UP Assembly Election 2022: अबकी मुजफ्फरनगर सदर सीट पर होगा भाजपा-सपा के बीच मुकाबला

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Published : Sep 27, 2021, 10:01 AM IST

अबकी मुजफ्फरनगर सदर सीट पर होगा भाजपा-सपा के बीच मुकाबला

मुजफ्फरनगर की सदर विधानसभा (14) (Muzaffarnagar Sadar Assembly) सीट पर अबकी भाजपा बनाम सपा गठबंधन के बीच मुकाबले के (Competition between BJP and Samajwadi Party) आसार दिख रहे हैं. वहीं, क्षेत्र के मतदाताओं को अपने पाले में करने को अभी से ही सियासी पार्टियों के नुमाइंदे मैदान में उतर गए हैं और तेजी से जनसंपर्क बढ़ाने में लगे हैं.

मुजफ्फरनगर: भले ही यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election-2022) को अभी वक्त है, लेकिन मुजफ्फरनगर की सदर विधानसभा (14) सीट (Muzaffarnagar Sadar Assembly) पर अबकी भाजपा बनाम सपा गठबंधन के बीच मुकाबले के आसार दिख (Competition between BJP and Samajwadi Party) रहे हैं. वहीं, क्षेत्र के मतदाताओं को अपने पाले में करने को अभी से ही सियासी पार्टियों के नुमाइंदें मैदान में उतर गए हैं और तेजी से जनसंपर्क बढ़ाने में लगे हैं, ताकि किसी तरह से मतदाताओं को लुभाया जा सके.

इधर, सत्ताधारी भाजपा ने सूबे में अपने साढ़े चार साल के कार्यकाल के दौरान किए गए विकास कार्यों के लेखा-जोखा को लेकर क्षेत्रों का दौरा शुरू किया है तो वहीं, विपक्षी पार्टियों ने जनता के समक्ष भाजपा कार्यकाल में हुई खामियों का ब्यौरा पेश करना शुरू कर दिया है.

मुजफ्फरनगर सदर विधानसभा के विधायक कपिल देव अग्रवाल
मुजफ्फरनगर सदर विधानसभा के विधायक कपिल देव अग्रवाल

यदि हम मुजफ्फरनगर की सदर विधानसभा सीट (14) की बात करें तो यहां करीब 3 लाख 46 हजार 673 मतदाता है, जिसमें एक लाख 86 हजार 110 पुरुष और एक लाख 60 हजार 530 महिला मतदाता हैं. हालांकि, 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सीट पर कब्जा कर लिया और आने वाले 2022 के विधानसभा चुनाव में यहां भाजपा और सपा रालोद गठबंधन के बीच मुकाबला तय माना जा रहा है.

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दरअसल, इस सीट पर वैश्य समाज की बाहुल्यता को देखते हुए सभी सियासी पार्टियां यहां वैश्य समाज से ही प्रत्याशी देती आई हैं. वहीं, वर्तमान भाजपा के कपिल देव अग्रवाल यहां से विधायक हैं. लेकिन पिछले चार विधानसभा चुनावों में यहां से दो बार समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी जीते हैं, जबकि दो बार भाजपा को कामयाबी मिली है.

खैर, अबकी इस सीट पर कौन जीत दर्ज करेगा, यह तो कहना मुश्किल है, लेकिन जमीनी समीकरण की समीक्षा पर यह जरूर साफ हो जाता है कि यहां मुख्य तौर पर मुकाबला भाजपा और सपा गठबंधन के बीच ही होना है.

एक नजर पिछले समीकरणों पर

16वीं विधानसभा यानी साल 2012 के चुनावों में यहां समाजवादी पार्टी के चितरंजन स्वरूप ने 59169 मत हासिल कर भाजपा के अशोक कंसल को 15002 मतों से पराजित किया था तो वहीं, बसपा के अरविंद राज शर्मा को 31529 मत के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे. वहीं चौथे स्थान पर कांग्रेस के प्रत्याशी सोमनाथ प्रकाश 2117 वोटों के साथ रहे थे.

इससे पहले 15वीं विधानसभा यानी 2007 के चुनाव में यहां भाजपा के अशोक कुमार कंसल ने 49817 मत प्राप्त कर समाजवादी पार्टी के चितरंजन अग्रवाल को 11261 मतों से हराया था. इस चुनाव में बसपा प्रत्याशी बलेश कुमार 29796 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे, जबकि रालोद के चौधरी मुश्ताक चौथे स्थान पर रहे थे.

इधर, 14वीं विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो साल 2002 में हुए इस चुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी चितरंजन स्वरूप ने 58932 मत हासिल कर भाजपा के कपिल देव अग्रवाल को 9123 वोटों से पराजित किया था. वहीं, बसपा के मिथिलेश पाल 32004 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे, जबकि चौथे स्थान पर 5552 वोटों के साथ कांग्रेस प्रत्याशी सुभाष चंद्र माहेश्वरी रहे थे.

क्षेत्र की समस्याएं

इस सीट की मुख्य समस्या आए दिन शहर में लगने वाला जाम व ग्रामीण मार्गों की मुख्य सड़कें हैं, जो कि खस्ताहाल पड़ी हैं, जिसके कारण यहां के ग्रामीणों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हाल ही में शेरपुर गांव के ग्रामीणों ने ऐलान किया था कि वे किसी भी प्रत्याशी को गांव में नहीं घुसने देंगे. इसके अलावे यहां अबकी किसान आंदोलन का असर भी दिख सकता है.

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