आईपीओ वैल्यूएशन को लेकर सेबी सख्त, लिस्टिंग से पहले होगी जांच

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Published : Mar 11, 2022, 8:42 PM IST

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भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (The Securities and Exchange Board of India) (SEBI) ने पिछले महीने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि नए युग की तकनीकी फर्में जो आम तौर पर लंबी अवधि के लिए घाटे में रहती हैं आईपीओ निकाल रही हैं और इस हालत में पारंपरिक वित्तीय प्रकटीकरण (Financial Disclosures) निवेशकों की सहायता नहीं कर सकता है. बैंकिंग और कानूनी सूत्रों ने कहा कि प्रस्ताव को अंतिम रूप देने से पहले ही, सेबी ने हाल के हफ्तों में कई कंपनियों को अपने गैर-वित्तीय मेट्रिक्स या प्रमुख प्रदर्शन संकेत ( Key Performance Indicators) का ऑडिट कराने के लिए कहा. साथ ही कंपनियों को यह भी बताने को कहा कि आईपीओ के मूल्यांकन पर पहुंचने के लिए उनका उपयोग कैसे किया जाता है.

नई दिल्ली: भारत ने आईपीओ-बाउंड फर्मों की जांच (IPO Valuation Scrutiny) को कड़ा कर दिया है. मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि बैंकरों और लिस्टिंग योजनाओं में देरी से डरने वाली कंपनियों के लिए परेशान करने वाली खबर है कि अब कंपनियों को बताना होगा कि वैल्यूएशन पर पहुंचने के लिए प्रमुख आंतरिक व्यापार मेट्रिक्स का उपयोग कैसे किया जाता है. नवंबर में सॉफ्टबैंक समर्थित भुगतान फर्म पेटीएम के 2.5 बिलियन डॉलर के आईपीओ की फ्लॉप लिस्टिंग के बाद भारत में सेबी को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. आरोप था कि घाटे में चल रही कंपनियां भी अपना अधिक मूल्यांकन दिखा रही हैं.

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (The Securities and Exchange Board of India) (SEBI) ने पिछले महीने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि नए युग की तकनीकी फर्में जो आम तौर पर लंबी अवधि के लिए घाटे में रहती हैं आईपीओ निकाल रही हैं और इस हालत में पारंपरिक वित्तीय प्रकटीकरण (Financial Disclosures) निवेशकों की सहायता नहीं कर सकता है. बैंकिंग और कानूनी सूत्रों ने कहा कि प्रस्ताव को अंतिम रूप देने से पहले ही, सेबी ने हाल के हफ्तों में कई कंपनियों को अपने गैर-वित्तीय मेट्रिक्स या प्रमुख प्रदर्शन संकेत ( Key Performance Indicators) का ऑडिट कराने के लिए कहा. साथ ही कंपनियों को यह भी बताने को कहा कि आईपीओ के मूल्यांकन पर पहुंचने के लिए उनका उपयोग कैसे किया जाता है.

आमतौर पर एक टेक या ऐप-आधारित स्टार्टअप के लिए, KPI एक प्लेटफॉर्म पर डाउनलोड किए जाने की संख्या या ऐप पर बिताए गए औसत समय जैसे आंकड़े हो सकते हैं. हालांकि क्षेत्र के विशेषज्ञों ने कहा कि डाउनलोड किए जाने की संख्या या ऐप पर बिताए गए औसत समय के आधार पर किसी कंपनी का मूल्यांकन या ऑडिट करना मुश्किल है. आईपीओ मामलों के जानकार एक वकील ने कहा कि सेबी हमें 'मूल्यांकन को सही ठहराने' के लिए कह रहा है, इसकी वजह से अनिश्चितता पैदा हो रही थी और अनुपालन की लागत बढ़ रही थी. पूरे घटनाक्रम पर अभी सेबी ने टिप्पणी के अनुरोध का जवाब नहीं दिया.

हांगकांग सहित प्रमुख बाजारों में नियामक उन प्रथाओं का पालन करते हैं जो कंपनियों को उनके व्यवसाय प्रथाओं और वित्तीय स्थिति के बारे में कड़ी जांच के अधीन करते हैं, लेकिन वे आमतौर पर मूल्यांकन मेट्रिक्स की बारीक जांच नहीं करते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एक सेबी ने फरवरी में भारतीय आईपीओ-बाउंड कंपनी से सेबी ने स्पष्टीकरण मांगा कि आईपीओ इश्यू मूल्य पर पहुंचने के लिए केपीआई को कैसे आधार बनाते हैं. साथ ही निर्देश दिया कि उन्हें 'एक वैधानिक लेखा परीक्षक द्वारा प्रमाणित' होना चाहिए.

