ETV Bharat / state

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में होगी रिमोट सेंसिंग पढ़ाई

काशी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में रिमोट सेंसिंग से पढ़ाई होगी. चलिए जानते हैं इसके बारे में.

etv bharat
etv bharat
author img

By

Published : May 21, 2023, 3:46 PM IST

Updated : May 23, 2023, 3:26 PM IST

वाराणसीः महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ पूर्वांचल का पहला ऐसा विश्वविद्यालय बनने जा रहा है जो विद्यार्थियों को रिमोट सेंसिंग की पढ़ाई कराएगा. इस कोर्स के तहत विद्यार्थी आधुनिक तकनीकी, कंप्यूटर का ज्ञान सीखेंगे और तकनीकी क्षेत्र में अपना भविष्य सवारेंगे. बड़ी बात यह है कि यह शुरुआत विद्यापीठ के साथ उसके संबद्ध महाविद्यालयों में भी होगी. विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए निर्देश दे दिए गए हैं.

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में अब नई तकनीक से होगी पढ़ाई.



वाराणसी स्थित महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ लगातार नए-नए प्रयोग कर रहा है. फिर चाहे ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों के लिए सेल गठित करना हो या फिर विदेशी छात्रों की पढ़ाई करना हो, विद्यापीठ लगातार ये प्रयास कर रहा है कि शिक्षा के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित किए जाए. ऐसे ही इस बार विद्यार्थियों के लिए तकनीकी शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है. विशेष बात ये है कि विद्यापीठ पूर्वांचल का पहला विश्वविद्यालय है जो इस पर काम कर रहा है.

Etv bharat
आधुनिक होगी पढ़ाई.


विश्वविद्यालय प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार काशी विद्यापीठ से संबद्ध हर महाविद्यालय में रिमोट सेंसिंग और सेटेलाइट तकनीकी की कक्षाएं चलाई जाएंगी. इन सभी महाविद्यालयों को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग और इसरो के नोडल केंद्र इंडिया स्पेस वीक की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराने की तैयारी चल रही है. कुलसचिव की तरफ से बकायादा निर्देश जारी किए गए हैं. इसके लिए कक्षाएं ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों की तरीके से चलेंगी.


विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एके त्यागी ने बताया कि कोर्स के अंतर्गत भूगोल में स्नातक स्तर पर चलाई जाने वाली कक्षाओं में छात्रों को चक्रवात, सुनामी, मौसम के बदलाव, प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित जानकारियां दी जाएंगी. इसके साथ ही छात्रों को पर्यावरण प्रदूषण से संबंधित अध्ययन कराया जाएगा. इसके लिए 2023-2024 के सत्र से कक्षाएं शुरू की जाएंगी. विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर में भी विशेषज्ञ इसकी क्लास लेंगे. इसे साथ ही संबद्ध महाविद्यालयों में भी इसकी पढ़ाई होगी.


लगभग 400 महाविद्यालयों में चलाया जाएगा पाठ्यक्रम
बता दें कि काशी विद्यापीठ से पांच जिलों में लगभग 400 महाविद्यालय संबद्ध हैं. सभी महाविद्यालयों को संस्था की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराने के निर्देश दिए गए हैं. इसके साथ ही सभी महाविद्यालयों को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग और इसरो के नोडल केंद्र इंडिया स्पेस वीक के साथ जुड़कर स्नातक स्तर पर कक्षाएं चलाने के भी निर्देश दिए गए हैं. ज्ञात हो कि पहले भी विशेष सचिव के निर्देश पर काशी विद्यापीठ ने इंडिया स्पेस वीक के साथ करार किया था. इसका मुख्यालय नई दिल्ली और क्षेत्रीय कार्यालय प्रयागराज में है.




ये भी पढ़ेंः सांसद बृजभूषण सिंह का पहलवानों पर हमला, बोले- कोई झूठ बोलने पर उतारू हो जाए तो जिंदगी बर्बाद कर सकता है

वाराणसीः महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ पूर्वांचल का पहला ऐसा विश्वविद्यालय बनने जा रहा है जो विद्यार्थियों को रिमोट सेंसिंग की पढ़ाई कराएगा. इस कोर्स के तहत विद्यार्थी आधुनिक तकनीकी, कंप्यूटर का ज्ञान सीखेंगे और तकनीकी क्षेत्र में अपना भविष्य सवारेंगे. बड़ी बात यह है कि यह शुरुआत विद्यापीठ के साथ उसके संबद्ध महाविद्यालयों में भी होगी. विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए निर्देश दे दिए गए हैं.

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में अब नई तकनीक से होगी पढ़ाई.



वाराणसी स्थित महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ लगातार नए-नए प्रयोग कर रहा है. फिर चाहे ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों के लिए सेल गठित करना हो या फिर विदेशी छात्रों की पढ़ाई करना हो, विद्यापीठ लगातार ये प्रयास कर रहा है कि शिक्षा के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित किए जाए. ऐसे ही इस बार विद्यार्थियों के लिए तकनीकी शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है. विशेष बात ये है कि विद्यापीठ पूर्वांचल का पहला विश्वविद्यालय है जो इस पर काम कर रहा है.

Etv bharat
आधुनिक होगी पढ़ाई.


विश्वविद्यालय प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार काशी विद्यापीठ से संबद्ध हर महाविद्यालय में रिमोट सेंसिंग और सेटेलाइट तकनीकी की कक्षाएं चलाई जाएंगी. इन सभी महाविद्यालयों को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग और इसरो के नोडल केंद्र इंडिया स्पेस वीक की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराने की तैयारी चल रही है. कुलसचिव की तरफ से बकायादा निर्देश जारी किए गए हैं. इसके लिए कक्षाएं ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों की तरीके से चलेंगी.


विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एके त्यागी ने बताया कि कोर्स के अंतर्गत भूगोल में स्नातक स्तर पर चलाई जाने वाली कक्षाओं में छात्रों को चक्रवात, सुनामी, मौसम के बदलाव, प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित जानकारियां दी जाएंगी. इसके साथ ही छात्रों को पर्यावरण प्रदूषण से संबंधित अध्ययन कराया जाएगा. इसके लिए 2023-2024 के सत्र से कक्षाएं शुरू की जाएंगी. विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर में भी विशेषज्ञ इसकी क्लास लेंगे. इसे साथ ही संबद्ध महाविद्यालयों में भी इसकी पढ़ाई होगी.


लगभग 400 महाविद्यालयों में चलाया जाएगा पाठ्यक्रम
बता दें कि काशी विद्यापीठ से पांच जिलों में लगभग 400 महाविद्यालय संबद्ध हैं. सभी महाविद्यालयों को संस्था की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराने के निर्देश दिए गए हैं. इसके साथ ही सभी महाविद्यालयों को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग और इसरो के नोडल केंद्र इंडिया स्पेस वीक के साथ जुड़कर स्नातक स्तर पर कक्षाएं चलाने के भी निर्देश दिए गए हैं. ज्ञात हो कि पहले भी विशेष सचिव के निर्देश पर काशी विद्यापीठ ने इंडिया स्पेस वीक के साथ करार किया था. इसका मुख्यालय नई दिल्ली और क्षेत्रीय कार्यालय प्रयागराज में है.




ये भी पढ़ेंः सांसद बृजभूषण सिंह का पहलवानों पर हमला, बोले- कोई झूठ बोलने पर उतारू हो जाए तो जिंदगी बर्बाद कर सकता है

Last Updated : May 23, 2023, 3:26 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.