Allahabad High Court ने पेटीएम से 1081 करोड़ की GST वसूली पर लगाई रोक

Allahabad High Court ने पेटीएम से 1081 करोड़ की GST वसूली पर लगाई रोक
Allahabad High Court ने सोमवार को PayTM से GST की वसूली पर रोक लगा दी. इस पेटीएम पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court on PayTM) में सुनवाई अब 27 अप्रैल को होगी.
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पेटीएम के खिलाफ 1081 करोड़ रुपये की जीएसटी वसूली पर रोक लगा दी है. साथ ही मामले की सुनवाई के लिए 27 अप्रैल की तिथि निर्धारित की है. पेटीएम पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court on PayTM) ने यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने वन 97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है.
विवाद यह है कि पेटीएम द्वारा मोबाइल रिचार्ज कूपन और डायरेक्ट टू होम रिचार्ज वाउचर की आपूर्ति को राज्य या अंतरराज्यीय माना जाए. याची की ओर से कहा गया कि उसकी ओर से देय कर उत्तर प्रदेश में पहले ही भुगतान कर दिया गया है.
एकीकृत माल और सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 19 के अनुसार यदि कर की कोई राशि गलत तरीके से भुगतान की जाती है तो उसे समायोजित किया जा सकता है. केंद्रीय माल और सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 77 के अनुसार इस तरह के लेनदेन के लिए कोई ब्याज नहीं दिया जाता है.
याची ने इस मामले में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड को अभ्यावेदन दिया जो फिलहाल लंबित है. विभाग ने तर्क दिया कि याची की ओर से किए गए अभ्यावेदन पर विचार कर तीन माह में निर्णय लिया जाना चाहिए. इस पर कोर्ट ने सुनवाई के लिए 27 अप्रैल की तिथि तय कर दी.
ज्ञानवापी मस्जिद को तोड़ने के लिए लोगों को उकसाने वाले की अग्रिम जमानत मंजूर:
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद को तोड़ने के लिए लोगों को उकसाने वाले को राहत देते हुए उसकी अग्रिम जमानत अर्जी को मंजूर कर लिया है. कोर्ट ने कहा है कि याची को निजी मुचलके और दो प्रतिभूतियों के साथ रिहा किया जाए. यह आदेश न्यायमूर्ति सुभाष चंद्र शर्मा ने दिग्विजय चौबे की अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया है याची पर वाराणसी के भेलुपुर पुलिस थाने में आईपीसी की धारा 153ए, 295ए, 505(2) के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी.
याची की ओर से तर्क दिया गया कि प्राथमिकी में उसका नाम नहीं था. जांच में उसका नाम सामने आया है. राजनीतिक विद्वेष की वजह से उन्हें फंसाया गया है. याची के खिलाफ कोई सबूत नहीं है. हालांकि, सरकारी अधिवक्ता ने अग्रिम जमानत अर्जी का विरोध किया, लेकिन कोर्ट ने परिस्थितियों को देखते हुए जमानत अर्जी मंजूर कर ली.
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