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भारतीय डिजिटल हेल्थकेयर प्लेटफॉर्म PharmEasy, जिसने नवंबर में 818 मिलियन डॉलर के आईपीओ के लिए कागजात दाखिल किए थे, एक ऐसी कंपनी है जो इस तरह की जांच से प्रभावित हुई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कंपनी ने सेबी को इस तरह के विवरणों की ऑडिटिंग और आपूर्ति के बारे में चिंता जताई है. और संभावना है कि उसे कुछ राहत मिल जाए. मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि PharmEasy ने इस विषय पर कोई भी टिप्पणी नहीं की. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि सेबी द्वारा मांगी गई अतिरिक्त जानकारी संभावित निवेशकों को जारी की जाएगी या नहीं. भारतीय वीसी फर्म 3one4 कैपिटल के संस्थापक प्रणव पई ने कहा कि सेबी मूल्यांकन पर कोई सीमा निर्धारित नहीं कर रहा है और आईपीओ को लक्षित करने वाली लाभदायक और घाटे में चल रही कंपनियों के बीच केवल 'सूचना की समानता ला रहा है'. पई ने कहा कि सेबी कुछ भी असाधारण नहीं मांग रहा है.

बढ़ती चिंताएं, गर्म आईपीओ बाजार

भारत की स्टार्टअप और अन्य कंपनियां विदेशी निवेशकों के लिए प्रिय बन गई हैं और बाजारों में तेजी से सफल हो रही हैं. ऐसे में सेबी को कड़ी जांच की जरूरत महसूस हो रही है. पिछले साल, हाई-प्रोफाइल टेक कंपनियों सहित - 60 से अधिक कंपनियों ने अपने बाजार की शुरुआत की और $ 13.5 बिलियन से अधिक जुटाए. कई राइड-हेलिंग फर्म ओला और होटल एग्रीगेटर ओयो की योजना अभी भी पाइपलाइन में है. पेटीएम लिस्टिंग ने हालांकि वैल्यूएशन को लेकर चिंता जताई है. जबकि कुछ फंड मैनेजरों ने कहा कि यह प्रकरण 'मूल्यांकन में कुछ यथार्थवाद लाएगा'.

हालांकि बैंकरों, वकीलों और कंपनियों के बीच व्यापक चिंता है. क्योंकि जांच जारी है. यहां तक ​​​​कि सेबी का प्रस्ताव कि केपीआई से संबंधित खुलासे को लागू किया जाना चाहिए या नहीं, भी 5 मार्च तक सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए खुला था. प्रस्ताव में कहा गया है कि मूल्य-से-आय (Price-To-Earnings) जैसे प्रमुख लेखांकन अनुपात घाटे में चल रही फर्मों के व्यवसायों का आकलन करने के लिए पर्याप्त नहीं थे. साथ ही सेबी चाहता था कि तीन साल के लिए प्री-आईपीओ निवेशकों के साथ साझा किए गए 'सभी मटेरियल केपीआई' (All Material KPIs) का ऑडिट और प्रकटीकरण (Disclosure) हो.

एमएंडए के राष्ट्रीय प्रमुख विवेक गुप्ता ने कहा कि कई निवेशकों, संस्थापकों और मर्चेंट बैंकों को सेबी के प्रस्ताव पर आपत्ति है. सूत्रों के मुताबिक, बैंक ऑफ अमेरिका और भारत के कोटक महिंद्रा दोनों के निवेश बैंकरों ने आईपीओ की इस तरह की योजनाबद्ध जांच पर सेबी को चिंता जताई है. हालांकि उन्होंने खुले तौर पर मीडिया में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. आईपीओ की योजना बना रहे एक भारतीय स्टार्ट-अप के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उनकी कंपनी चिंतित है. यह स्टार्टअप की भावी पीढ़ियों को भारत से निकलने के लिए प्रोत्साहित करेगा ताकि वे आसानी से विदेशों में सूचीबद्ध हो सकें.

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