भारत में धीरे-धीरे चलने वाली 'बुलेट ट्रेन'

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Published : Oct 5, 2020, 8:58 PM IST

Updated : Oct 5, 2020, 9:04 PM IST

Budding Problems to the Project in India

मोदी सरकार ने जापान की मदद से मुंबई और अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन लाइन के निर्माण की पहल की है. वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ इस परियोजना की नींव रखी थी.

हम लोगों को हर हाल में समय के साथ बदलना होगा. हमें अनिवार्य रूप से आधुनिक नवीनतम प्रौद्योगिकी को अपनाना होगा, नहीं तो हम प्रतिस्पर्धी दुनिया में पीछे रह जाएंगे. इन दिनों जापान, चीन और ब्रिटेन समेत दुनिया भर के करीब 20 देशों में बुलेट ट्रेन चल रही है. दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुके भारत में हाई स्पीड ट्रेन अब भी अनसुनी चीज है. हालांकि, देश में पहली बुलेट ट्रेन परियोजना की नींव तीन साल पहले ही रखी गई थी, लेकिन यह भूमि अधिग्रहण जैसी नई समस्याओं से पार नहीं पा सकी है. इसके अलावा केंद्र ने सात और नई परियोजनाएं पेश की हैं. हैदराबाद से देश की वित्तीय राजधानी मुंबई को जोड़ने वाला गलियारा उनमें से एक है. केंद्र सरकार नई परियोजनाओं को शुरू करके संतुष्ट हो रही है, जबकि एक चिंताजनक तथ्य यह है कि जिन महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को शुरू में लिया गया था उनके काम में कोई प्रगति नहीं हुई है.

जापान बुलेट ट्रेन के लिए एक आदर्श उदाहरण
दुनिया की पहली बुलेट ट्रेन शुरू करने वाला देश जापान है. टोक्यो और ओसाका शहरों को जोड़ने वाली हाई स्पीड ट्रेन सेवा वर्ष 1964 में ही शुरू हुई थी. बुलेट ट्रेन व्यवस्था उन मुख्य कारणों में से एक है जिससे जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है. हालांकि, दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत के साथ जापान की अर्थव्यवस्था खराब हो गई थी. उस समय से सरकार और वहां के लोगों ने मिलकर समृद्धि को पटरी पर लाने के लिए पसीना बहाया. देश में समेकित विकास हासिल करने के मकसद से जापान ने बुलेट ट्रेन परियोजना शुरू की. इससे देश के व्यापार क्षेत्र और अर्थव्यवस्था की स्थिति में क्रांति आ गई. उद्योग मानव संसाधनों का प्रभावशाली ढंग से उपयोग करने में सक्षम हुए, क्योंकि यात्रा के समय में कमी आई और उत्पादकता का समय बढ़ गया. पर्यटन क्षेत्र भी उसी तरह से फलने-फूलने लगा. जापान में इस तरह से अर्थव्यवस्था बढ़ने लगी. देश में ट्रेन दुर्घटनाओं में वार्षिक मृत्यु दर लगभग शून्य है. केवल 20 सेकंड की औसत वार्षिक देरी खुद में ही तेज गति की ट्रेन व्यवस्था से आई मजबूती और दक्षता का एक प्रमाण है.

मोदी सरकार ने जापान की मदद से की पहल
मोदी सरकार ने जापान की मदद से मुंबई और अहमदाबाद के बीच 508 किलोमीटर लंबी बुलेट ट्रेन लाइन के निर्माण की पहल की है. वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ मुंबई और अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन परियोजना की नींव रखी थी. परियोजना की अनुमानित लागत 1.08 लाख करोड़ रुपये थी. उसमें से 81 प्रतिशत जापान से उधार लिया गया था. दिसंबर 2023 तक कम से कम पहली यात्रा शुरू कर देने का लक्ष्य था. वर्ष 2022 में भारत की आजादी के 75 साल पूरे हो रहे हैं, केंद्र सरकार को उसी साल अगस्त में कुछ 'बुलेट ' सेवाएं शुरू करने की उम्मीद है. उसके लिए इसकी शुरुआत की तारीख को पहले किया गया है.

पढ़ें: बुलेट ट्रेन परियोजना के 2023 में पूरा होने पर संशय

किसानों को आश्वस्त करने की जरूरत
बुलेट ट्रेन 320 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है. नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन (एनएचएसआरसी) का दावा है कि अहमदाबाद से मुंबई की यात्रा का समय तीन घंटे तक कम हो जाएगा. हालांकि, इस बुलेट ट्रेन के लिए पटरी बिछाने की आधारशिला रखने की तारीख के तीन साल बीत जाने के बाद भी परियोजना में कोई बड़ी प्रगति नहीं हुई है. इस गलियारे के निर्माण के लिए 1,380 हेक्टेयर भूमि की जरूरत है. गुजरात में करीब 940 हेक्टेयर भूमि, महाराष्ट्र में 431 हेक्टेयर और शेष भूमि दादरनगर हवेली में है. इसमें से अब तक कुल भूमि का केवल 63 फीसद ही लिया गया था. इसे देखते हुए ऐसा लगता है कि केंद्र और एनएचएसआरसी लक्ष्य की समय सीमा को 2028 तक आगे बढ़ाने की योजना बना रहे हैं. उस समय तक परियोजना की लागत भी बढ़कर लगभग दोगुनी हो जाएगी. वास्तव में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने हाल ही में एक सार्वजनिक बयान दिया कि उनकी प्राथमिकता सूची में परियोजना नहीं थी. ठाकरे मुंबई-अहमदाबाद परियोजना की उपेक्षा कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी के लिए परियोजना महत्वाकांक्षी है. अफवाहों की स्थिति यह है कि एक राज्य के मुख्यमंत्री जैसे इस तरह से बात कर रहे हैं, ऐसे में किसी किसान से यह उम्मीद कैसे की जा सकती है कि वह अपनी कृषि भूमि को राष्ट्र के विकास के लिए या राज्य के लिए देने के लिए आगे आएगा.

किसानों को रहना होगा सड़क किनारे
किसान एक बार यदि अपनी उपजाऊ भूमि से अलग हो गए, तो उन्हें सड़क किनारे रहना होगा. यदि वे परियोजना के लिए जमीन गंवा देते हैं तो वे अपनी आजीविका खो देंगे. इसलिए केंद्र और राज्यों को उनमें विश्वास पैदा करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके भविष्य के लिए कदम उठाए जाएं. बुलेट ट्रेन प्रणाली की शुरुआत की वजह से देश को होने वाले लाभ के बारे में उन्हें समझाया जाना चाहिए. पुनर्वास की सुविधाएं दी जानी चाहिए. उनकी भूमि की लागत बाजार दर से कुछ गुना अधिक दी जानी चाहिए. बेघरों के लिए नए मकान बनाने और उनसे ली गई जमीन के बदले में कहीं और जमीन आवंटित करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए. यदि जरूरी हो तो सरकारों को सरकारी नौकरी देने के लिए आगे आना चाहिए. जब ये सब होगा तभी कहा जाएगा कि देश ने बुलेट ट्रेन के सपने को साकार करने की दिशा में वास्तव में कदम उठाया.

मांडा नवीन कुमार गौड़

Last Updated :Oct 5, 2020, 9:04 PM IST
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