आयुष्मान भारत योजना के पात्रों का गोल्डन कार्ड बनाने में मेरठ फिसड्डी

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Published : Sep 17, 2021, 9:56 PM IST

गोल्डन कार्ड.

पश्चिमी यूपी का मेरठ जिला आयुष्मान भारत योजना में फिसड्डी साबित हुआ है. जिले में अभी तक योजना के 21 प्रतिशत पात्र लोगों का ही गोल्डन कार्ड बन पाया है.

मेरठः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक आयुष्मान भारत योजना के तहत पात्रों को सरकारी एवं निजी अस्पतालों में 5 लाख रुपये तक का उपचार नि:शुल्क कराने की सुविधा है. लेकिन जिले में सभी पात्रों का गोल्डन कार्ड अभी तक नहीं बन पाया है. जिसकी वजह से पात्र लोगों का उपचार इस योजना के तहत नहीं हो पा रहा है. सरकार की मंशा है कि सरकारी योजनाएं धरातल पर पहुंचें और उनका लाभ जरूरतमंदों को मिल सके. लेकिन यह मंशा स्थानीय प्रशासन की वजह से सफल नहीं हो पा रही है.

मेरठ में सिर्फ 21 प्रतिशत ही बने गोल्डन कार्ड.

जिले में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत अभी तक 2 लाख 62 हजार लाभार्थियों के ही गोल्डन कार्ड बने हैं, जो कि 21 प्रतिशत है. गोल्डन कार्ड बनाने में जिले की 67 वीं रैंक है. वहीं जिले के आला अधिकारियों ने गोल्डन कार्ड कम बनने की वजह कोरोना काल बताया है. अधिकारी मानते हैं कि 2011 की जनगणना के आधार पर स्थाई पात्रता सूची के मुताबिक जो पात्रों का ब्यौरा है उसके आधार पर गोल्डन कार्ड बनाने को फिर एक बार बड़े पैमाने पर अभियान चलाया गया है. वहीं, सीएमओ अखिलेश मोहन ने कहा कि जो पात्रता सूची उनके पास है, उनके आधार वेरिफिकेशन में देरी की वजह से गोल्डन कार्ड कम बन पा रहे हैं. सीएमओ ने कहा कि गोल्डन कार्ड बनाने के लिए एक बार फिर जिले में युद्धस्तर पर कार्य किया जा रहा है. जिला अस्पताल में आयुष्मान भारत योजना के पात्रों के कार्ड बनाने का जिम्मा सम्भाल रहे कर्मचारी बताते हैं कि सूची जो उन्हें मिली है उस आधार पर लोग उनसे संपर्क करते हैं. उनका ब्यौरा चेक करके उनके गोल्डन कार्ड के लिए पंजीकरण किया जाता है.

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वहीं, पात्र लोग काफी समय से दफ्तरों का सिर्फ इसलिए परिक्रमा कर रहे हैं कि उनका गोल्डन कार्ड बन जाए. योजना में पात्र कई लोगों ने बताया कि काफी समय से वो गोल्डन कार्ड बनवाने को भागदौड़ कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कामयाबी नहीं मिली. जबकि कुछ लोगों ने बताया कि तो गोल्डन कार्ड न बन पाने की वजह से निजी अस्पतालों में पैसे खर्च करके अपने परिजनों का उपचार कराने को मजबूर हैं.

बहरहाल दावा यही किया जा रहा है कि प्रचार प्रसार के साथ जागरूकता को तमाम प्रयास जारी हैं. कैम्प लगाकर गोल्डन कार्ड बनाए जा रहे हैं, लेकिन शहर में सरकारी अस्पतालों के अलावा कहीं भी एक होर्डिंग तक भी महकमे की तरफ से नहीं लगाया गया है. सरकार की मंशा थी कि आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग को निशुल्क उपचार मिल सके इसलिए सरकार ने ये योजना लाई थी. लेकिन जिले में तो अभी तक सभी पात्रों को गोल्डन कार्ड तक भी नहीं मिल पाए हैं, जो अफसरों की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाता है.

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