उन्नाव : स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान इंकलाब जिंदाबाद एक ऐसा नारा था, जिसने क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों को अंग्रेजों के विरोध के लिए मुखर आवाज दी थी. इस नारे को गढ़ने वाले हसरत मोहानी अंग्रेजों से लोहा लेने में उनकी अहम भूमिका रही है. हसरत मोहानी उत्तरप्रदेश के उन्नाव के मोहान गांव के थे. देश को आजादी तो 1947 में मिल गई , मगर हसरत मोहानी के गांव मोहान (Hasrat Mohani village Mohan) में जाने वाले जर्जर रास्ते को गड्ढों और मुसाफिरों को हिचकोलों से मुक्ति नहीं मिली. यूं कहे कि हसरत मोहानी के गांव तक जाने के लिए अब मिट्टी और चंद पत्थर के अलावा सड़क ही नहीं बची है.
उन्नाव : स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान इंकलाब जिंदाबाद एक ऐसा नारा था, जिसने क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों को अंग्रेजों के विरोध के लिए मुखर आवाज दी थी. इस नारे को गढ़ने वाले हसरत मोहानी अंग्रेजों से लोहा लेने में उनकी अहम भूमिका रही है. हसरत मोहानी उत्तरप्रदेश के उन्नाव के मोहान गांव के थे. देश को आजादी तो 1947 में मिल गई , मगर हसरत मोहानी के गांव मोहान (Hasrat Mohani village Mohan) में जाने वाले जर्जर रास्ते को गड्ढों और मुसाफिरों को हिचकोलों से मुक्ति नहीं मिली. यूं कहे कि हसरत मोहानी के गांव तक जाने के लिए अब मिट्टी और चंद पत्थर के अलावा सड़क ही नहीं बची है.