जोहानिसबर्ग: दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने बृहस्पतिवार को यूक्रेन पर हमले के लिये रूस की निंदा करने वाले प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में मतदान न करने की वजह बताते हुए कहा कि प्रस्ताव कूटनीति, संवाद और मध्यस्थता के लिए अनुकूल वातावरण नहीं बनाता है ( proposal does not create a favorable environment). संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा बुधवार को बुलाए गए एक आपातकालीन सत्र के दौरान, 193 सदस्यों में से 141 सदस्यों ने रूस के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि दक्षिण अफ्रीका सहित 35 सदस्यों ने इसमें भाग नहीं लिया. रूस, सीरिया और बेलारूस सहित पांच अन्य ने इसके खिलाफ मतदान किया था.
इस प्रस्ताव में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा की गई थी. अंतरराष्ट्रीय संबंध और सहयोग विभाग ने एक बयान में कहा, 'आज हमने जिस प्रस्ताव पर विचार किया है, वह कूटनीति, संवाद और मध्यस्थता के लिए अनुकूल माहौल नहीं बनाता है.' सशस्त्र संघर्ष रोकने के लिये संयुक्त राष्ट्र की जिम्मेदारी का उल्लेख करते हुए बयान में कहा गया है, 'दक्षिण अफ्रीका का मानना है कि अपने वर्तमान स्वरूप में प्रस्ताव का मसौदा संघर्ष के समाधान में योगदान देने के बजाय पक्षों के बीच एक गहरी खाई पैदा कर सकता है.'
बयान में कहा गया, 'संघर्ष में संयुक्त राष्ट्र के दो सदस्य सशस्त्र युद्ध में शामिल हैं, जिसे रोकने की जिम्मेदारी इस संगठन की है. इसलिए, संयुक्त राष्ट्र को ऐसे निर्णय और कार्रवाइयां करनी चाहिए जो पक्षों के बीच स्थायी शांति के निर्माण के लिए अनुकूल रचनात्मक परिणाम की ओर ले जाएं.' ये टिप्पणियां रूसी हमले के खिलाफ पिछले हफ्ते जारी दक्षिण अफ्रीकी सरकार के कड़े शब्दों वाले बयान के बिल्कुल विपरीत थीं, जिसमें उसने यूक्रेन में मौजूदा स्थिति पर निराशा व्यक्त की थी और रूस से तुरंत अपनी सेना वापस लेने का आग्रह किया था. दक्षिण अफ्रीका ने अपने उस बयान में संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुरूप शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता को रेखांकित किया था.
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दक्षिण अफ्रीकी सरकार के रुख में बदलाव तब आया जब सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा शुरुआती बयान से नाखुश थे. इसने देश में राजनीतिक तूफान ला दिया है, विपक्षी दलों ने इसे वैश्विक मंच पर देश के लिए खुद को स्थापित करने के अवसर से चूकने के तौर पर पेश किया था. बृहस्पतिवार के बयान में कहा गया था कि संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को पक्षों के बीच बातचीत शुरू होने का स्वागत करना चाहिए था. इसमें कहा गया कि प्रस्ताव में सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासचिव के कार्यालयों की भूमिका को और अधिक प्रमुखता दी जा सकती थी.
(पीटीआई-भाषा)