Consumers pay around world : रुपे-UPI ने सबको पछाड़ा, डिजिटल ट्रांजैक्शन में भारत नंबर वन

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Published : Sep 25, 2022, 5:18 PM IST

Updated : Sep 25, 2022, 6:44 PM IST

card payment system

डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में पूरी दुनिया में भारत का कोई जवाब नहीं है. यहां की यूपीआई सिस्टम ने पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है. हमारा रुपे कार्ड एक ऐसा पेमेंट गेटवे सिस्टम है, जिसकी सेवा शुल्क पूरी दुनिया में सबसे कम है. भारत ने यह उपलब्धि हाल के ही कुछ वर्षों में हासिल की है. दुनिया की दिग्गज कंपनी वीजा और मास्टर कार्ड आज की तारीख में यूपीआई सिस्टम से पिछड़ रहीं हैं. डिजिटल पेमेंट को लेकर भारत कितना आगे है - द इकोनोमिस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार जर्मनी जैसे विकसित देश एक दिन में महज एक लाख लोगों को ही सीधे उनके खाते में पैसा भेज सकते हैं. भारत में एक क्लिक पर 9.5 करोड़ लोगों को सीधे ही उनके अकाउंट (पीएम किसान सम्मान निधि) में पैसे मिल जाते हैं. ये है भारत की ताकत.

नई दिल्ली : एक समय था, जब लोग पेमेंट के लिए सबसे अधिक वीजा और मास्टर कार्ड का प्रयोग करते थे. ये अमेरिकी कंपनियां हैं. लेकिन पिछले 10 सालों में भारत ने स्थिति पलट दी है. 2012 में भारत ने वीजा का मुकाबला करने के लिए रुपे कार्ड की शुरुआत की थी. आज यह दुनिया का सर्वाधिक लोकप्रिय पेमेंट गेटवे सिस्टम हो गया है. भारत के बाद, चीन दूसरे स्थान पर जबकि अमेरिका तीसरे नंबर पर है. इसी तरह से भारत ने 2016 में यूपीआई की शुरुआत की थी. इसमें पेमेंट के क्षेत्र में क्रांति ला दी. यह ऐसा कॉन्सेप्ट है, जो कई बैंक अकाउंट को एक मोबाइल एप्लीकेशन के जरिये रकम ट्रांसफर करने की इजाजत देता है. इसे नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने विकसित किया है. इसका नियंत्रण रिजर्व बैंक और इंडियन बैंक एसोसिएशन के हाथ में है.

visa most popular
पिछड़ रहा वीजा, रुपे की बढ़ी लोकप्रियता

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कुछ ही दिन पहले कहा था कि डिजिटल भुगतान और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के मामले में भारत विश्व गुरु बन गया है और भारत विकसित देशों को इस दिशा में राह दिखाने के लिए तैयार है. उन्होंने बताया कि भारत में रोजाना औसतन 28.4 करोड़ डिजिटल ट्रांजेक्शन किया जा रहा है जो विश्व भर में सबसे अधिक है. उन्होंने यह भी बताया कि डिजिटल ट्रांजेक्शन के मामले में चीन दूसरे जबकि अमेरिका तीसरे नंबर पर है.

  • After years of planning by the NPCI, in 2012 RuPay was launched as a domestic card payment network. But how did this Desi player outgrow its global peers in just a decade? pic.twitter.com/Fz4hblOYF8

    — anshul gupta (@anshgupta64) July 17, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

