वाराणसी: खुला मां अन्नपूर्णा का स्वर्णमयी दरबार, भक्तों में बंट रहा मां का खास खजाना

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Published : Oct 25, 2019, 8:19 PM IST

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में माता अन्नपूर्णा का मंदिर स्थापित है. मान्यता है कि भालेनाथ ने माता अन्नपूर्णा से अन्न की भिक्षा मांगी थी. इसी मान्यता के साथ दीपावली के पहले धनतेरस के दिन से लेकर दीपावली के बाद अन्नकूट तक मां अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है.

वाराणसी: धनत्रयोदशी और धन्वंतरी जयंती को पूरे देश में मनाया जा रहा है. लोग अपने घर में शुभ की आस के लिए माता लक्ष्मी की प्रतिमाओं के साथ सोना, चांदी, पीतल, तांबा और स्टील के बर्तन खरीद कर ला रहे हैं. वहीं इन सबके बीच धर्म नगरी काशी में शुक्रवार के दिन ऐसी परंपरा का निर्वहन किया जाता है. जो सिर्फ और सिर्फ काशी में ही निभाई जा सकती है.

माता अन्नपूर्णा का मंदिर खुला.
यह परंपरा है माता अन्नपूर्णा की स्वर्णमयी प्रतिमा का दर्शन दीपावली के पहले धनतेरस के दिन श्री काशी विश्वनाथ मंदिर से कुछ दूर स्थित माता अन्नपूर्णा के दरबार में न लक्ष्मी माता और मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांग रहे देवाधि देव महादेव की उस अद्भुत प्रतिमा के दर्शन होते हैं. इस मंदिर को सिर्फ साल में 4 दिन के लिए आम भक्तों के लिए खोला जाता है.

महादेव ने माता अन्नपूर्णा से मांगे थे
ऐसी मान्यता है कि देवा दी देव महादेव माता अन्नपूर्णा के आगे भिक्षा लेने जाते हैं और फिर काशी के लोगों का पेट भरते हैं. इसी मान्यता के साथ दीपावली के पहले धनतेरस के दिन से लेकर दीपावली के अगले दिन अन्नकूट तक मां अन्नपूर्णा की स्वर्ण प्रतिमा के दर्शन की मान्यता काशी में है. वहीं मंदिर के महंत रामेश्वर पुरी माता का खजाना भक्तों में बांट रहे हैं.

भक्तों में खजाने का होता है वितरण
बताया जा रहा है कि माता के खजाने के रूप में उस पैसे का वितरण किया जाता है, जो अब चलन में नहीं है. यानी 50 पैसे के सिक्के भक्तों में लावा और मीठे बताशे के साथ बांटे जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि मां का यह खजाना घर में रखने से दरिद्रता दूर होती है और मनुष्य धन-धान्य से परिपूर्ण होता है.

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Intro:वाराणसी: आज धनत्रयोदशी और धन्वंतरी जयंती है जिसे पूरे देश में मनाया जा रहा है लोग अपने घर में शुभ कि आस के लिए माता लक्ष्मी की प्रतिमाओं के साथ सोना चांदी और पीतल तांबा और स्टील के बर्तन खरीद कर ला रहे हैं, लेकिन इन सबके बीच धर्म नगरी काशी में आज के दिन एक ऐसी परंपरा का निर्वहन किया जाता है जो सिर्फ और सिर्फ काशी में ही निभाई जा सकती है. यह परंपरा है माता अन्नपूर्णा की स्वर्णमयी प्रतिमा का दर्शन दीपावली के पहले धनतेरस के दिन काशी विश्वनाथ मंदिर से कुछ दूर स्थित माता अन्नपूर्णा के दरबार में ऊपर स्वर्णमई मां अन्नपूर्णा भूमि माता लक्ष्मी माता और मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांग रहे देवाधिदेव महादेव की उस अद्भुत प्रतिमा के दर्शन होते हैं. जिसको सिर्फ साल में 4 दिन के लिए आम भक्तों के दर्शनार्थ खोला जाता है माता अन्नपूर्णा की स्वर्ण प्रतिमा की झलक पाने के लिए लाखों की संख्या में भक्तों की भीड़ काशी में उमड़ी है. सबसे खास बात यह है कि आज ही के दिन काशी में माता अन्नपूर्णा का खजाना बांटा जाता है जिसे लेकर मान्यता है कि इसे अपने घर में रखने से कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती.


Body:वीओ-01 कहते हैं काशी में कोई भूखा नहीं रहता क्योंकि यहां पर माता अन्नपूर्णा स्वयं विराजमान है लोगों का पेट भरने के लिए और खुद देवा दी देव महादेव माता अन्नपूर्णा के आगे भिक्षा लेने जाते हैं और फिर अपने काशी के लोगों का पेट भरते हैं और इसी मान्यता के साथ दीपावली के पहले धनतेरस के दिन से लेकर दीपावली के अगले दिन अन्नकूट तक मां अन्नपूर्णा की स्वर्ण प्रतिमा के दर्शन की मान्यता काशी में है विश्वनाथ मंदिर परिसर से कुछ दूरी स्थित मां अन्नपूर्णा का यह भव्य दरबार आज आम भक्तों के लिए खोला गया है मंदिर के महंत रामेश्वर पुरी माता का खजाना भक्तों में बांट रहे हैं. बताया जा रहा है कि माता के खजाने के रूप में उस पैसे का वितरण किया जाता है जो अब चल में नहीं है यानी 50 पैसे के सिक्के भक्तों में लावा और मीठे बताशे के साथ बांटे जाते हैं ऐसा माना जाता है कि मां का यह खजाना घर में रखने से दरिद्रता दूर होती है और धन-धान्य से परिपूर्ण होता है आपका जीवन.


Conclusion:वीओ-02 मंदिर के महंत रामेश्वर पुरी का कहना है कि सैकड़ों हजारों साल पुरानी यह प्रतिमा हर साल सिर्फ 4 दिन के लिए ही हम भक्तों के दर्शन के लिए खोली जाती हैं दीपावली से पहले धनतेरस के दिन इसका दर्शन भक्तों को मिलता है और धनतेरस पर ही खजाने का भी वितरण किया जाता है. इतना ही नहीं भक्त भी कल देर रात से ही माता ने बुना की एक झलक पाने के लिए लंबी कतार में अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं और वक्त भी मां के स्वरूप का दर्शन कर और खजाना पाकर निहाल हो गए हैं.

बाईट- सोनाली जैन, भक्त
बाईट- कन्हैया दुबे, भक्त
बाईट- महंत रामेश्वर पूरी, महंत, श्री अन्नपूर्णा मंदिर एवं मठ
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