STF ने किया बड़ा खुलासा : उत्तराखंड की इस जेल से चल रहा था नशे का कारोबार

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Published : Nov 24, 2021, 6:37 PM IST

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अल्मोड़ा जेल में बंद कैदी महिपाल सिंह और अंकित बिष्ट के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. एसटीएफ मामले की जांच में जुट गई है. साथ ही जेल के अंदर चल रहे नशे के धंधे को लेकर भी जेल अधिकारियों की जांच करेगी. बता दें कि बीते रोज एसटीएफ ने छापेमारी में अल्मोड़ा जेल से एक मोबाइल, एक सिम और तीन ईयरफोन समेत 24 हजार रुपए नकद से बरामद हुए थे.

देहरादून/अल्मोड़ा : स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने एक बार फिर अल्मोड़ा जेल (Almora Jail) में कुख्यातों के नेटवर्क का पकड़ा है. इस बार हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा काट रहा महिपाल अपने साथी अंकित बिष्ट के साथ मिलकर प्रदेश में नशे का कारोबार चला रहा था. छापेमारी के दौरान जेल से मोबाइल फोन सिम और नकदी भी बरामद हुई है. मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है. वहीं, जेल में कैदियों तक मोबाइल, नकदी और अन्य प्रतिबंधित सामान किसने पहुंचाया, पुलिस इसकी पड़ताल में जुट गई है. कई और संदिग्ध पुलिस के रडार पर हैं.

जानकारी के मुताबिक, प्रदेश में अलग-अलग हिस्सों से 5 तस्करों को भी पकड़ा गया है. इनके कब्जे से भारी मात्रा में चरस, गांजा और शराब आदि बरामद किये गए हैं. दरअसल, एसपी एसटीएफ चंद्र मोहन सिंह ने बताया कि एसटीएफ को सूचना मिली थी कि अल्मोड़ा जेल के अंदर महिपाल सिंह और अंकित बिष्ट मादक पर्दाथों की तस्करी कर रहे हैं. इस सूचना पर एसटीएफ की ओर से जांच की गई और पाया गया कि पौड़ी, कोटद्वार, पटेलनगर देहरादून और हल्द्वानी क्षेत्र में इस तरह तस्करी की जा रही थी.

जेल से चल रहा था नशे का कारोबार

जब एसटीएफ की टीम ने एक साथ इन जेलों में दबिश दी तो जेल में बंद महिपाल और अंकित के पास से एक मोबाइल, एक सिम और तीन ईयरफोन सहित 24 हजार रुपए नकद बरामद हुए. इसके साथ ही एसटीएफ की टीम ने अल्मोड़ा, कोटद्वार, बडोवाला, ऋषिकेश, बरेली, शाहजहांपुर सहित विभिन्न स्थानों पर छापेमारी करते हुए लाखों का ड्रग्स भी बरामद किया है.

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एसपी एसटीएफ चंद्र मोहन सिंह के मुताबिक, दोनों आरोपी जेल से ही अपने बाहर के साथियों के साथ मोबाइल से संपर्क रखकर मादक पर्दाथों का नेटवर्क चला रहे थे. एसटीएफ ने पांच टीमें बनाकर कार्रवाई की और बाहर के लोगों को जब गिरफ्तार किया तो उनसे गांजा और शराब की पेटियां बरामद हुईं. गिरफ्तार हुए आरोपियों के अलावा अन्य लोगों की भी जांच की जा रही है. जो भी इसमें शामिल होंगे, उनकी भी गिरफ्तारी की जाएगी.

उन्होंने बताया कि जेल में बंद महिपाल हत्या के प्रयास में सजा काट रहा है. जबकि, अंकित एनडीपीएस एक्ट के तहत जेल में सजा भुगत रहा है. पूरे मामले की जांच की जा रही है कि इन्हें जो रुपए मिलते थे, वो कैसे मिलते थे और किस खाते में जमा करते थे?

जेल अधिकारियों की भी होगी जांच

जेल के अंदर से जो भी नेटवर्क चल रहा है, उसमें एसटीएफ की टीम लगातार कार्रवाई कर रही है. एसटीएफ ने पूर्व में भी जेल में अंदर चले नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई की थी. चंद्र मोहन सिंह का कहना है कि जेल के अंदर चल रहे नशे के धंधे को लेकर जेल के अधिकारियों की भी जांच की जाएगी.

एसपी एसटीएफ ने बताया कि, फिलहाल मामले में बाहर से 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. जांच के दौरान पता चला कि गिरफ्तार हुए मनीष बिष्ट और दीपक तिवारी बिचौलिए का काम करते थे. उनके इस गैंग में उत्तर प्रदेश की लोगों की जुड़े होने की आशंका भी जताई जा रही है. चंद्र मोहन सिंह ने बताया कि, इन आरोपियों के पास जो भी सामान आता था, वो उत्तर प्रदेश से सप्लाई होता थी. अब जांच के दौरान जो भी तथ्य आएंगे, उसी अनुसार कार्रवाई की जाएगी.

