वाराणसीः गणेश चतुर्थी पर मंदिरों में भक्तों का उमड़ा जनसैलाब

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Published : Jan 13, 2020, 1:01 PM IST

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धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में भगवान महादेव के पुत्र गणेश की उपासना बड़ी श्रद्धा के साथ की जा रही है. गणेश चतुर्थी के दिन नगर के सभी गणेश मंदिरों में सूर्योदय के साथ ही लोग मां गंगा में स्नान कर दर्शन-पूजन कर रहे हैं.

वाराणसी: काशी में कुल 56 विनायक मंदिर हैं, जहां लोग आज उनकी उपासना कर रहे हैं. वहीं लोहटिया स्थित बड़ा गणेश मंदिर, दुर्गाकुंड स्थित दुर्ग विनायक गणेश मंदिर, केदार घाट स्थित चिंतामणि गणेश मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ है. विनायक भगवान को लोग दूब, लड्डू, फल, फूल, इत्र अर्पण कर अपने संतान और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना कर रहे हैं. आज भक्त घंटों लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते दिखे.

गणेश चतुर्थी पर भक्त कर रहे विनायक का दर्शन.

पुत्र की दीर्घायु के लिए व्रत
दुर्ग विनायक गणेश के पुजारी सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि आज गणेश चतुर्थी को गणेश जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है. महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं. दंपत्ति के एक साथ दर्शन करने से सारी मनोकामनाएं पूंर्ण होती हैं. शाम को घरों में भगवान गणेश का पूरे विधि-विधान से पूजन किया जाता है और चंद्र को अर्घ्य दिया जाता है. पुत्र की दीर्घायु के लिए भी यह व्रत किया जाता है.

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Intro:धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में भगवान महादेव के पुत्र गणेश की उपासना बड़े ही श्रद्धा के साथ किया जा रहा है। गणेश चतुर्थी के दिन नगर के हर छोटे बड़े गणेश मंदिरों में सूर्य उदय के साथ ही लोग मां गंगा में स्नान कर दर्शन पूजन कर रहे हैं.

Body:काशी में वैसे तो कुल 56 विनायक का मंदिर है लेकिन लोहटिया स्थित बड़ा गणेश मंदिर, दुर्गाकुंड स्थित दुर्ग विनायक गणेश मंदिर, केदार घाट स्थित चिंतामणि गणेश मंदिर में सुबह से ही भक्त दर्शन पूजन कर रहे हैं। विनायक भगवान को दूब,लड्डू,फल,फूल,इत्र,अर्पण कर के अपने संतान और परिवार के सुख समृद्धि की कामना किया। घंटों लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते दिखे भक्त।

Conclusion:सुधीर त्रिपाठी ने बताया आज गणेश चतुर्थी को गणेश जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है। महिलाएं निर्जला व्रत रखती है। दंपत्ति एक साथ दर्शन करने से सारी मनोकामनाए पूर्ण होती है। शाम को घरों में भगवान गणेश का पूरे विधि-विधान से पूजन किया जाता है। और चंद्र को अर्घ्य दिया जाता है। पुत्र की दीर्घायु के लिए भी किया जाता है यह व्रत।

बाईट :-- सुधीर त्रिपाठी, पुजारी, दुर्ग विनायक गणेश।

आशुतोष उपाध्याय, वाराणासी
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