आपको बता दें कि आप किसी भी बैंक का कार्ड उठाकर देख लें, आपको इस पर रुपे, वीजा या मास्टरकार्ड लिखा होता है. ये अलग-अलग पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर हैं. रुपे भारत का अपना पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर है. इसकी शुरुआत 2012 से हुई थी. Rupay कार्ड क्योंकि भारतीय सर्वर पर डेटा रखता है, इसलिए इसमें प्रोसेसिंग और वेरिफिकेशन जल्दी होता है. ट्रांजैक्शन भी जल्दी प्रोसेस हो जाता है. इसमें कमीशन भी कम लगता है. यहां का डेटा अधिक सुरक्षित है, क्योंकि डाटा देश के बाहर नहीं जाता है. इसके ठीक उलट वीजा और मास्टरकार्ड विदेशी पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर हैं. जाहिर है, इसका डाटा विदेशों में रहता है. इसका कमीशन भी ज्यादा है. इसमें डाटा चोरी होने की भी संभावना बनी रहती है. रुपे कार्ड को लेकर खुद प्रधानमंत्री ने कहा था कि आप ज्यादा से ज्यादा इसका प्रयोग कर देश की सेवा कर सकते हैं.

  • • It is NOW accepted in more than 200 countries! In fact recently, NPCI signed an MOU with France for the acceptance of RuPay and UPI.

    — anshul gupta (@anshgupta64) July 17, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

डिजिटल पेमेंट को लेकर भारत की प्रगति उल्लेखनीय - द इकोनोमिस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार जर्मनी जैसे विकसित देश एक दिन में महज एक लाख लोगों को ही सीधे उनके खाते में पैसा भेज सकते हैं. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि वहां पर पैन और बैंक अकाउंट को जोड़ने का आवेदन देंगे, तो आपको एक साल से ऊपर का समय लग जाएगा.

भारत के आंकड़ों पर गौर करेंगे, तो 2021-22 में ही हर रोज सरकार ने 90 लाख लोगों के खातों तक सीधे पैसा पहुंचाया है. ये पैसे अलग-अलग बेनिफिट स्कीम के तहत दिए गए हैं. आंकड़ों की बात करें, तो भारत में औसतन हर रोज 28.4 करोड़ डिजिटल लेनदेन होते हैं. ग्लोबल रियल टाइम ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में भारत की भागीदारी अकेले ही 40 फीसदी है.

ये आंकड़े चीन से 2.6 गुना अधिक हैं. अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के कुल ट्रांजेक्शन को मिला दें, तो भारतीय ट्रांजेक्शन 6.5गुना अधिक रहे. भारत में बैंक अकाउंट, पैन, आधार और फोन, सब लिंक्ड हैं. एक क्लिक में ही पीएम किसान सम्मान निधि का पैसा 9.5 करोड़ किसानों को मिल जाता है. वित्त वर्ष 2021-22 में 8,800 करोड़ से ज्यादा डिजिटल ट्रांजैक्शन हुए. मौजूदा वित्त वर्ष (2022-23) में ही जुलाई तक 3,300 करोड़ से ज्यादा ऐसे लेनदेन हुए.

कोविड काल में भारत ने डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में अनोखा काम किया. हमारा यूपीआई सिस्टम दुनिया का बेहतरीन सिस्टम है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 2021 जनवरी में डिजिटल पेमेंट इंडेक्स की शुरुआत की थी. यूपीआई का अगला लक्ष्य तीन या पांच वर्षों में एक दिन में एक अरब लेनदेन संसाधित करना है. phonePe और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का डिजिटल भुगतान बाजार 2026 तक $ 3 ट्रिलियन से $ 10 ट्रिलियन तक तिगुना से अधिक हो जाएगा. डिजिटल भुगतान (गैर-नकद) 2026 तक सभी भुगतानों का लगभग 65 प्रतिशत होगा.

डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म होने की वजह से किसी भी समय, छुट्टियों वाले दिन भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.

रुपे कार्ड क्रेडिट कार्ड की वजह से पिछड़ रहा था. लेकिन अब उस समस्या को भी दूर कर ली गई है. रुपे ने क्रेडिट सेवा की शुरुआत कर दी है. देश में पहली बार एक साथ तीन बैंकों ने यूपीआई (UPI) से पेमेंट किए जा सकने वाले रुपे क्रेडिट कार्ड (Rupay Credit Card) पेश किया है. इस क्रेडिट कार्ड से वैसे ही पेमेंट होगा जैसे डेबिट कार्ड से लिंक किए गए यूपीआई ऐप से होता है. इन तीन बैंकों में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक और इंडियन बैंक शामिल हैं. यूनियन बैंक ने एक ट्वीट में इसकी जानकारी देते हुए कहा कि अब क्रेडिट कार्ड पर भी यूपीआई पेमेंट की सुविधा दी जाएगी.

