आईआईटी बीएचयू ने बनाई अनोखी ईंट, सहेजेगी बूंद-बूंद पानी

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Published : Oct 16, 2019, 7:40 PM IST

वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आईआईटी के छात्रों ने बारिश की पानी की बूंदों को सहेजने के लिए एक बेहतरीन उपाय ढूंढ निकाला है. सिविल इंजीनियरिंग विभाग के शोध छात्रों ने एक ईंट तैयार की है, जो बारिश में पानी को व्यर्थ नहीं होने देगा.

वाराणसीः पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में उनके जल संरक्षण की मुहिम को बल मिलता दिख रहा है. आईआईटी बीएचयू सिविल इंजीनियरिंग के छात्रों ने सड़क बनाने के बाद बचे हुए वेस्ट मटैरियल से ईंट बनाई है. रिसर्च छात्रों का मानना है कि इससे प्राकृतिक संसाधनों का दोहन भी रुकेगा और 2-3 माह में यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाने के बाद सरकार को भी इस ईंट से जुड़ी जानकारी भेजी जाएगी. इससे इस ईंट का व्यापक स्तर पर प्रयोग सुनिश्चित हो पाएगा.

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शोध छात्र मयंक ने बताया मॉनसून के समय बारिश का अधिकांश पानी नाली में बह जाता है. सरकार रेन वाटर हारवेस्टिंग को बढ़ावा देने के लिए बहुत सारे प्रयास कर रही है. लेकिन यह सिस्टम खर्चीला होने के चलते सभी जगहों पर इसका उपयोग संभव नहीं है. हमारी ईंट से गलियों के पानी को भी बचाया जा सकता है.

उन्होंने बताया कि बारिश का पानी ईंट के जरिए छनते हुए ड्रेन तक चला जाएगा. इनके बाद वह एक बड़ी टंकी में स्टोर होगा. खास तरह की ईंट होने के चलते पानी साफ होकर ड्रेन तक पहुंचेगा. जमा किए हुए पानी का उपयोग खेती से लेकर अन्य चीजों में हो सकता है. हालांकि अभी इस खास ईंट मजबूती की जांच कई स्तरों पर बाकी है, खासकर भारी वाहनों के दबाव वाली सड़कों पर इसकी जांच की जानी है. अभी यह फुटपाथ और पार्किंग स्पेस में उपयोग के लिए सही साबित हुई है.

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हम लोगों ने वेस्ट चीजों से पेवर ब्लॉक ईंट बनाई है. पहले भी पेवर ब्लॉक ईंट पर काम हुआ है, लेकिन किसी ने वेस्ट चीजों से ऐसी ईंट नहीं बनाई. एक बार ईंट बनाने के लिए कच्चा माल तैयार हो जाता है, तो 1 घंटे में हम लोग ईंट बना सकते हैं. अब तक हम लोगों ने 35 से ज्यादा ईंटें बनाई हैं, जिसका पहला प्रयोग हम आईआईटी बीएचयू के प्रांगण में करेंगे
-निखिल साबू, विभागाध्यक्ष ,सिविल इंजीनियरिंग, आईआईटी बीएचयू

Intro:विशेष खबर

वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आई आई टी के छात्रों ने बारिश की पानी की बूंदों को सहेजने के लिए एक बेहतरीन उपाय ढूंढ निकाला है सिविल इंजीनियरिंग विभाग के शोध छात्रों ने एक करामाती ईट तैयार किया है। जो बारिश में पानी को व्यर्थ नहीं होने देगा। सुनकर थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन यह बात सच है। पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में उनके जल संरक्षण की मुहिम को बल मिलता दिख रहा है।


Body:आईआईटी बीएचयू सिविल इंजीनियरिंग के छात्रों ने सड़क बनाने के बाद बची हुई वेस्ट मटेरियल का उपयोग करके यह ईट बनाया है। जब सड़के बनाई जाती है जो उनके ऊपर पहले से तारकोल और गिट्टी का लेप होता है उसे हटाया जाता है उन्हें वेस्ट मटेरियल से भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय के मानस पुत्र एक नया ईट तैयार कर रहे हैं। रिसर्च छात्रों का मानना है कि जैसे प्राकृतिक संसाधन का दोहन भी रुकेगा 2 से 3 माह के छात्रों का प्रोजेक्ट पूरा हो जाने के बाद सरकार को भी इन इट से जुड़ी जानकारी भेजी जाएगी।इस इट का व्यापक स्तर पर प्रयोग सुनिश्चित हो पाएगा ईट बनाने वाले छात्रों का कहना है जिस तरह देश के पीएम जल संरक्षण के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं उसी को देखते हुए हमने इस ईट को तैयार किया है।


Conclusion:आईआईटी शोध छात्र मयंक ने बताया मानसून के समय बारिश का अधिकांश पानी नाली से भा जाता है सरकार रेन वाटर होस्टिंग को बढ़ावा देने के लिए बहुत काम कर रही है यह सिस्टम महंगा है जिसके चलते सभी जगहों पर इसका उपयोग संभव नहीं हो पा रहा है हमारी ईट से गलियों के पानी को भी बचाया जा सकता है बारिश का पानी इन इट के जरिए हुए रन तक जाएगा इनके बाद देने के जरिए एक बड़ी टंकी में स्टोर होगा खास तरह की ईट होने के चलते पानी साफ होकर तक पहुंचेगा उन्होंने बताया कि जमा किए हुए पानी को खेती से लेकर अन्य चीजों में आसानी से उपयोग किया जा सकता है छात्रों की मानें तो यह ईट मजबूत है लेकिन भारी वाहन चलते हैं वहां पर इसका प्रयोग नहीं होगा फुटपाथ से लेकर वाहनों की पार्किंग जगह पर ईंटों का प्रयोग किया जा सकेगा ऐसा करके हम बारिश के पानी को व्यर्थ होने से बचा पाएंगे। उसके साथी जो हमारा वाटर लेवल नीचे जा रहा है हम उसे भी रोक पाएंगे।

बाईट :-- मयंक, छात्र आईआईटी बीएचयू


प्रोफेसर निखिल बाबु नहीं खास ईद के बारे में बताया कि सड़क से लेकर ईट बनाने तक के प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जाता है इसे प्राकृतिक संसाधनों का अधिक दोहन नहीं हो रहा है हम लोगों ने वेस्ट चीजों से पेवर ब्लॉक इट बनाई है पहले भी पेवर ब्लॉक इट पर काम हुआ है लेकिन किसी ने वेस्ट चीजों से ऐसी ईट नहीं बनाई उन्होंने बताया कि ईट बनाने का अधिकतम समय नहीं लगता लेकिन वेस्ट चीजों को तैयार करने में अधिक समय लगता है एक बार ईट बनाने के लिए कच्चा माल तैयार हो जाता है तो आगे से 1 घंटे में हम लोग इट बना सकते हैं अब तक हम लोगों ने 35 से ज्यादा ईट बनाई है जिसका पहला प्रयोग हम आईआईटी बिच्छू के प्रांगण में करेंगे।

बाईट :--प्रो निखिल, सिविल इंजीनियरिंग आईआईटी बीएचयू।

खबर विशेष पैकेज बनेगा जिसकी एडिटिंग ऑफिस होगी

अशुतोष उपाध्याय
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