गिरफ्तार आरोपी:-

  1. दीपक तिवारी उर्फ दीपू पुत्र डीसी तिवारी, निवासी कालिका कॉलोनी, खटघरिया लोहारिया, हल्द्वानी.
  2. संतोष रावत उर्फ संतु पुत्र लक्ष्मण निवासी बड़ोवाला आरकेडिया ग्रांट, देहरादून.
  3. भास्कर नेगी पुत्र सदर सिंह नेगी निवासी लिंबचोड़, कोटद्वार, पौड़ी गढ़वाल.
  4. संतोष पत्नी स्वर्गीय राजेश निवासी गोविंद नगर ऋषिकेश, देहरादून.
  5. मनीष बिष्ट उर्फ मन्नी पुत्र धन सिंह बिष्ट, निवासी बछुवावण मल्ला, गैरसैंण, चमोली.

ड्रग्स तस्करी के लिए ऑनलाइन ट्रांजेक्शन

वहीं, एसटीएफ की शुरुआती जांच में पता चला है कि नशा तस्करी के लिए रुपये ऑनलाइन लिये जाते थे. ऐसे एक व्यक्ति के बारे में पता चला है और एसटीएफ ने एक टीम को काशीपुर में उसके घर पर तस्दीक के लिए भेजा है. पुख्ता सबूत मिलते ही उसे भी गिरफ्तार किया जाएगा.

बातचीत के लिए ऑनलाइन पेमेंट

एसटीएफ की जांच में ये भी पता चला है कि जेल में अन्य अपराधी बंदियों की परिजनों से फोन पर बातचीत कराकर ऑनलाइन पैसा वसूलते हैं. एसटीएफ को बंदियों के परिजनों से ऑनलाइन पेमेंट ट्रांसजेक्शन के सबूत मिले हैं.

महिपाल सिंह और अंकित बिष्ट के खिलाफ मुकदमा दर्ज

अल्मोड़ा के एसएसपी पंकज भट्ट (SP Almora Pankaj Bhatt) ने बताया कि जेल में बंद कैदी महिपाल सिंह और अंकित बिष्ट के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. मामले की विवेचना की जा रही है.

बता दें कि ड्रग्स तस्करी का काला कारोबार पर शिकंजा कसने के लिए बीते मंगलवार को स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने अल्मोड़ा जेल में छापा मारा था. एक साल के भीतर अल्मोड़ा जेल में एसटीएफ की यह चौथी रेड है. इस दौरान जेल में बंद कैदियों से एक मोबाइल, ईयरफोन और 24 हजार की नकदी मिली है.

जेल की सुरक्षा में फिर चूक

करीब डेढ़ महीने बाद एसटीएफ की अल्मोड़ा जेल में हुई कार्रवाई से जेल की सुरक्षा व्यवस्थाओं को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. आखिर कड़ी सुरक्षा के बाद भी जेल में मोबाइल और नगदी मिलना कहीं न कहीं अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा करते हैं.

जैमर और सीसीटीवी नहीं लगा पाए

बीते चार अक्तूबर को अल्मोड़ा जेल में हुई घटना के बाद भी जेल प्रशासन ने सबक नहीं लिया. वहीं, सुरक्षा की दृष्टि से ना ही अब तक जेल में जैमर लग सके हैं. न ही सीसीटीवी कैमरे लगा पाए हैं.

कुख्यात अपराधी कलीम का साथी है महिपाल

अल्मोड़ा जेल में हत्या के आरोप में आजीवन कारावास काट रहा अपराधी महिपाल कुख्यात गैंगस्टर कलीम का दोस्त है. इससे पहले कुख्यात गैंगस्टर कलीम को फिरौती के मामले में अल्मोड़ा जेल में पकड़ा गया था. गैंगस्टर कलीम बीते 4 अक्टूबर को एसटीएफ की अल्मोड़ा जेल में हुई छापेमारी के बाद टिहरी जेल में शिफ्ट कर दिया गया था.

जेल में तैनात कर्मचारियों में मचा रहा हड़कंप

बीते महीने कलीम मामले में हुई एसटीएफ की कार्रवाई के बाद जेल महानिदेशक ने जेल अधीक्षक समेत अन्य कर्मचारियों को निलंबित कर दिया था. जिसके बाद मंगलवार को एक बार फिर एसटीएफ की कार्रवाई के बीच जेल कर्मचारियों में हड़कंप मचा रहा. हालांकि, बीते दिनों हुई कार्रवाई के बाद बंदी रक्षकों ने महानिरीक्षक कारागार को ज्ञापन भेज जेल की सुरक्षा में जरूरी उपकरण लगाने की मांग की थी. जिसमें अब तक कार्रवाई नहीं हुई.

पौड़ी जेल से भी चल रहा गैंग

पौड़ी जेल में बंद कुख्यात नरेंद्र वाल्मीकि अंदर से ही अपना नेटवर्क चला रहा था. नरेंद्र वाल्मीकि जेल से ही अपने शूटर पंकज को आदेश देता और बाहर पंकज उन वारदातों को अंजाम देता था. बता दें कि बीते दिनों नरेंद्र वाल्मीकि ने जेल से ही पंकज को हरिद्वार के नवविवाहित जोड़े को जान से मारने के लिए 10 लाख रुपए की सुपारी दी थी. हालांकि, एसटीएफ को पहले ही इसकी भनक लग गई थी और सर्तकता के कारण नरेंद्र वाल्मीकि के तीन शूटरों को वारदात से पहले ही पकड़ लिया गया था. एसटीएफ के शिकंजे में आए तीनों आरोपियों के नाम- नीरज पंडित (निवासी हरियाणा), सचिन (निवासी मुजफ्फरनगर) और अंकित (निवासी सहारनपुर) हैं. तीनों के खिलाफ पहले से गैंगस्टर में मामले दर्ज हैं.

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