मेरठ सदर विधानसभा 48 : सपा-भाजपा में सीधी टक्कर, जनता ने कहा विकास होगा प्रमुख मुद्दा

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Published : Sep 23, 2021, 12:00 PM IST

Updated : Sep 23, 2021, 12:21 PM IST

मेरठ सदर विधानसभा 48 : सपा-भाजपा में सीधी टक्कर, जनता ने कहा विकास होगा प्रमुख मुद्दा

1977 और 1980 में कांग्रेस के मंजूर अहमद ने चुनाव जीता. 1985 में जय नरायण शर्मा ने कांग्रेस से चुनाव जीता. 1989 में भाजपा से लक्ष्मीकांत वाजपेयी विधायक बने. 1993 में सीट मुस्लिम प्रत्याशी शाहिद अखलाक ने जनता दल के टिकट पर जीती. इसके बाद 1996 और 2002 में लक्ष्मीकांत फिर से विधायक बने.

मेरठ : जनपद की सदर विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है. इस सीट पर बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे लक्ष्मीकांत बाजपेयी को शिकस्त देकर सपा के रफ़ीक़ अंसारी ने जीत दर्ज की थी. सपा विधायक के अब तक के कार्यकाल पर मेरठ शहर में ईटीवी भारत ने आमजन के बीच जाकर उनसे चर्चा की और जानने की कोशिश की कि आखिर कितना बदलाव उनके क्षेत्र में अब तक आया है. ग्राउंड रिपोर्ट..

सदर विधानसभा क्षेत्र के लोगों की मानें तो इस सीट पर इस बार सीधी लड़ाई भाजपा और सपा के बीच ही है. आम लोग इस सीट पर विकास के मुद्दे पर वोट देने का मन बना चुके हैं. उनका कहना है कि इस बार जाति धर्म सब पीछे है. जनता विकास के मुद्दे पर ही वोट देगी.

मेरठ सदर विधानसभा 48 : सपा-भाजपा में सीधी टक्कर, जनता ने कहा विकास होगा प्रमुख मुद्दा

विकासपुरी के सलीम कहते हैं कि क्षेत्र में विकास बड़ा मुद्दा है. इस बार विकास की जो आस थी, वह अधूरी रही. कहा कि शहर की मूल समस्याएं जिनमें साफ-सफाई आदि शामिल है, को लेकर कोई विशेष काम नहीं हुआ. हालांकि विधायक इन बातों को नहीं मानते. उनका कहना है कि सरकार के सहयोग न करने से जरूरत के हिसाब से विकास जरूर नहीं हो पाया पर ऐसा कहना कि विकास हुआ ही नहीं यह गलत होगा.

उधर, शहर के मोहम्मद नियाज ने कहा कि विधायक ने वायदे तो किए पर उन्हें पूरे नहीं किए. फैज़ल खान कहते हैं कि चुवावों के समय राजनेता बड़े-बड़े वायदे करते हैं. पर चुनाव के बाद उसे भूल जाते हैं. सदर विधानसभा के ही शाहीद, अदनान और आमिर ने भी कहा कि उनके क्षेत्र में पिछले पांच सालों में अपेक्षा के अनुरूप विकास नहीं हुआ. शमशाद ने कहा कि मोहल्ले में गंदगी से सब लोग परेशान हैं. बताया कि मस्जिद के पास गंदगी बढ़ती जा रही है. पर कोई सुनवाई करने वाला नहीं है.

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वहीं, जनता की इस राय पर विधायक रफ़ीक़ अंसारी से बात की गई. इस दौरान उन्होंने प्रदेश सरकार पर आरोप लगा दिया. कहा कि सरकार ने उनको क्षेत्र के विकास में कोई मदद नहीं की. बता दें कि समाजवादी पार्टी की सरकार में रफ़ीक़ अंसारी दर्जा प्राप्त मंत्री रहे हैं. 3 बार पार्षद रह चुके हैं. उनका दावा है कि उन्होंने बुनकरों की आवाज उठाई.

इस सीट पर जीतने वाले प्रत्याशी

आजादी के बाद से लगातार इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा का कब्जा रहा है. हालांकि बीच में अन्य दलों ने भी इस सीट पर अपनी उपस्थिति दर्ज की है. 1951 और 1957 के चुनाव में कांग्रेस के कैलाश प्रकाश विधायक बने. 1962 में कांग्रेस के जगदीश शरण रस्तौगी ने चुनाव जीता. 1967 में सीट भारतीय जनसंघ के एमएल कपूर ने जीती. इसके बाद 1969 और 1974 में भारतीय जनसंघ के मोहन लाल कपूर विधायक बने.

1977 और 1980 में कांग्रेस के मंजूर अहमद ने चुनाव जीता. 1985 में जय नरायण शर्मा ने कांग्रेस से चुनाव जीता. 1989 में भाजपा से लक्ष्मीकांत वाजपेयी विधायक बने. 1993 में सीट मुस्लिम प्रत्याशी शाहिद अखलाक ने जनता दल के टिकट पर जीती. इसके बाद 1996 और 2002 में लक्ष्मीकांत फिर से विधायक बने.

2007 में यूपीयूडीएफ के बैनर तले हाजी याकूब ने सीट पर कब्जा किया और 2012 में एक बार फिर से लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने वापसी की. हालांकि 2017 के चुनाव में लक्ष्मीकांत वाजपेयी सपा के प्रत्याशी रफ़ीक़ अंसारी से हार गए.

सामाजिक ताना-बाना

मेरठ शहर क्षेत्र में अधिकतर आबादी पढ़े-लिखे लोगों की है. यहां पंजाबी और दलित वोटर भी हैं. मुस्लिम समुदाय की आबादी भी अच्छी तादाद में है. पिछले कुछ चुनावों की बात करें तो यहां मुकाबला बीजेपी और सपा के बीच ही रहा है. यहां व्यापारी वोटर भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में कुल तीन लाख से अधिक वोटर हैं.

मेरठ में ये हैं मुद्दे

मेरठ शहर विधानसभा क्षेत्र में सबसे बड़ा मुद्दा साफ सफाई, अपराध, लड़कियों के साथ होने वाला अपराध, सड़कें, रोजगार, बिजली, शिक्षा जैसी समस्याओं का है. मेरठ को स्पोर्ट सिटी के नाम से भी जाना जाता है लेकिन यहां बड़ी तादाद में कैंची कारोबार भी है. कैंची उद्योग के छोटे-छोटे कारखाने लगे हैं और यहां की कैंची पूरी दुनिया में मशहूर है.

Last Updated :Sep 23, 2021, 12:21 PM IST
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