रुपये में कमजोरी से बढ़ेगी मुद्रास्फीति, कच्चे तेल और जिसों का आयात होगा महंगा

author img

By

Published : Sep 25, 2022, 6:44 PM IST

Indian rupee sliding to historic low

डॉलर के मुकाबले रुपया गिर रहा है (Indian rupee sliding to historic low). इसका असर कच्चे तेल और अन्य जिंसों के आयात पर पड़ेगा.आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) इस सप्ताह के अंत में द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करने वाली है. ऐसे में रेपो रेट में बदलाव कर सकती है.

नई दिल्ली : अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के 81.09 के रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिर जाने से कच्चे तेल (crude oil) और अन्य जिंसों का आयात महंगा हो जाएगा जिससे मुद्रास्फीति (inflation) और बढ़ जाएगी. मुद्रास्फीति पहले से ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अधिकतम सुविधाजनक स्तर छह फीसदी से ऊपर बनी हुई है. अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों को बार-बार बढ़ाने से भारतीय रुपये पर बना दबाव व्यापार घाटा बढ़ने और विदेशी पूंजी की निकासी की वजह से और बढ़ने की आशंका है.

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) इस सप्ताह के अंत में द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करने वाली है. इसमें मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने के लिए वह रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि का फैसला कर सकती है. भारत अपनी 85 फीसदी तेल जरूरतों और 50 फीसदी गैस जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है. ऐसी स्थिति में रुपये में कमजोरी का असर ईंधन की घरेलू कीमतों पर पड़ सकता है.

मिल मालिकों के संगठन सॉलवेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने कहा कि इससे आयातित खाद्य तेलों की लागत बढ़ जाएगी. इसका भार अंतत: उपभोक्ताओं पर पड़ेगा. अगस्त 2022 में वनस्पति तेल का आयात पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 41.55 फीसदी बढ़कर 1.89 अरब डॉलर रहा है.

व्यापार घाटा 27.98 अरब डॉलर : कच्चे तेल का आयात बढ़ने से अगस्त में भारत का व्यापार घाटा अगस्त में दोगुना से अधिक होकर 27.98 अरब डॉलर हो गया. इस वर्ष अगस्त में पेट्रोलियम, कच्चे तेल एवं उत्पादों का आयात सालाना आधार पर 87.44 फीसदी बढ़कर 17.7 अरब डॉलर हो गया. इक्रा रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, 'जिंसों के दामों में कमी का मुद्रास्फीति पर जो अनुकूल असर पड़ना था वह रुपये में गिरावट की वजह से कुछ प्रभावित होगा.'

एसबीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोई भी केंद्रीय बैंक अपनी मुद्रा के अवमूल्यन को फिलहाल रोक नहीं सकता है और आरबीआई भी सीमित अवधि के लिए रुपये में गिरावट होने देगा. इमसें कहा गया, 'यह भी सच है कि जब मुद्रा एक निचले स्तर पर स्थिर हो जाती है तो फिर उसमें नाटकीय ढंग से तेजी आती है और भारत की मजबूत बुनियाद को देखते हुए यह भी एक संभावना है.' रिपोर्ट में कहा गया है कि रुपये की कीमत में यह गिरावट डॉलर की मजबूती की वजह से आई है, घरेलू आर्थिक मूलभूत कारणों से नहीं.

पढ़ें- मुद्रास्फीति पर काबू के लिए लगातार चौथी बार रेपो दर में वृद्धि करेगा रिजर्व बैंक : विशेषज्ञ

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.