अध्यापक की सेवाकाल में मौत पर वारिस को ग्रेच्युटी पाने का अधिकार-हाईकोर्ट

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Published : Sep 25, 2021, 11:11 PM IST

हाईकोर्ट

अध्यापक की सेवाकाल में मौत पर वारिस को ग्रेच्युटी पाने का अधिकार है. हाईकोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि विकल्प न देने से ग्रेच्युटी से इंकार नहीं किया जा सकता.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सेवानिवृत्त होने से पहले ही मौत पर अध्यापक के वारिसों को इस आधार पर ग्रेच्युटी देने से इंकार नहीं किया जा सकता कि अध्यापक ने सेवानिवृत्ति विकल्प नहीं भरा था. कोर्ट ने कहा कि सेवा नियमावली के अनुसार तीन साल की सेवा करने वाले अध्यापक को प्राप्त अंतिम वेतन का 6 गुना ग्रेच्युटी पाने का अधिकार है.

सेवानिवृत्ति आयु 60 से बढ़कर 62 किये जाने के बाद ग्रेच्युटी का विकल्प देने का निर्देश जारी किया गया. विकल्प सेवानिवृत्ति से एक वर्ष के भीतर देना था, किन्तु विकल्प भरने से पहले ही मौत हो गई. ऐसे में ग्रेच्युटी का भुगतान करने से इंकार नहीं किया जा सकता.

कोर्ट ने याचिका मंजूर कर ली और तीन माह में ग्रेच्युटी की गणना कर निर्णय से याची को सूचित करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने सुशीला यादव, अभिषेक चंद्र सिन्हा व माया देवी की याचिकाओं पर दिया है.

सभी याची बेसिक स्कूल के अध्यापक के वारिसों है. इन्हें यह कहते हुए ग्रेच्युटी देने से इंकार कर दिया गया कि अध्यापक ने विकल्प नहीं दिया था.

कोर्ट ने उषा रानी केस के फैसले के हवाले से कहा कि मौत कभी भी हो सकती है. यदि विकल्प नहीं भरा गया है तो इस आधार पर ग्रेच्युटी देने से मना नहीं कर सकते.

1964 में नियमावली बनी. एडेड स्कूल अध्यापकों को ग्रेच्युटी देने की व्यवस्था की गई. पहले सेवानिवृत्ति आयु 58 वर्ष थी जो बढ़कर 60 वर्ष हुई. इसके बाद 9 नवंबर 2011 को सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गई है. 60साल में सेवानिवृत्त होने वाले अध्यापकों को ग्रेच्युटी पाने का हक है. इसके लिए विकल्प भरना होगा. इसके बाद सवाल उठा पहले ही मौत हो गई तो विकल्प के अभाव में क्या ग्रेच्युटी से इंकार कर सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि सेवाकाल में मृत्यु की दशा में ग्रेच्युटी देने से इंकार नहीं किया जा सकता.

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