यूपीआई भारत में पेमेंट का सबसे भरोसेमंद माध्यम बन गया है. वर्तमान में, 26 करोड़ से अधिक यूजर और 5 करोड़ व्यापारी (मर्चेंट) UPI प्लेटफॉर्म पर जुड़े हुए हैं. एक दिन में औसतन 28.4 करोड़ डिजिटल लेनदेन होते हैं.

अब आप देखिए वीजा या मास्टरकार्ड की क्या है स्थिति - एक समय था जब पूरी दुनिया में वीजा या मास्टरकार्ड पेमेंट के लिए सबसे अधिक प्रयोग में लाए जाते थे. तब यह दुनिया का सबसे सुलभ क्रेडिट नेटवर्क माना जाता था. इन दोनों कार्डों के बाद डिस्कवर का स्थान आता था. लेकिन डिस्कवर मेक्सिको और जर्मनी में वैलिड नहीं हैं. इसी तरह से अमेरिकन एक्सप्रेस भी काफी लोकप्रिय कार्ड है. पर, वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी स्वीकृति दर कम है.

डिस्कवर ने यूनियन-पे सहित अन्य कार्ड नेटवर्क के साथ अंतरराष्ट्रीय साझेदारी का लाभ उठाया है. इन गठजोड़ों ने डिस्कवर को सबसे व्यापक रूप से स्वीकृत अंतरराष्ट्रीय कार्ड ब्रांडों में से एक बनने में मदद की है. पिछले कुछ वर्षों में, अमेरिकन एक्सप्रेस ने अपनी स्वीकृति बढ़ाने के लिए यूएस में व्यापारियों के साथ काम किया है. फरवरी 2020 की निल्सन रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अमेरिकन एक्सप्रेस को अब संयुक्त राज्य अमेरिका में 10.6 मिलियन व्यापारियों पर स्वीकार किया जाता है, जो कि 99% स्वीकृति दर के बराबर है.

वैसे यात्रा करते समय अपने साथ एक बैकअप कार्ड रखना आम तौर पर एक अच्छा विचार माना जाता है. इसी तरह से एमेक्स कार्ड की भी लोकप्रियता पहले के मुकाबले बढ़ी है. एमेक्स अपने कार्डमेम्बर आधार को भी बढ़ा रहा है, और कंपनी के कार्ड के साथ बिक्री की संख्या बढ़ रही है.

कुछ रिपोर्ट में बताया गया है कि कुछ व्यापारियों ने अमेरिकन एक्सप्रेस के साथ काम करने से इनकार कर दिया, क्योंकि उनके लेनदेन को संसाधित करना महंगा है. अधिकांश एमेक्स कार्ड प्रीमियम पुरस्कार प्रदान करते हैं, और इन कार्डों से प्रत्येक स्वाइप पर व्यापारियों को बिक्री का 2.3% या अधिक खर्च करना पड़ सकता है. वीज़ा, मास्टरकार्ड और डिस्कवर 2.15 से 2.26% के बीच शुल्क ले सकते हैं. यह अमेरिकन एक्सप्रेस पर उन नेटवर्क का उपयोग करने के पक्ष में स्टोर प्रबंधकों के लिए एक मौद्रिक प्रोत्साहन प्रदान करता है.

इसके जरिए आप समझ सकते हैं कि किस तरह से वीजा और अन्य कार्डों को लेकर कुछ न कुछ समस्याएं हैं, लेकिन भारत का रुपे कार्ड और यूपीआई सिस्टम हर रोज नई उपलब्धि हासिल करता जा रहा है.

Last Updated :Sep 25, 2022, 6:44 PM IST
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