काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सर्वे के खिलाफ दायर याचिका पर 9 सितंबर को हाईकोर्ट सुनाएगा फैसला

author img

By

Published : Aug 31, 2021, 11:11 PM IST

काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद (Kashi Vishwanath Temple and Gyanvapi Mosque Controversy) में सर्वे कराने को लेकर अधीनस्थ अदालत द्वारा दिए गए फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court ) 9 सितंबर को फैसला सुनाएगा. ये याचिका मस्जिद इंतजामिया कमेटी और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से याचिका दाखिल की गई है.

प्रयागराज : काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद (Kashi Vishwanath Temple and Gyanvapi Mosque Controversy) में सर्वे कराने को लेकर अधीनस्थ अदालत द्वारा दिए गए फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court ) 9 सितंबर को फैसला सुनाएगा. इस याचिका पर हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने की मंगलवार को सुनवाई की. मस्जिद इंतजामिया कमेटी और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से दाखिल इस याचिका में वाराणसी सिविल जज सीनियर डिवीजन के आदेश को चुनौती दी गई है.

आपको बता दें कि वाराणसी के सिविल जल सीनीयर डिवीजन की कोर्ट ने काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े मामले में विवादित परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया था. जिसे मस्जिद इंतजामिया कमेटी और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर इलाहाबाद हाईकोर्ट मे चुनौती गई है.

गौरतलब है कि वाराणसी की सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक दीवानी अदालत ने काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े मामले में विवादित परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया है. अदालत ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को अपने खर्च पर यह सर्वेक्षण कराने का आदेश जारी किया है.


इस मुद्दे को लेकर याचिका दायर करने वाले वकील विजय शंकर रस्तोगी के मुताबिक इस सर्वेक्षण में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पांच विख्यात पुरातत्व वेत्ताओं को शामिल करने का आदेश दिया गया है, जिनमें दो सदस्य अल्पसंख्यक समुदाय के भी होंगे. उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में दीवानी न्यायालय में उन्होंने स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर काशी विश्वनाथ की ओर से वाद मित्र के रूप में आवेदन दिया था. उन्होंने दावा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद विश्वेश्वर मंदिर का एक अंश है. रस्तोगी की याचिका पर वाराणसी की अदालत ने परिसर में पुरातात्विक सर्वेक्षण के आदेश दिए था.

वहीं मस्जिद इंतजामिया कमेटी और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के मुताबिक यह मामला पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम- 1991 के दायरे में आता है. इस कानून को अयोध्या मामले की सुनवाई करने वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने बहाल रखा था. लिहाजा ज्ञानवापी मस्जिद का दर्जा किसी भी तरह के संदेह से मुक्त है.

उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के मुताबिक वाराणसी की अदालत का आदेश सवालों के घेरे में है, क्योंकि वादी पक्ष की तरफ से कोई भी तकनीकी सुबूत पेश नहीं किए गए कि ज्ञानवापी मस्जिद की जगह पहले कभी कोई मंदिर हुआ करता था. यहां तक कि अयोध्या मसले में भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा की गई खुदाई अंततः व्यर्थ साबित हुई. बोर्ड के मुताबिक खुद सुप्रीम कोर्ट ने खासतौर पर इस बात का जिक्र भी किया था, लिहाजा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा मस्जिदों की पड़ताल की प्रथा को बंद कर दिया जाना चाहिए.

इसे भी पढ़ें : आचार्य जितेन्द्रानंद बोले- मौलाना मदनी अपने दकियानूसी विचार रखें अपने पास

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.