पहले हसरत मोहानी के गांव जाने के लिए सड़क होती थी, अब तो गड्ढे ही बचे हैं
Updated on: Nov 22, 2022, 2:53 PM IST

पहले हसरत मोहानी के गांव जाने के लिए सड़क होती थी, अब तो गड्ढे ही बचे हैं
Updated on: Nov 22, 2022, 2:53 PM IST
प्रदेश सरकार ने 30 नवंबर तक सड़कों को गड्ढामुक्त करने का अभियान चला रखा है. मगर उन्नाव से हसरत मोहानी के गांव मोहान (Hasrat Mohani village Mohan) जाने वाली सड़क की सूरत बदलेगी, इस पर संशय बरकरार है. इसका कारण यह है कि सरकार तो अगले कुछ दिनों में सड़कों के गड्ढे भरेगी. मगर गड्ढों वाली सड़क का क्या होगा ? हसरत मोहानी के गांव मोहान जाने वाली सड़क तो गायब हो चुकी है, बस गड्ढे ही बचे हैं.
उन्नाव : स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान इंकलाब जिंदाबाद एक ऐसा नारा था, जिसने क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों को अंग्रेजों के विरोध के लिए मुखर आवाज दी थी. इस नारे को गढ़ने वाले हसरत मोहानी अंग्रेजों से लोहा लेने में उनकी अहम भूमिका रही है. हसरत मोहानी उत्तरप्रदेश के उन्नाव के मोहान गांव के थे. देश को आजादी तो 1947 में मिल गई , मगर हसरत मोहानी के गांव मोहान (Hasrat Mohani village Mohan) में जाने वाले जर्जर रास्ते को गड्ढों और मुसाफिरों को हिचकोलों से मुक्ति नहीं मिली. यूं कहे कि हसरत मोहानी के गांव तक जाने के लिए अब मिट्टी और चंद पत्थर के अलावा सड़क ही नहीं बची है.
