खरमास में ईष्ट देव का करें ध्यान...गरीबों को दें दान, मंगलकारी होगें आपके काम !

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Published : Dec 15, 2021, 3:42 PM IST

खरमास में ईष्ट देव का करें ध्यान

16 दिसंबर 2021 से लेकर 14 जनवरी 2022 तक खरमास की अवधि है. इस दौरान मंगल कार्य नहीं किए जाते हैं. खरमास की अवधि में किन-किन बातों के ध्यान रखना चाहिए व पूजा-पाठ की विधि क्या है, पढ़िए पूरी खबर.

प्रयागराज : हिंदू धर्म में खरमास का विशेष महत्व माना जाता है. 16 दिसंबर 2021 से लेकर 14 जनवरी 2022 तक खरमास लग रहा है. इस अवधि में सूर्य हर राशि में पूरे एक महीने या 30 से 31 दिन के लिए रहता है. 12 महीनों में सूर्य 12 राशियों में प्रवेश करते है.

12 राशियों में भ्रमण करते हुए जब सूर्य देव गुरु बृहस्पति की राशि धनु या मीन में प्रवेश करते हैं, तो उस स्थिति को खरमास कहते हैं. सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने पर सभी शुभ कार्य एक महीने के लिए बंद हो जाते हैं. सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं, तो खरमास की शुरुआत होती है. एक माह तक धनु राशि में रहने के बाद सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं. इसके बाद मकर सक्रांति के साथ खरमास का समापन होता है.

ज्योतिषाचार्य पंडित शिप्रा सचदेव

इसके बाद सूर्य देव दुबारा मीन राशि में मार्च के महीनें में आते हैं और अप्रैल में खरमास का समापन होता है. खरमास के दौरान भले ही शुभ कार्य करने की मनाही हो, लेकिन इस महीने को धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है.

इस दौरान पूजा पाठ करने से परेशानियों से छुटकारा मिलता है. लेकिन बहुत से लोगों को यह जानकारी नहीं कि आखिर खरमास क्या होता है, और इस दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्यों को करने पर रोक क्यों रहती है.

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ज्योतिषाचार्य पंडित शिप्रा सचदेव बतातीं हैं कि खरमास के महीने की शुरुआत होते ही सभी मांगलिक कार्य जैसे शादी, सगाई, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश, मुंडन आदि तमाम शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है. इस अवधि में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होता है. खरमास के एक महीने के समय पूजा-पाठ और दान-पुण्य के लिए सर्वश्रेष्ठ समय होता है. इस माह में दान-पुण्य का अधिक फल प्राप्त होता है.

खरमास के दौरान सूर्यदेव और विष्णु भगवान की पूजा करनी चाहिए. ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. ज्योतिषाचार्य पंडित शिप्रा सचदेव ने बताया कि खरमास में गरीबों को अन्नदान, वस्त्र दान आदि करना चाहिए. यह माह जप-तप के लिए उत्तम माना जाता है और खरमास के दौरान अपने ईष्ट देव का ध्यान, पूजन, मंत्र जप आदि करना लाभदायक माना जाता है.

मान्यता है कि खरमास के दौरान गुरु के स्वभाव में उग्रता आ जाती है. हिंदू धर्म में सूर्य को महत्वपूर्ण कारक माना जाता है, ऐसे में सूर्य की कमजोर स्थिति को शुभ नहीं माना जाता है. बृहस्पति को देवगुरु कहा जाता है और उनके स्वभाव में उग्रता शुभ नहीं होती. इसलिए खरमास में किसी भी तरह के मांगलिक कार्य की रोक लगा दी जाती है.

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