़ी बातअल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में 67 फीसदी सीनियर डॉक्टरों की कमी एनएमसी के मानकों के अनुसार ये सभी बांडधारी रेजीडेंट चिकित्सक होने चाहिए वर्तमान में संस्थान में 67 प्रतिशत सीनियर रेजीडेंट चिकित्सकों की कमी बनी हुई है जिसे मेडिकल कॉलेज प्रशासन भी मानता है यदि संस्थान से इन चिकित्सकों को कार्यमुक्त किया गया तो यह कमी 98 प्रतिशत हो जाएगी जिससे आगामी सत्र में नये एमबीबीएस छात्र छात्राओं के प्रवेश मान्यता के लिए एनएमसी के मानक पूर्ण नहीं होने से नये सत्र की मान्यता मिलना व चिकित्सालय चलना मुश्किल हो सकता है